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Om Birla: संसद में चिल्लाने और व्यवधान पैदा करने से कोई नेता नहीं बनता: ओम बिरला

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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (( om birla) ने संसद और विधानसभाओं में हंगामे को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने बुधवार को  गुजरात विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों के लिए दो दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहाकि यह लोकतंत्र के लिए उचित नहीं हैं।

ओम बिड़ला - भारतकोश, ज्ञान का हिन्दी महासागर

अपने संबोधन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहाकि आजकल संसद और राज्य विधानसभाओं में आरोप-प्रत्यारोप की जो ‘नई परंपरा’ चल रही है, वह देश के संवैधानिक लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। लोकतंत्र को ‘जीवंत और सक्रिय’ बनाने के लिए सदनों में रचनात्मक बहस और चर्चा की जानी चाहिए। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ने एक अच्छा नेता बनने के गुर भी बताए। 

 

कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में आलोचना एक ‘शुद्धि यज्ञ’ (शुद्धिकरण अनुष्ठान) है। आगे उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि जहां भी जरूरी हो, विपक्ष को सरकार की नीतियों की आलोचना करनी चाहिए, उन्हें रचनात्मक सुझाव देना चाहिए। बजाय इसके इस समय इन संस्थानों में आलोचना के बजाय आरोप-प्रत्यारोप की नई परंपरा देखी जा रही है। यह देश के संवैधानिक लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। 

 

इन दिनों एक नई व्यवस्था देखने को मिल रही है- सुनियोजित तरीके से सदनों को बाधित करने की। यह विधानसभा अध्यक्षों की बैठकों में भी देखी गई है। राज्यपाल/राष्ट्रपति के भाषण में व्यवधान पैदा करना संवैधानिक लोकतंत्र की अच्छी परंपरा नहीं है। जब कोई राज्यपाल या राष्ट्रपति भाषण देता है तो वह संवैधानिक रूप से श्रेष्ठ होता है। इसलिए, कोई भी पार्टी सत्ता में हो, हमें अपनी परंपरा का पालन करना चाहिए।

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गुजरात विधानसभा में नवनिर्वाचित सदस्यों के लिए प्रबोधन कार्यक्रम का शुभारंभ किया। गुजरात ने ऐसे अनेक महान व्यक्तित्व दिए हैं जिन्होंने देश को गौरवान्वित किया। आशा है यह सदस्य उनसे प्रेरणा प्राप्त कर लोकतंत्र सशक्तिकरण तथा आमजन के जीवन में रचनात्मक बदलाव लाने में अहम योगदान देंगे।

 

उन्होंने कहा कि नारे लगाने, चिल्लाने और व्यवधान पैदा करने से कोई नेता नहीं बनता, बल्कि चर्चा, बहस और संवाद से नेता बनता है।  लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि लोकतंत्र को जीवंत और सक्रिय बनाने के लिए चर्चा, बहस और कानून बनाने में सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है। साथ ही, जब हम कानून बनाते हैं, तो हमें लोगों और विशेषज्ञों से सुझाव और अलग-अलग इनपुट लेने चाहिए।

 

इस दौरान उन्होंने बताया कि मॉडल उपनियम तैयार करने का काम मार्च तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद सदनों की कार्यवाही में एकरूपता लाने के प्रयास में क्या अपनाया जा सकता है, यह देखने के लिए इसे विधानसभाओं में चर्चा के लिए भेजा जाएगा।

 

गुजरात विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों के लिए दो दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम को लेकर उन्होंने कहा कि इस विधानसभा में बनाए गए कानून राज्य के औद्योगिक और सामाजिक विकास के कारण बने है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि नव-निर्वाचित विधायकों को पिछली बहसों और चर्चाओं का अध्ययन करना चाहिए और उनसे ज्ञान प्राप्त करना चाहिए।

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