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गडकरी का एलान- पुरानी सरकारी गाड़ियां कबाड़ी के हाथ बेची जाएंगी
केंद्र सरकार ने 15 साल पुरानी सरकारी गाड़ियों को कबाड़ में भेजने की पूरी तैयारी कर ली है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि ऐसी सभी गाड़ियां को रद्द की जाएंगी, जो 15 साल पुरानी हैं। और इससे संबंधित पॉलिसी सभी राज्य सरकारों को भेज दी गई हैं। उन्होंने ये बातें नागपुर में एक कार्यक्रम में कहीं।
पुरानी सरकारी गाड़ियां – सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक केंद्र सरकार के इस फैसले को राज्य सरकार को अपने स्तर पर लागू करना चाहिए।
बता दें कि केंद्र सरकार अपने मोटर व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी के तहत 15 साल से पुरानी गाड़ियों हटाने को लेकर प्रतिबद्ध है। इस पॉलिसी पर परिवहन मंत्रालय काफी वक्त से काम कर रहा है।
दरअसल, गडकरी नागपुर में आयोजित एनुअल एग्रीकल्चर एग्जीबिशन (एग्रो-विजन) का उद्घाटन करने पहुंचे थे। सभा को संबोधित करने उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अगस्त में नेशनल व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी शुरू की थी। PM ने कहा था कि यह पॉलिसी पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले गाड़ियों को स्टेप वाइज खत्म करने में मदद करेगा।
हाल ही में गडकरी ने बताया था कि सरकार ने देश के हर जिले में कम से कम तीन रजिस्टर्ड वाहन कबाड़ केंद्र खोलने की योजना बनाई है। उन्होंने कहाकि सड़क मंत्रालय को रोपवे, केबल कार और फनिक्युलर रेलवे (केबल रेलवे) के लिए 206 प्रस्ताव मिले हैं। और सरकार हर जिले में 3 पंजीकृत वाहन कबाड़ सुविधाएं या केंद्र खोल सकती है।
बता दें कि सड़क परिवहन मंत्रालय ने यह ड्रॉफ्ट नोटिफिकेशन 12 मार्च 2020 को जारी किया था। इस पर सभी हितधारकों से 30 दिन के अंदर सुझाव मांगे गए थे। इस पॉलिसी के तहत पर्सनल की 20 साल बाद और कॉमर्शियल व्हीकल्स को 15 साल बाद ऑटोमेटिड फिटनेस टेस्ट कराना होगा। इस टेस्ट को पास ना करने वाले वाहनों को चलाने पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। साथ ही ऐसे वाहनों को स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत जब्त किया जाएगा।
पुरानी सरकारी गाड़ियां – गौर करें तो सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दो साल पहले कहा था कि शुरुआत में करीब 1 करोड़ वाहन स्क्रैपिंग पॉलिसी के दायरे में आएंगे। उन्होंने कहा था कि इस पॉलिसी के लागू होने से 10 हजार करोड़ रुपए का नया निवेश आएगा और करीब 50 हजार नए रोजगार पैदा होंगे। केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, यह पुराने वाहन नए वाहन के मुकाबले 10-12 गुना ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं।