Sen your news articles to publish at [email protected]
हेमंत सोरेन बिहार चुनाव में 12 से 15 सीटों पर लड़ेंगे !
हेमन्त सोरेन का टूटा सब्र का बांध, बिहार चुनाव में राजद को पटकनी देने को तैयार
बिहार विधानसभा चुनाव में झारखंड की सरकार का दल, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), अपने प्रत्याशी उतारने का मन बना रहा है। अप्रैल में महागठबंधन की तीन बैठकों में झामुमो को नजरअंदाज किया गया, और 21 सदस्यीय समिति में भी उनके प्रतिनिधित्व को नहीं माना गया। इससे पार्टी का धैर्य जवाब देने लगा है।
हेमंत सोरेन की पार्टी बिहार में 12 से 15 सीटों पर लड़ेगी चुनाव
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अभी भी उम्मीद जताते हैं कि बिहार चुनाव में उन्हें सीटें मिलेंगी। वे तेजस्वी यादव, जो राजद के नेता हैं, से यह उम्मीद कर रहे हैं, जैसे कि झामुमो ने झारखंड विधानसभा 2024 के लिए सीटें दी थीं। लेकिन बिहार में अब तक उनके प्रति खास ध्यान नहीं दिया गया है। इससे यह आशंका फैल गई है कि झामुमो 12 से 15 सीमावर्ती सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़ा करेगा, पार्टी महागठबंधन से अलग रहकर।
एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि झारखंड की 81 सीटों वाले छोटे विधानसभा क्षेत्र में राजद ने छह सीटें झामुमो को दी थीं। सरकार बनने के बाद एक मंत्री का पद भी झामुमो को मिला।
पार्टी ने अप्रैल में अपने महाधिवेशन में राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार का प्रस्ताव पारित किया। बिहार, असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में संगठन मजबूत करने की योजना है। झामुमो बिहार चुनाव में लड़ना चाहता है।
बिहार की सीमावर्ती सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना
राज्य की मीटिंग्स में झामुमो को आमंत्रण नहीं मिला है। जिलों में प्रस्तावित कार्यक्रमों में भी वह शामिल नहीं हो पाया है। इस वजह से पार्टी अकेले चुनाव का फैसला ले सकती है।
बिहार में झामुमो का प्रभाव बहुत हद तक ही है। झारखंड बनने के बाद, वह पहली बार 2010 में चकाई सीट पर जीता था। उस समय सुमित कुमार सिंह ने जीत हासिल की थी। अभी वह निर्दलीय विधायक हैं और मंत्री भी हैं।
झामुमो के महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने कहा कि पार्टी ने अपने महाधिवेशन में बिहार, असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में संगठन मजबूत करने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि बिहार की सीमावर्ती सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना है। पार्टी सभ्यता से मुकाबला करने के लिए तैयार है। अगर सम्मान नहीं मिला, तो झामुमो अपने दम पर चुनाव लड़ेगा।
इसे भी पढ़ें – बिहार कैबिनेट में बड़ा फैसला 2025