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Kanak ji: यादों के झरोखों से : अद्भुत थीं कनक जी

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Kanak ji: यादों के झरोखों से : अद्भुत थीं कनक जी। कनक जी, एकमात्र नेतृत्वकारी क्षमता वाली महिला थीं ( to my best knowledge ) जो बहुत सहजता से, अपने नारीवादी होने में कोई अड़चन के बगैर , गरीब वर्गों के वर्ग संघर्ष के पक्ष में भूमिका लेती थीं.

संघर्षों के क्रम में संघर्षों को आगे बढ़ाने की शर्त के रूप में शांतिमय तरीके की व्यापकता के साथ सहज रूप से दिखती थीं.

पूरे समाज में– महिलाओं और पुरुषों में– किसी भी ( या अधिकांश ) ग्राउंड वर्क मैं , दूसरे का समर्थन नहीं ले पाता था. ( प्राय: किसी का नैतिक संबल और सहयोग भी बहुत कम मिल पाता था. ) गांव-देहात जाने के मामले में तरह – तरह की बहानेबाजी का सामना करता आया था! ( आखिर गरीब लोग गरीब वर्ग के लोग या वंचित लोग वंचित इसलिए भी होते हैं कि अपनों के बीच में भी वह वंचित होते हैं। ) और जो लोग ऊपरी ऊपरी स्तर पर अपना समर्थन देते थे, या जो लोग मेरा समर्थन पाते रहते थे, वे लोग भी क्षेत्र की जरूरत को लेकर इंडेफरेंट, उभयवाची या निष्प्रभ रह जाते थे!

तब मुझे लगभग ज्यादातर दफा कनक जी का नियमित समर्थन मिला.

ऐसे बहुत से लोग हैं , जो यह जोर देकर कहते हैं, कि क्लास स्ट्रगल उतना ही इंपॉर्टेंट है, अंतर विरोध के कई प्रकार हैं और इनमें किसी को मूल अंतर विरोध मानने से जो लोग हिचकते रहते थे।

स्त्री- पुरुष अंतरविरोध , , पितृ सत्तात्मक व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष. का महत्व तय करने की जरूरत नहीं पड़ी । तकरीर कई दफा इस पर केंद्रित रहती थी , कि क्लास स्ट्रगल मूल नहीं है. कई तरह के अंतरविरोध हैं और सब बराबर बराबर. उन लोगों के साथ बहस बना रहता था।

मैं कहता था, कहता हूं कि मजदूर वर्ग के संघर्ष ने, इतिहास में महिलाओं के संघर्ष, महिला दिवस आदि का आधार रखा था. इसलिए मजदूर वर्ग और वर्ग संघर्ष की अग्रता को मान कर वर्ग संघर्ष की अवधारणा को ब्रॉडर रूप में लेते हुए नारी मुक्ति संघर्ष, पर्यावरण आदि मुद्दों को मानव केंद्रित बनाने के संघर्ष से जोड़ना चाहिए.

परंतु कनक जी, एकमात्र नेतृत्वकारी क्षमता वाली महिला थीं ( to my best knowledge ) जो बहुत सहजता से, अपने नारीवादी होने में कोई अड़चन के बगैर , गरीब वर्गों के वर्ग संघर्ष के पक्ष में भूमिका लेती थीं.

संघर्षों के क्रम में संघर्षों को आगे बढ़ाने की शर्त के रूप में शांतिमय तरीके की व्यापकता के साथ सहज रूप से दिखती थीं.

एक प्रसंग
मैं बांका क्षेत्र में , खास तौर पर आदिवासी नेतृत्व के उभरने की संभावना दिखने की वजह से, जाता रहता था. इसके बाद यह तय हुआ या ‘आदिवासी मजदूर किसान मुक्ति वाहिनी’ नाम से संगठन बन जाए.

परंतु जब सम्मेलन की तारीख तय थी और सम्मेलन होने ही वाला था, उसके पहले मेरे पैर में पंजाऔर एड़ी और पैर के बीच के , जॉइंट पर गंभीर ऑपरेशन करना पड़ा.

कनक जी ने उस समय ( मेरी परेशानी को समझ करके) कहा कि वह खुद जाएंगी और सम्मेलन से बेहतर जो निकलेगा, उसमें योगदान करेंगी.
श्रीनिवास जी हमेशा उनके साथ देते चले आए।

किसी एक महिला के पूर्ण रूप से बनने में उसके पीछे का पुरुष यदि इस तरह अभिन्न और साथ हो तो दोनों को अलग करके नहीं देखा जा सकता।

कनक को जितना ही याद रखेंगे उतना ही आप श्रीनिवास को भी याद रखेंगे उसकी वजह यह नहीं है कि वह उनके पीछे और साथ थे बल्कि इसकी वजह यह है कि श्रीनिवास मौलिक रूप से एक स्वतंत्र और मकसद से पूर्ण पर्सनालिटी।

