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Supreme Court Online Portal: उच्चतम न्यायालय में खुला ऑनलाइन RTI पोर्टल
Supreme Court Online Portal: सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन RTI पोर्टल की शुरुआत कर दी। यानी अब सूचना अधिकार कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट से जानकारी पाने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन करने के लिए आपको registry.sci.gov.in/rti_app पोर्टल पर जाना होगा।
Supreme Court Online Portal: इस पोर्टल registry.sci.gov.in/rti_app के ज़रिए आप आसानी से आवेदन कर सकते हैं। सबसे पहले आवेदनकर्ता को लॉगिन आईडी बनानी होगी। इसके बाद मांगी जा रही सूचना का फॉर्म भरना होगा। और अंत में 10 रुपये का शुल्क ऑनलाइन पे करना होगा।
बता दें कि चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने बीते सप्ताह एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि बहुत जल्द सुप्रीम कोर्ट का ऑनलाइन RTI पोर्टल शुरू होगा। सुप्रीम कोर्ट भी सूचना अधिकार कानून, 2005 के तहत एक पब्लिक ऑफिस है, जिसके कामकाज से जुड़ी सूचना नागरिक मांग सकते हैं। 13 नवंबर 2019 को दिए एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय को भी ‘पब्लिक ऑफिस’ करार दे चुका है।
Supreme Court Online Portal: सूचना अधिकार कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट से जानकारी के मामले में यह जान लें कि सुप्रीम कोर्ट या चीफ जस्टिस के कार्यालय से उनके प्रशासनिक आदेशों के बारे में जानकारी मांगी जा सकती है। मगर जजों के न्यायिक कामकाज की नहीं।
गौर करें तो साल 2019 में दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि सूचना देते समय किसी की निजी और गोपनीय जानकारी को सार्वजनिक न करने की भी कोशिश होनी चाहिए। लोगों के जानने के अधिकार और निजता के अधिकार में संतुलन बनाना जरूरी है।
Supreme Court Online Portal: वर्ष 2019 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया था कि कुछ मामलों में RTI एक्ट की धारा 11 लागू होगी। इस धारा के तहत यह व्यवस्था है कि जब सूचना किसी तीसरे व्यक्ति से जुड़ी हो, तो सूचना अधिकारी उसे देने से पहले उस व्यक्ति की इजाजत लेगा। कुछ साल पहले हाइकोर्ट के एक जज ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखकर खुद को प्रभावित किए जाने की कोशिश की जानकारी दी थी। ऐसी जानकारी धारा 11 के तहत आती है।
Supreme Court Online Portal: चिट्ठी भेजने वाले जज की अनुमति के बिना उसकी जानकारी किसी को नहीं दी जा सकती है। उसी तरह कॉलिजियम ने बतौर जज किसी व्यक्ति की नियुक्ति से क्यों मना किया, इसकी जानकारी भी सेक्शन 11 के तहत आ सकती है। क्योंकि जिसका नाम खारिज किया गया, उसका आधार क्या था, इसकी जानकारी देने से व्यक्ति की निजता प्रभावित हो सकती है। उसके सम्मान को भी चोट पहुंच सकती है।