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SC FREEZES SEDITION LAW: सुप्रीम कोर्ट ने ब्रिटिश जमाने से जारी देशद्रोह कानून को किया फ्रीज

सर्वोच्च अदालत देशद्रोह कानून की करेगी एक्जामिन, केंद्र और राज्य सरकारों को इसके इस्तेमाल पर रोक

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FREEZES SEDITION LAW: देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने ब्रिटिश जमाने से चले आ रहे देशद्रोह कानून को फिलहाल के लिए फ्रीज कर दिया। अब अदालत इस औपनिवेशिक काल से चले आ रहे कानून की एक्जामिन करेगी।

SC FREEZES SEDITION LAW: देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने ब्रिटिश जमाने से चले आ रहे देशद्रोह कानून को फिलहाल के लिए फ्रीज कर दिया। अब अदालत इस औपनिवेशिक काल से चले आ रहे कानून की एक्जामिन करेगी। न्यायालय ने इसी के साथ ही केंद्र और और राज्य सरकारों को इसके इस्तेमाल पर रोक लगाने का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने देशद्रोह कानून पर अपना फैसला सुनाते हुए कहाकि फिलहाल इस कानून को फ्रीज किया जाता है। अब कोर्ट इस कानून की पूरी तरह परीक्षण कर समीक्षा करेगा।

इसके साथ ही अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को आदेश दिया है कि इस कानून का इस्तेमाल कतई ना करें। कोर्ट ने अपने 11 मई के आदेश में कहा है कि अब इसके तहत नए एफआईआर दर्ज ना की जाए।

साथ ही आईपीसी की धारा 124 ए (सेडीशन) के तहत कोई भी दंडात्मक कार्रवाई ना की जाए। अदालत ने कहाकि ब्रिटिश जमाने के औपनिवेशिक काल से चले आ रहे इस कानून पर फिर से एक्जामिन किया जाएगा।

सर्वोच्च न्यायालय का ये आदेश सुप्रीम कोर्ट की तीन  सदस्यीय बेंच ने सुनाया है। इस बेंच की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना कर रहे हैं। इस पीठ ने कहा है कि अगर किसी के खिलाफ सेक्शन 124 ए का उपयोग किया जाता है, तो वो न्याय के लिए कोर्ट में जाने के लिए आजाद है।

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इसके साथ ही कोर्ट ने इस आशय का निर्देश केंद्र और राज्य सरकार को जारी कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच के सदस्य जस्टिस सूर्य कांत और हिमा कोहली ने कहाकि कोर्ट का ये अंतरिम आदेश अगले आदेश तक के लिए जारी रहेगा। अब इस देशद्रोह कानून पर अगली सुनवाई जुलाई के तीसरे सप्ताह में होगी।

बता दें कि सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में मौजूदा समय में इस कानून की प्रासंगिकता को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से रिपोर्ट सौंपी थी।

SC FREEZES SEDITION LAW-PROTEST IN INDIA

CREDIT:AP

गौर करें तो इस कानून के दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ना सिर्फ ढेरों याचिकाएं दायर हुई थाीं। बल्कि देश भर में प्रदर्शन भी हो रहे थे।

बता दें कि आईपीसी की धारा 124-ए के तहत सरकार विरोधी बातें करने, राष्ट्रीय चिह्नों या संविधान का अपमान करने पर तीन साल से उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान था।

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