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SHINDE CAMP MP: लोकसभा में भी शिंदे गुट के 12 सांसदों को मान्यता

स्पीकर ओम बिड़ला ने राहुल शेवाले को लोकसभा में शिवसेना का नेता माना

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SHINDE CAMP MP: स्पीकर ओम बिड़ला ने शिव सेना के बागी एकनाथ शिंदे गुट के सांसद राहुल शेवाले को लोकसभा में शिवसेना के नेता के तौर पर मान्यता दे दी। राहुल शेवाले दक्षिण मध्य मुंबई से पार्टी के सांसद हैं। शेवाले ने ही राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए प्रत्याशी को समर्थन देने के लिए उद्धव ठाकरे को चिट्‌ठी लिखी थी।

SHINDE CAMP MP: महाराष्ट्र में सियासी संकट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले सीएम एकनाथ शिंदे ने नया दांव चला है। शिंदे ने शिवसेना पर दावा ठोंकते हुए लोकसभा स्पीकर के सामने 12 सांसदों की परेड करा दी। शिंदे का दावा है कि शिवसेना के 19 में से 18 सांसदों का समर्थन उनके पास हैं।

SHINDE CAMP MP: शिंदे खेमे में शामिल होने वाले सांसदों में श्रीकांत एकनाथ शिंदे, राहुल शेवाले, भावना गवली, हेमंत गोडसे, राजेंद्र गावित, सदाशिव लोखंडे, हेमंत पाटिल, संजय मांडलिक, धैर्यशील माने, श्रीरंग बार्ने, कृपाल तुमाने और प्रतापराव जाधव शामिल हैं।

बता दें कि मंगलवार सुबह एकनाथ शिंदे दिल्ली पहुंचे। मुख्यमंत्री बनने के बाद शिंदे दूसरी बार दिल्ली पहुंचे थे।

SHINDE CAMP MP: इधर, मुंबई में उद्धव ठाकरे ने पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है। साथ ही महानगरपालिका अध्यक्षों को भी इस मीटिंग में शामिल रहने का निर्देश दिया गया है। विधायकों की बगावत के बाद उद्धव ने 29 जून को सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था।

SHINDE CAMP MP: शिवसेना के 12 सांसदों को केंद्र की ओर से वाई प्लस सुरक्षा दी गई है।

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गौर करें तो महाराष्ट्र संकट को लेकर अब सबकी नजर 20 जुलाई को होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर है। चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और हेमा कोहली की बेंच उद्धव ठाकरे की अगुआई वाले खेमे और एकनाथ शिंदे खेमे की याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही शिवसेना की लड़ाई में नया मोड़ आएगा।

बता दें कि शिवसेना के 40 विधायक और 13 सांसद मूल पार्टी (उद्धव की शिवसेना) से अलग हो गए हैं। बागी गुट के नेता और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सांसदों और विधायकों की संख्या के आधार पर दावा किया है कि उनके पास दो तिहाई जनप्रतिनिधि हैं, इसलिए असली शिवसेना अब उनकी वाली है।

गौर करें तो बालासाहब ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना की थी। पार्टी को पहली बार 1979 में धनुष-बाण चुनाव चिह्न मिला था। शिवसेना की स्थापना 1966 में हुई थी। उस समय यह एक क्षेत्रीय दल था। शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने 1976 में शिवसेना के संविधान का मसौदा तैयार किया। इस संविधान के अनुसार, यह घोषणा की गई थी कि सर्वोच्च पद यानी ‘शिवसेना प्रमुख’ के बाद 13 सदस्यों की कार्यकारी समिति, पार्टी को लेकर कोई भी निर्णय ले सकती है।

1989 में चुनाव आयोग ने राज्य स्तरीय पार्टी के रूप में शिवसेना को ‘धनुष बाण’ चिह्न दिया। 2003 में राज ठाकरे ने महाबलेश्वर की एक सभा में उद्धव ठाकरे को शिवसेना का मुखिया बनाने का प्रस्ताव रखा। उस समय 282 सदस्यों की प्रतिनिधि सभा ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी और उद्धव ठाकरे पार्टी प्रमुख बने। उसके बाद राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़कर मनसे पार्टी बनाई।

शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों को दल का ‘नेता’ कहा जाता है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में आदित्य ठाकरे, मनोहर जोशी, सुधीर जोशी, लीलाधर दाके, सुभाष देसाई, दिवाकर राउत, रामदास कदम, संजय राउत और गजानन कीर्तिकर शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर अभी उद्धव के साथ ही हैं।

पार्टी संविधान के अनुच्छेद 11 में कहा गया है कि शिवसेना ‘पार्टी प्रमुख’ सर्वोच्च पद है। प्रतिनिधि सभा के पास राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों को हटाने का अधिकार है। पार्टी प्रमुख की ओर से नियुक्त राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य को हटाने का अधिकार ‘पार्टी प्रमुख’ के पास होता है। इसलिए, उद्धव ठाकरे के पास पार्टी प्रमुख के रूप में चुनाव रद्द करने का पूरा अधिकार है। इस अधिकार का इस्तेमाल कर उन्होंने शिंदे और भरत गवली के खिलाफ कार्रवाई की है।

शिवसेना के संविधान के जानकार बताते हैं कि एकनाथ शिंदे 40 विधायकों और 13 सांसदों की संख्या पर शिवसेना और धनुष बाण का दावा नहीं कर सकते। शिंदे को कम से कम 250 प्रतिनिधि सदस्यों वाली पार्टी से निर्वाचित होना होगा। इसके बाद ही उन्हें चुनाव आयोग की मंजूरी मिलेगी और वे शिवसेना पर दावा कर सकते हैं। हालांकि, शिवसेना प्रमुख का फैसला अंतिम है, इसलिए बागियों के लिए आगे कठिन समय हो सकता है।

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