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परवेज मुशर्रफ 20 जून 2001 से 18 अगस्त 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे
Parvez Musharraf: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का रविवार को दुबई के अस्पताल में निधन हो गया। निधन हो गया। वे 79 साल के मुशर्रफ लंबे समय से अमाइलॉइडोसिस बीमारी से जूझ रहे थे। दुबई के अस्पताल में उनका इलाज किया जा रहा था। परवेज मुशर्रफ 20 जून 2001 से 18 अगस्त 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे।
बता दें कि मई 2016 में पाकिस्तान की कोर्ट ने देशद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे परवेज मुशर्रफ को भगोड़ा घोषित किया था। जिसके बाद वे दुबई चले गए थे।
मुशर्रफ कई महीने से अस्पताल में भर्ती थे। उनके परिवार ने ट्विटर पर कहा था कि वे अमाइलॉइडोसिस नाम की बीमारी से जूझ रहे हैं, जिसके चलते उनके सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया है। अब रिकवरी की भी कोई गुंजाइश बाकी नहीं है।
गौर करें तो अमाइलॉइडोसिस में इंसान के शरीर में अमाइलॉइड नाम का असामान्य प्रोटीन बनने लगता है। यह दिल, किडनी, लीवर, नर्वस सिस्टम, दिमाग आदि अंगों में जमा होने लगता है, जिस वजह से इन अंगों के टिशूज ठीक से काम नहीं कर पाते।
बता दें कि कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद 21 साल की उम्र परवेज मुशर्रफ ने बतौर जूनियर अफसर पाकिस्तानी आर्मी ज्वॉइन की थी। उन्होंने 1965 के युद्ध में भारत के खिलाफ लड़ाई लड़ी। ये युद्ध पाकिस्तान हार गया। हालाँकि हार के बावजूद बहादुरी से लड़ने के लिए पाकिस्तान सरकार की ओर से मुशर्रफ को मेडल दिया गया।
Parvez Musharraf: 1971 के युद्ध में भी मुशर्रफ की महत्वपूर्ण भूमिका रही। जिसे देखते हुए सरकार ने उन्हें कई बार प्रमोट किया। 1998 में परवेज मुशर्रफ जनरल बने। उन्होंने भारत के खिलाफ कारगिल की साजिश रची। लेकिन बुरी तरह से असफल रहे। अपनी जीवनी ‘इन द लाइन ऑफ फायर-अ मेमॉयर’ में जनरल मुशर्रफ ने लिखा कि उन्होंने कारगिल पर कब्जा करने की कसम खाई थी। लेकिन नवाज शरीफ की वजह से वो ऐसा नहीं कर पाए।
मुशर्रफ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिलना चाहते थे, लेकिन तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार टालमटोल कर रही थी। लेकिन मुशर्रफ ने वाजपेयी से मिलने की ठान ली थी। यह मुलाकात 18 अप्रैल 2005 को हुई। मुशर्रफ ने पाकिस्तान वापसी के लिए पालम हवाई अड्डे जाते समय अपना काफिला 6 कृष्ण मेनन मार्ग पर रुकवा दिया था। वे अटल बिहारी वाजपेयी से मिले और कहा, ‘सर, अगर आप प्रधानमंत्री होते तो आज दोनों देशों के बीच के रिश्ते कुछ और होते।’
साल 1998 में तत्कालीन पाक पीएम नवाज शरीफ ने परवेज मुशर्रफ पर भरोसा करके उन्हें पाकिस्तानी सेना का प्रमुख बनाया। लेकिन एक साल बाद ही 1999 में जनरल मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्तापलट कर दिया और पाकिस्तान के तानाशाह बन गए। उनके सत्ता संभालते ही नवाज शरीफ को परिवार समेत पाकिस्तान छोड़ना पड़ा था।
सत्ता में रहते हुए जनरल मुशर्रफ ने बलूचिस्तान में आजादी की मांग करने वालों के साथ काफी बुरा सुलूक किया। इस दौरान सैकड़ों लोगों की हत्या कर दी गई। यही कारण है कि सत्ता जाने के बाद में बलूच महिलाओं ने अमेरिका से जनरल मुशर्रफ को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की मांग की थी।
पाकिस्तान में 3 नवंबर 2007 की इमरजेंसी और फिर मार्शल लॉ की घोषणा के मामले में 2013 में मुशर्रफ पर देशद्रोह का केस चला। इसके बाद नवाज शरीफ की सरकार ने अप्रैल 2013 में उनकी अंतरराष्ट्रीय यात्राओं पर बैन लगा दिया था। हालांकि परवेज मुशर्रफ ने 18 मार्च 2016 की सुबह पाकिस्तान छोड़ दिया था। देश छोड़ने की वजह खराब सेहत बताई थी।
बता दें कि परवेज मुशर्रफ का परिवार बंटवारे से पहले भारत में काफी संपन्न था। उनके दादा टैक्स कलेक्टर थे। उनके पिता भी ब्रिटिश हुकूमत में बड़े अफसर थे। मुशर्रफ की मां बेगम जरीन 1940 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ती थीं। मुशर्रफ परिवार के पास पुरानी दिल्ली में एक बड़ी कोठी थी। अपने जन्म के 4 साल बाद तक मुशर्रफ ज्यादातर यहीं रहे।