Sen your news articles to publish at [email protected]
Cheetah Returns: भारत में चीतों का इंतजार खत्म। करीब 11 घंटे का सफर करने के बाद 8 चीते भारत पहुंच चुके हैं। पांच मादा और 3 नर चीतों को लेकर विमान ने नामीबिया की राजधानी होसिया से उड़ान भरी थी। मॉडिफाइड बोइंग 747 विमान से लाए गए इन चीतों में रेडियो कॉलर लगे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इनमें से चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो पार्क में बनाए गए विशेष बाड़ों में छोड़ दिया। इनमें से दो नर चीतों की उम्र साढ़े 5 साल है। दोनों भाई हैं। पांच मादा चीतों में एक दो साल, एक ढाई साल, एक तीन से चार साल और दो 5-5 साल की हैं।
Cheetah Returns: नामीबिया से भारत लाए गए चीतों को प्रधानमंत्री मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में बॉक्स खोलकर तीन चीतों को क्वारंटीन बाड़े में छोड़ा। बाद में मोदी ने इनकी तस्वीरें भी ली। इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी साथ थे।
Cheetah Returns: अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर चीते, जिन्हें अफ्रीकी महाद्वीप में एक बड़े मांसाहारी जीव के तौर पर जाना जाता है, वह भारत के माहौल में कैसे ढलेंगे? चीतों को लेकर वैज्ञानिकों की चिंता क्या है? इस पर गौर फरमाते हैं।
Cheetah Returns: अफ्रीका के नामीबिया से लाए गए 8 चीते जल्द ही भारत की धरती पर दौड़ते नजर आएंगे। 1952 में चीतों के विलुप्त होने की घोषणा के करीब 70 साल बाद भारत में चीते दिखाई दिए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने खुद मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क पहुंच कर इन चीतों को छोड़ा है। भारत ने इन चीतों को लाने के लिए नामीबिया से विशेष समझौता भी किया है।
कूनो पार्क पहुंचने के बाद ये चीते 30 दिन तक क्वॉरंटीन रहेंगे। इस दौरान इन्हें बाड़े के अंदर रखा जाएगा। बाड़े में उनके स्वास्थ्य और अन्य गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी। सब कुछ ठीक रहा तो 30 दिन बाद सभी चीतों को जंगल में छोड़ दिया जाएगा।
Cheetah Returns: गौरतलब है कि इन चीतों को रखने के लिए कूनो नेशनल पार्क को खास तौर पर तैयार किया गया है। इस अभयारण्य को करीब एक दशक पहले गिर के एशियाई शेरों को लाने के लिए तैयार किया गया था। हालांकि, गिर से इन शेरों को कूनो नहीं लाया जा सका। स्थानांतरण की सारी तैयारियां यहां हुई थीं। शेर के शिकार के लिए संभल, चीतल जैसे जानवरों को भी कूनों में स्थानांतरित किया गया था।
इस तरह से शेर के लिए की गई तैयारी अब चीतों के स्थानांतरण के वक्त काम आएंगी। कूनो के अलावा सरकार ने मध्य प्रदेश के ही नौरादेही वन्य अभयारण्य, राजस्थान में भैसरोडगढ़ वन्यजीव परिसर और शाहगढ़ में भी वैज्ञानिक आकलन कराया था। आकलन के बाद कूनो को चीतों के स्थानांतरण के लिए चुना गया। इन चीतों के लिए 2021-22 से 2025-26 तक के लिए 38.70 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। हालांकि, इसमें चीतों को लाए जाने का बजट भी शामिल है।
Cheetah Returns: विशेषज्ञों ने चीतों को रखे जाने के इंतजामों को लेकर ही सबसे ज्यादा चिंता जाहिर की है। सेंटर फॉर वाइल्डलाइफ स्टडीज के एमेरिटस डायरेक्टर उल्लास करंथ का कहना है कि वे इस प्रोजेक्ट के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि वे चीतों को भारत के मध्य में एक नेशनल पार्क में लाने के विरोध में हैं। उन्होंने नेशनल ज्योग्राफिक से बातचीत के दौरान कहा कि चीतों को ऐसी जगह पर रखा जा रहा है, जहां हर वर्ग किमी पर 360 लोग रहते हैं। यानी इससे चीतों की आजादी पर बड़ा खतरा है।
जंगली जीवों के संरक्षण के लिए काम करने वाले स्वतंत्र वैज्ञानिक अर्जुन गोपालस्वामी के मुताबिक, आजाद माहौल में रहने वाले चीतों के लिए अब खुले में रहना आसान नहीं होगा। अफ्रीका और भारत की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में चीतों के खत्म होने के पीछे कुछ वजहें थीं। इनमें एक बड़ी वजह थी- लोगों की बढ़ती संख्या और उस वजह से आजाद जंगली क्षेत्र पर बढ़ता दबाव। बीते 70 वर्षों में यह स्थिति सुधरी नहीं, बल्कि और बिगड़ गई है। ऐसे में पहला सवाल यही है कि आखिर इन जानवरों को लाने की कोशिश क्यों की गई?
Cheetah Returns: ऐसा नहीं है कि विशेषज्ञों ने चीतों को भारत लाने पर चिंता जताई है, बल्कि कुछ वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स ने भारत में चीतों को रखे जाने को लेकर सकारात्कमक रवैया भी रखा है। वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के डीन यादवेंद्र झाला ने नेशनल ज्योग्राफिक से बातचीत में कहा कि चीते जाहिर तौर पर शानदार जीव हैं। यह भारत में इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने का अहम जरिया बनेंगे। अगर चीते भारत आए हैं तो सरकारें इन्हें बढ़ावा देने और इनके पालन-पोषण के लिए फंड्स भी खर्च करेंगी। ताकि भारत में जैव-विविधता को बरकरार रखा जा सके।
Cheetah Returns: चीतों को भारत लाए जाने के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी एक लेख लिखा है। इसमें उन्होंने इस फैसले के पीछे के तर्क देते हुए कहा कि चीतों को भारत लाना उन गलतियों को सुधारने की दिशा में एक कदम है, जिनकी वजह से कभी भारत में यह जीव विलुप्त हो गए थे। उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में भारत ने कई ऐसी प्रजातियों को बचाया है, जिनकी संख्या नाजुक स्थिति में थी। इनमें बाघ से लेकर शेर, एशियाई हाथी, घड़ियाल और एक सींग वाले गैंडे शामिल रहे। उन्होंने कहा कि चीतों को भारत लाना देश में ऐतिहासिक विकासवादी संतुलन को बनाए रखने की ओर अहम कदम साबित होगा।