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Omar Abdullalh on Kashmir: जब तक पश्चिमी देश कश्मीर से नकारात्मक यात्रा सलाह वापस नहीं लेते, तब कुछ कहना बेमानी

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Omar Abdullalh on Kashmir: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की ये टिप्पणी एक दिलचस्प और गंभीर बिंदु उठाती है। उनका कहना है कि जब तक पश्चिमी देश अपनी नकारात्मक यात्रा सलाह (Negative Travel Advisories) वापस नहीं लेते, तब तक यह दावा करना कि कश्मीर की स्थिति सामान्य हो गई है, सिर्फ कहने की बात होगी – सबूत की जरूरत है, और वो सबूत इन सलाहों के हटने से मिलेगा।

उमर अब्दुल्ला की दलील के मुख्य बिंदु:

  1. कूटनीतिक दबाव की ज़रूरत: विदेश मंत्रालय को उन देशों पर डिप्लोमैटिक प्रेशर डालना चाहिए जिन्होंने अब तक कश्मीर को लेकर सख्त ट्रैवल एडवायजरी जारी की हुई है।
  2. पर्यटन नीति में बदलाव: संख्या से ज़्यादा “मूल्य आधारित पर्यटन” पर ज़ोर देने की बात की गई – यानी ऐसे टूरिज़्म को बढ़ावा देना जो गुणवत्ता और अनुभव पर आधारित हो, न कि केवल भीड़ पर।
  3. 1989 से पहले की स्थिति: उन्होंने याद दिलाया कि 1989 से पहले हजारों विदेशी पर्यटक कश्मीर आते थे – तब कोई पंजीकरण या निगरानी बाधा नहीं थी।
  4. यात्रा परामर्श बनाम हकीकत: वर्तमान में असली रुकावट पहचान पत्र या रजिस्ट्रेशन नहीं, बल्कि वही नकारात्मक ट्रैवल एडवायजरी है, जिसके चलते विदेशी टूरिस्टों का बीमा भी अमान्य हो जाता है।

इस तरह से देखा जाए तो उमर अब्दुल्ला की बात का सार यही है कि यदि केंद्र सरकार वास्तव में दुनिया को दिखाना चाहती है कि कश्मीर में हालात बेहतर हुए हैं, तो उन्हें केवल आंतरिक प्रचार नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता पाने की दिशा में भी कदम उठाने होंगे.

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