Sen your news articles to publish at [email protected]
पटना : बिहार सरकार अब राज्य के लापरवाह थानेदारों और पुलिस अफसरों पर नकेल कसने की तैयारी में जुटी हुई है। बीते शुक्रवार को पुलिस महानिदेशक एसके सिंघल ने अपराध अनुसंधान विभाग के कामकाज की समीक्षा की और अपराध पर नियंत्रण और मामलों की जांच के लिए कई दिशा-निर्देश दिए। एसके सिंघल ने उन पुलिस अनुमंडलों की सबसे पहले समीक्षा की जहां पर सौ से ज्यादा क्राइम मामलों की जांच लंबित पड़ी हुई है।
पुलिस महानिदेशक ने पांच हजार लंबित मामले वाले 15, तीन से पांच हजार लंबित मामले वाले छह तथा दो हजार से तीन हजार तक लबित मामलों वाले आठ जिलों की समीक्षा की। 30-30 थानों पर बात हुई। यहां के बीते 3 साल के अपराध के तुलनात्मक आंकड़े प्रस्तुत किए गए। अपराध बढने की वजह पर इस पर मंथन किया गया और आगे की रणनीति पर बात हुई।
डीजीपी ने संपत्ति मूलक वाले गंभीर अपराधिक मामले जिसमें बैंक डकैती, लूट, रोड डकैती, आभूषण दुकानें और सीएसपी में हुई लूट से संबंधित अपराधियों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया। अपराधियों की इस सूची को जिलों को भेजने के बाद वज्र की कंपनी और प्लाटून को इनकी गिरफ्तारी का टॉस्क सौंपा जायेगा।
डीजीपी ने अपराध के मुख्य सिरे जिसमें डकैती, लूट, गृह भेदन, चोरी, दंगा, एससी-एसटी के विरुद्ध दर्ज संज्ञेय अपराध, हत्या और अपहरण के तुलनात्मक आंकड़ों को देखा। रेंज, जिला और थानावार अपराध की रोकथाम के लिए सीआईडी द्वारा की जा रही कार्रवाई पर चर्चा की गई।
एफएसएल के कार्यों के साथ इसे और बेहतर बनाने के लिए डीजीपी ने दिशा-निर्देश दिए। वहीं एडीजी सीआईडी जितेंद्र कुमार ने एफएसएल की नए लैब की स्थापना को लेकर भी चर्चा की। उन्होंने सीआईडी के भविष्य की कार्य योजनाओं को पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के जरिए दर्शाया।