स्त्री शब्द एक पूरी किताब बहुत ही आकर्षक और उत्तेजना पैदा करने वाली किताब इस किताब के कई बातों से हो सकता है कि श्रीनिवास जी खूब बहुत सहमत ना हो।
परंतु उसे किताब में कहीं सीधे इसका जिक्र नहीं है श्रीनिवास जी का नाम कहीं किसी भी रूप में नहीं है।
परंतु क्या आप इस किताब के प्रतीक पर से या प्रत्येक लेख से आप उन्हें निकाल सकते हैं।

स्त्री शब्द में प्रकाशित लेख जब लिखी गई थी तब भी श्रीनिवास जी शायद सहयोगी या संपादक ही रहे थे और किताब जब छाप करके आई तब भी वे इसके लगभग प्रत्येक अंश के सहयोगी और संपादक रहे। ऐसा इसलिए भी कि वह कनक से अलग एक स्वतंत्र व्यक्तित्व भी रहे । परंतु एक डेमोक्रेट इस जिसने विचारों के अपने सही अर्थ अनेक फूलों के अर्थ में लिया हो।

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श्रीनिवास जी और कनक जी , दोनों बांका गए . बांका के हड़कर 10 धर्मशाला या असम धर्मशाला में रख कर बांका नवादा और देवघर के गांव से आए नेतृत्व के साथ दो दिनों के संवाद के बाद संगठन के निर्माण में सहयोग किया . (और इधर पटना से मणिलाल जी गए थे।) 8 – 9 साल पुरानी बात है

दूसरा प्रसंग : जब मैं राजनीतिक दल बनाने के काम में लगा तो यह मान कर कि भविष्य के लिए इस काम की बहुत अधिक ज़रूरत है, कनक जी ने लगातार साथ दिया.

( इस विषय पर श्रीनिवास जी का विचार अलग और हरि महत्व से आगे निकलने के रास्ते में अरुचि वाला था।)

कनक जी पार्टी की सदस्य नहीं बनीं. परंतु जिम्मेदारी को केवल बोल कर पूरा नहीं किया जा सकता. इस वजह से पार्टी के महिला नेतृत्व ने चुनाव में घूमकर , खास कुछ नहीं किया. फिर भी कनक जी गया ,, पटना और बांका जिले के चार उम्मीदवारों के समर्थन में गयीं.

एक स्त्री होने के नाते एक अलग रिश्ता होता है और मेरा रिश्ता वह नहीं था,

जो किरण और कनक जी में था. दोनों एक स्तर पर दोस्त थीं. परंतु मेरे व्यवहार में शुरू से ही कनक एक महिला थीं.

 

आज उनके आकस्मिक निधन को ठीक तीन वर्ष हो गये. मुझे याद था, पर श्रीनिवास जी ने भी याद दिला दिया. तो बहुत कुछ याद आता गया.
क्या याद दिलाने की बात भी है क्या?

पहले भी शिद्दत से याद करता रहा हूं. उनकी शख्सियत भूलने वाली कभी नहीं थी. मेरे लिए और भी खास.
समाज को असाधारण व्यक्तित्व की आवश्यकता है परंतु जो लोग कनक को जानते हैं वह यह जानते हैं की अत्यंत साधारण ऐसा व्यक्तित्व जो छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर हमेशा से ही महान व्यक्तित्व होता है इसकी आवश्यकता कोई काम नहीं होती ।

इसी मौके पर कनक जी की बेटी और अपनी बड़ी भगिनी स्वाति शबनम या रेनू को भी याद किया जाना चाहिए।

खुद वह उसे काम में नहीं है जिस काम के बीच में उसका बहुत सारा जीवन काल निखरकर उभरा है।

एक अमूर्त व्यक्तित्व के रूप में और पहचान के रूप में कनक बनी हुई है।
परंतु रनु है तो आप पूरा करना भी देखें परंतु उसके अंश को पा सकते हैं।

मैं मृत्यु के बाद छोटा सा संस्मरण या मेमोआयर लिखा लिखा था। से मैं पर्सनल अकाउंट ऑफ़ द थिंग्स अराउंड अपने और कनक के आसपास की घटित बातों का एक निजी लेखा जोखा मानता हूं।
आपने जिस को दिया उसे आप जितना भी याद करें , उसके कामों को जितना भी सुरक्षित रख ले– या चाहे तो आगे बढ़ाएं।
परंतु आप उसे व्यक्ति से उसे स्त्री या पुरुष से कदाचित या भूल कर भी फिर मिल नहीं पाएंगे।

स्मृतियों को उनके सहजीवन के साथी श्रीनिवास या उनकी पुत्री में, यदि किसी अंश तक आप छू सकते हैं , तो आप एक बड़ी कमी की की थोड़ी भरपाई तो कर ही रहे हैं।

मैंने ऊपर ही लिखा है कि यह जो लिख रहा हूं इसमें निजी या पर्सनल कुछ नहीं है । परंतु इसका अंत तक निर्वहन नहीं कर पाया।

हमें अपने को अपने खुद को याद रखना चाहिए और इस अर्थ में अपने स्वजनों को याद रखना या जिंदा रखने का जिम्मा हमारा ही है। और दिस इस पर्सनल अबाउट इट।
अपने मित्र पंचदेव और अपने पापा के बाद मेरी अपनी स्मृतियों का अंश, अपना ही है। (Part One)

सलाम!

  • प्रियदर्शी

 

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