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NDTV& GAUTAM ADANI : “एनडीटीवी के केस में भी ऑनर और एडिटोरियल के बीच स्पस्ट रेखा रहेगी

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एनडीटीवी के 29 प्रतिशत शेयर को अदानी की कंपनी ने बाजार से खरीद लिया । शेयर मार्केट के लिए यह साधारण घटना नहीं थी। उसके बाद इसके मालिक और संस्थापक तथा पत्रकार प्रणव राय और उनकी पत्नी के शेयर के मुकाबले अदानी की हैसियत बढ़ गई। इसके बाद भी निर्भर करता था कि बाजार में बिखरे हुए शेयर धारक के शेयर को खरीदकर प्रणव राय अपनी हैसियत ऊंची बनाए रखते या दूसरी संभावना यह थी की अदानी मार्केट के शेयर को खरीद कर ग्रुप पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लेते।
एनडीटीवी एक बड़ा समूह है जिसके साथ कई चैनल हैं। एनडीटीवी इंडिया जो हिंदी का न्यूज़ चैनल है।उसी तरह भारतीय टेलिविजन पत्रकारिता में रवीश कुमार की हैसियत भी बहुत ऊंची है और यह भाजपा के विरुद्ध तीखी पत्रकारिता करते रहे हैं। कई बार यह पत्रकार वाली तटस्थता से ऊपर राजनीतिक पक्षकार भी बन जाते हैं। रवीश कुमार के समर्थक उनसे यही अपेक्षा करते हैं कि वह ऑब्जेक्टिव या पक्षधर तो रहे परंतु निष्पक्षता बरकरार रखें। एनडीटीवी में रवीश कुमार की तूती बोलती थी और दर्शकों की यह चिंता थी कि अडानी के द्वारा अधिग्रहण कर लिए जाने की सूरत में रवीश कुमार क्या करेंगे। रवीश कुमार ने पहले तो अपना एक यूट्यूब चैनल बना लिया और बाद में वे एनडीटीवी से क्विट कर गए। इस प्रसंग पर पहले से काफी कुछ लिखा गया है।

गौतम अडानी का एक लंबा लेख हिंदी के एक अखबार के मुख्य पेज पर एक्सक्लूसिव पावर फीचर के रूप में छपा है। इसमें इन्होंने अपने ग्रुप के बारे में विस्तार से बताया है और यह दावा किया है कि भारत विकासशील देश से विकसित देश में बदल सकता है बशर्ते की भारत इंफ्रास्ट्रक्चर में तरक्की कर ले। रोड एयरपोर्ट हवाई सेवा बिजली पोर्ट इत्यादि इंफ्रास्ट्रक्चर में इस ग्रुप में अपनी दावेदारी बना रखी है। अदानी ने अपने इसी विज्ञापित इंटरव्यू में यह भी कहा है कि महामारी के बाद सफल वेक्सिनेशन प्रोग्राम उम्मीद से परे थी , जिसे भारत ने पूरा किया। यह भारत के अर्थव्यवस्था की मजबूती का सबूत है।

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर यानी विनिर्माण का क्षेत्र गौतम अडानी के अनुसार उड़ान भरने वाला है। विदेशी निवेशक पैसा लगाने के लिए लाइन में खड़े हैं। भारत विश्व पटल पर उम्मीद का दूसरा नाम है । इसी समय जी-20 की अध्यक्षता भी भारत को मिली है।यह भारत के लिए अपार संभावनाओं का समय है।

यह सब वही दावे हैं जो आमतौर पर कॉरपोरेट सेक्टर कर सकता है। इन उपलब्धियों के नीचे जो कुछ गलत हो रहा है अडानी उस बारे में ना बोल रहे हैं ना यह उनका दायित्व है।

गौतम अडानी ने मीडिया में अपनी इंट्री के सवाल पर और एनडीटीवी अधिग्रहण को लेकर प्रेस फ्रीडम पर लगाम कसने की कोशिश के संदर्भ में अडानी से सवाल पूछा गया तो गौतम अडानी ने विस्तार से और साफगोई से जो बातें कहीं हैं, औऱ गौर करने और जांच किए जाने लायक है।

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NDTV के मसले पर…
अडानी कहते हैं कि कॉरपोरेट जगत का मीडिया में प्रवेश और मीडिया चलाने वालों का दूसरे कारोबार में फैलना यह तो सालों से होता रहा है । गौतम अडानी दावा करते हैं कि, “सिर्फ भारत ही नहीं पूरी दुनिया में ऐसा होता है, लेकिन चुकी यह गौतम अडानी कर रहे हैं तो शोर होना ही है।”

.गौतम अडानी कहते हैं, कि “मैंने पहले ही स्पष्ट किया है कि एनडीटीवी अधिग्रहण एक सामाजिक जिम्मेदारी है , न कि लाभ के लिए किया गया अधिग्रहण। हिंदुस्तान में बहुत अच्छे मीडिया ग्रुप हैं, लेकिन मेरी चाहत है कि हम NDTV के माध्यम से एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के ब्रांड का निर्माण करें। एनडीटीवी एक बहुत ही अच्छा ब्रांड है और उसमें वह सारे गुण मौजूद हैं जो एक अच्छे ब्रांड में होने चाहिए।

NDTV के संदर्भ मे अडानी ने कहा कि “आवश्यकता है तो सही सोच रणनीति तकनीक विधि और मानव संसाधन की, जिसके माध्यम से एनडीटीवी अपनी काबिलियत के अनुरूप अंतरराष्ट्रीय स्तर का मुकाम पा सके। मैं यह भी बताना चाहूंगा कि मेरी सारी कंपनियों के सीईओ स्वतंत्र हैं, और मेरा उनके डे टू डे कार्यों में किसी भी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं है। मेरी भूमिका रणनीति तक ही सीमित है। एनडीटीवी के केस में भी ऑनर और एडिटोरियल ( संपादकीय काम) के बीच में बड़ी स्पष्ट लक्ष्मण रेखा रहेगी।”

गौतम अडानी खुद एक नया ब्रांड खड़ा कर सकते थे, परंतु उन्होंने शेयर मार्केट के माध्यम से एनडीटीवी की तरफ ध्यान लगाया। इस बारे में उनके दावे की सही शिनाख्त तो प्रणव राय और उनकी पत्नी कर सकते हैं। परंतु एनडीटीवी इंडिया (हिंदी ) भी एक लोकप्रिय और अच्छा ब्रांड है, जिसमें से रवीश कुमार को निकल जाना पड़ा। हो सकता है कि उनसे कोई बात नहीं की गई हो और उन्हें कोई ऐसा भरोसा नहीं दिया गया हो जैसा कि अडानी दावा करते हैं।

इसमें संदेह की गुंजाइश नहीं है की गौतम अडानी GAUTAM ADANI एनडीटीवी NDTV को लेकर महत्वाकांक्षी होंगे परंतु एनडीटीवी NDTV ने गोदी मीडिया (GODI MEDIA)की भूमिका को चुनौती देकर अपने को खड़ा रखा था। ऐसे में अडानी ADANI समूह द्वारा एनडीटीवी (NDTV) का अधिग्रहण लगातार लोगों की निगरानी में रहेगा। और जैसे ही कोई मीडिया समूह स्वतंत्र हैसियत को गवा देता है तो उसे अधिग्रहित करने वाला व्यक्ति जब प्रेस की स्वतंत्रता की बात करता है तो वह हमेशा संदेह के घेरे में बना रहेगा।

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