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EMPEROR PENGUIN ON RISK: अंटार्कटिका में रहने वाले पेंगुइन के अस्तित्व पर गहराया संकट, 40 सालों में रह जाएँगी सिर्फ कहानियाँ!

क्लाइमेट चेंज के चलते टुंड्रा प्रदेश में जमी बर्फ में रहने वाले पेंगुइन हो जाएँगे विलुप्त

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EPMEROR PENGUIN ON RISK: अंटार्कटिका में रहने वाले पेंगुइन का अस्तित्व संकट में है। क्लाइमेट चेंज के चलते टुंड्रा प्रदेश में जमी बर्फ में रहने वाले लाखों पेंगुइन विलुप्त हो सकता है। एक्सपर्ट की मानें तो अगले 40 सालों में इनका नामोनिशान मिट सकता है।

EPMEROR PENGUIN ON RISK: अंटार्कटिका में रहने वाले धरती के खूबसूरत जीव पेंगुइन का अस्तित्व संकट में है। क्लाइमेट चेंज के चलते टुंड्रा प्रदेश में जमी बर्फ में रहने वाले लाखों पेंगुइन विलुप्त हो सकता है। एक्सपर्ट की मानें तो अगले 30-40 सालों में इनका नामोनिशान मिट सकता है। टुंड्रा प्रदेश की जमी हुई बर्फ और समुद्र के ठंडे पानी रहने वाले इस पक्षी का जीवन संकट में है। ये खुलासा करते हुए अंजेंटीना अंटार्कटिक इंस्टीट्यूट (IAA) के वैज्ञानिक ने शोध के बाद चेतावनी दी है।

आईआईए ने दुनिया को चेताया है कि इस बर्फीले इलाके में दुनिया के सबसे ज्यादा पेंगुइन पाए जाते हैं। और पेंगुइन की संख्या सबसे अधिक है। और जलवायु परिवर्तन और कार्बन उत्सर्जन से इनके अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है।

बता दें क पेंगुइन अप्रैल से दिसंबर तक प्रजनन और अपने चूजों की घोसलों में देखभाल करते हैं। और स दौरान समुद्र का जल और बर्फ सॉलिड होनी चाहिए। सॉलिड बर्फ और जमा हुए समुद्र के पानी में इन्हें और इनके चूजों को विकसित होने में मदद मिलती है। ऐसे में अगर जमा हुआ पानी और समुद्र क बर्फ पिघलती है तो पेंगुइन का रिप्रोडक्टिव साइकिल कमजोर पड़ जाएगा और धीरे-धीरे इनके विनाश का कारण बनेगा।

हालात ऐसे बन जाएँगे कि बर्फ पिघलने पर पेंगुइन के चूजे पानी में डूबकर अपनी इहलीला समाप्त कर लेंगे। इसका कारण ये है कि उनके पंख कमजोर होते हैं और पानी के प्रवाह को नहीं सह पाएँगे और पानी में डूबकर मर जाएंगे।

आईआईए की वैज्ञानिक मर्सेला लिबरटेली ने अंटार्कटिका में पेंगुइन की दो बस्तियों के 15 हजार पेंगुइन का अध्ययन कर ये निष्कर्ष निकाला  है।

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मर्सेला ने अध्ययन में पाया की बीते तीन सालों में पेंगुइन की वेडेल सी स्थित हैले बे कॉलोनी के सभी चूजे मर गए।

आईआईए के वैज्ञानिकों ने अध्ययन में ये पाया कि आने वाला संकट पेंगुइन पर बहुत भारी पड़ने वाला है। जलवायु परिवर्तन की वजह से उनका जीवन दूभर हो जाएगा। उनकी प्रजनन क्षमता पर इसका व्यापक असर पड़ेगा। साथ ही नन्हें और कमजोर चूजे अपने को नहीं बचा पाएंगे।

गौर करें तो पेंगुइन की ये कॉलोनी 60 और 70 डिग्री देशांतर पर पर स्थित हैं। ऐसे में हालात अहर नहीं सुधरे। कार्बन डाइआक्साइड का उत्सर्जन कम नहीं हुआ। जलवायु परिवर्तन से धरती गर्म होगी और तीस से 40 साल के बीच ये समाप्त होने की कगार पर होंगे।

emperor penguin on risk-penguin
credit:reuters.com

बता दें कि पैदा होते ही दंपति पेंगुइन में से एक अपने चूजे को अपने चूजे को अपने पैरों के बीच में रखता है। पेंगुइन ना सिर्फ अपने चूजे को गर्म रखता है, बल्कि उनमें पूरी तरह से पंख विकसित होने तक वो चूजे को हर मुश्किल से बचाए रखता है।

ऐसे में देखें तो धरती से किसी भी जीव का खत्म होना कितना दुखद है। साथ ही जैव विविधता को इससे बड़ा नुकसान पहुँचेगा। साथ ही एम्परर पेंगुइन के विलुप्त होने पर अंटार्कटिका पर भी भारी असर पड़ेगा।

साथ ही ये देखा गया है कि अंटार्कटिका में टूरिज्म के नाम पर और मछलियाँ मारने के नाम पर भी पर्यावरण को नुकसान पहुँच रहा है। इससे भी पेंगुइन और कई प्रजातियों को खतरा है। ऐसे में भविष्य को देखते हुए दुनिया को इस दिशा में समझदारी से काम लेना होगा।

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