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GHULAM NABI AZAD: जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाए जाने के दो घंटे के भीतर ही दिग्गज गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफा दे दिया। ऐसे में फिर ये सवाल राजनीति की हवा में ये बात तैरने लगी है कि कि क्या गुलाम नबी आजाद पार्टी में आजाद महसूस कर रहे हैं।
GHULAM NABI AZAD: 73 साल के गुलाम नबी आजाद अपनी सियासत के आखिरी पड़ाव पर फिर जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालना चाह रहे थे, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी बजाय 47 साल के विकार रसूल वानी को ये जिम्मेदारी थमा दी। विकार रसूल वानी, गुलाम नबी आजाद के बेहद करीबी हैं। वे बानिहाल से विधायक भी रह चुके हैं। आजाद को केंद्रीय नेतृत्व का यह फैसला पसंद नहीं आया। कहा जा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व आजाद के करीबी नेताओं को तोड़ रहा है।
GHULAM NABI AZAD: बता दें कि आजादी की 75 वीं सालगिरह पर कांग्रेस ने महंगाई-भ्रष्टाचार के विरोध में मार्च निकाला था। इसमें गुलाम नबी आजाद भी शामिल हुए थे।
गुलाम नबी आजाद और कांग्रेस हाईकमान के बीच पिछले डेढ़ साल से टकराव चल रहा है। सुलह की बजाय यह टकराव जारी है। बताया जाता है कि कांग्रेस नेतृत्व जम्मू-कश्मीर में गुलाम नबी आजाद के सियासी प्रभाव को कम करना चाह रहा है। गुलाम नबी आजाद भी लीडरशिप को समय-समय पर चुनौती दे रहे हैं। आजाद की नाराजगी कांग्रेस को 2022 के असेंबली इलेक्शन में महंगी पड़ सकती है, क्योंकि जम्मू कश्मीर कांग्रेस में गुलाम नबी आजाद ही सबसे प्रभावशाली नेता हैं।
GHULAM NABI AZAD: गौर करें तो गुलाम नबी आजाद पिछले प्रदेश अध्यक्ष अहमद मीर का विरोध कर रहे थे। मीर से उनकी लंबे समय से अनबन चल रही थी। उन्हीं के दबाव में कांग्रेस आलाकमान ने मीर को हटाया भी था। अब कांग्रेस अध्यक्ष पद पर आजाद के करीबी को दायित्व भी दे दिया, लेकिन उन्हें यह पसंद नहीं आया। इतना ही नहीं आजाद के करीबी लोगों को किसी न किसी पद पर रखा जा रहा है, लेकिन मन की बात पूरी न होने पर आजाद ने खराब सेहत की वजह से कैंपेन कमेटी के अध्यक्ष का पद संभालने से इनकार कर दिया।
बता दें कि गुलाम नबी आजाद का राज्यसभा का कार्यकाल 15 फरवरी 2021 को पूरा हो गया था। उसके बाद उन्हें उम्मीद थी कि किसी दूसरे राज्य से उन्हें राज्यसभा भेजा जा सकता है, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा। आजाद का कार्यकाल खत्म होने वाले दिन उन्हें विदाई देते हुए PM नरेंद्र मोदी भावुक हो गए थे। वहीं पिछले साल 2021 में मोदी सरकार ने गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण सम्मान दिया था। कांग्रेस के कई नेताओं को यह पंसद नहीं आया। नेताओं ने सुझाव दिया था कि आजाद को यह सम्मान नहीं लेना चाहिए।