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Bhole Baba Darbar: ‘भोले बाबा’ के दरबार में हुआ हादसा अकेला नहीं, जहाँ बड़ी संख्या में लोग मारे गए

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Bhole Baba Darbar: यूपी के हाथरस में ‘भोले बाबा’ के दरबार में हुआ हादसा पहला और अकेला नहीं है जिसमें इतनी बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं.

  • 2005- महाराष्ट्र के सतारा में मांदेर देवी मंदिर
  • 2006- हिमाचल का नैना देवी मंदिर
  • 2008- जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में स्थित चामुंडा देवी मंदिर
  • 2010- उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में राम जानकी मंदिर
  • 2011- केरल का सबरीमाला मंदिर
  • 2012- पटना का एक छठ घाट
  • 2013- कुम्भ के दौरान इलाहाबाद स्टेशन, मध्य प्रदेश के दतिया में रत्नागढ़ मंदिर
  • 2014- पटना के गांधी मैदान में रावण दहन
  • 2015- देवघर का बाबा बैद्यनाथ मंदिर परिसर, हज के दौरान मीना, मक्का
  • 2017- मुम्बई का एल्फिंस्टोन रोड स्टेशन

यह उन जगहों की सूची है जहाँ पिछले कुछ सालों में भगदड़ में 20-30 से लेकर 300 तक कुल सैंकड़ों लोगों की मृत्यु हुई है.

एक को छोड़ यह सभी घटनाएं किसी न किसी धार्मिक आयोजन पर जमा हुई अत्यधिक भीड़ के कारण हुई है. उस देश में जिसके संविधान के भाग IV A, आर्टिकल 51 A में दर्ज भारतीय नागरिकों के लिए 11 Fundamental duties या मौलिक कर्तव्यों की सूची में “To develop the scientific temper, humanos, and the spirit of enquiry and reform” भी है.

सवाल कई हैं?

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सवाल है कि नागरिकों को इस कर्तव्य हेतु प्रोत्साहित करने के लिए सरकारों ने आजतक क्या किया है. अब तो गाय गोबर ज़्यादा हो रहा है, मगर हमेशा से सरकार के शीर्षस्थ पदों पर बैठे लोग, सभी दलों से जुड़े लोग, खुद क्या बोलते और करते रहे हैं. धार्मिक आयोजनों में हेड पुजारी बनना, रावण दहन में रावण पर तीर चलाना, ढोंगी बाबाओं के दरबार में नतमस्तक होना, सरकार के मुखिया होने के नाते यह सब क्यों करना है.

यह भी कि प्रशासन की अनुमति और देखरेख के बिना, और कई बार उसके बावजूद मगर अधिकतर प्रशासन के काबू से बाहर भीड़ को क्यों जमने दिया जाता है. भीड़ कम हो इसके बजाए सरकारें भीड़ बढ़ाने को आतुर क्यों दिखती हैं, श्रावणी मेला का आयोजन और उसके विज्ञापन सरकार क्यों करती है. धार्मिक टूरिज्म सरकार का धंधा कैसे हो सकता है.

और यह केवल वैज्ञानिक सोच का ही मामला नहीं है, समाज में जब डिस्ट्रेस होगा तो नागरिक इन ढोंगों में समाधान ज़्यादा ढूंढेंगे. सबसे बड़ा समाधान तो समाज की prosperity में ही है.

 

bhole baba darbar

  • स्वाति शबनम (फेलो प्रोफेसर, बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी

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