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आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम की दोबारा चली गई विधायकी

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सपा नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम की दूसरी बार विधायकी रद हो गई। दोनों ही बार यूपी की रामपुर की स्वार सीट से जीते थे।

 

बता दें कि हाईकोर्ट ने दिसंबर 2019 में अब्दुल्ला आजम के स्वार विधानसभा सीट से निर्वाचन को निरस्त कर दिया था। अब्दुल्ला ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन वहां से भी उनकी याचिका खारिज हो गई। वहीं चुनाव जीतने के लगभग 11 माह के अंदर दोबारा उनकी विधायकी चली गई।

 

यूपी की सियासत में अब्दुल्ला आजम ऐसा पहला उदाहरण हैं जब एक व्यक्ति की विधायकी दो बार निरस्त की गई। अब्दुल्ला आजम ने पहली 2017 में रामपुर जिले की स्वार विधानसभा सीट से सपा की टिकट पर भारी मतों से जीते भी थे। उनके मुकाबले बसपा से चुनाव लड़े नबाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने उनके निर्वाचन को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

 

नवेद मियां ने हाईकोर्ट में चुनावी याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि अब्दुल्ला आजम ने जब 2017 के विधानसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था उस वक्त उनकी उम्र 25 साल से कम थी। हाईकोर्ट ने दिसंबर 2019 में अब्दुल्ला आजम के निर्वाचन को निरस्त कर दिया था। अब्दुल्ला ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन वहां से भी उनकी याचिका खारिज हो गई।

 

सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को बहाल रखा था। इसके बाद अब्दुल्ला आजम ने फिर से 2022 में स्वार विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। चुनाव जीतने के 11 माह के अंदर दोबारा उनकी विधायकी चली गई। वजह यह रही कि उनको मुरादाबाद की कोर्ट ने एक मामले में दो साल की सजा सुनाई दी थी।

 

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बता दें कि सपा नेता आजम खां के बाद अब उनके बेटे अब्दुल्ला आजम की भी विधानसभा सदस्यता रद्द हो गई है। उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने अब्दुल्ला आजम की स्वार विधानसभा सीट को रिक्त घोषित किया है। पंद्रह साल पुराने छजलैट प्रकरण में सपा नेता आजम खां और उनके बेटे सपा विधायक अब्दुल्ला आजम को अदालत दो साल की सजा सुनाई है। दोनों पर तीन-तीन हजार रुपये जुर्माना लगाया है।

 

गौर करें को 2 जनवरी 2008 पूर्व मंत्री और रामपुर के पूर्व विधायक आजम खां अपने परिवार के साथ मुजफ्फरनगर में एक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे। छजलैट थाने के सामने वाहन चेकिंग के दौरान आजम खां की गाड़ी पुलिस ने रुकवा ली थी। इसके विरोध में आजम खां और उनके बेटे स्वार-टांडा विधानसभा सीट से विधायक अब्दुल्ला आजम सड़क पर धरने पर बैठ गए थे। इसकी सूचना मिलने पर आसपास के जनपदों से सपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी मौके पर पहुंच गए थे। 

आरोप है कि आम जनता को उकसा कर सड़क जाम करते हुए बवाल किया था और सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न की थी।

इस मामले में रामपुर के पूर्व विधायक आजम खां, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम, मुरादाबाद देहात विधान सभा क्षेत्र से पूर्व विधायक हाजी इकराम कुरैशी, बिजनौर की नूरपुर विधानसभा सीट के पूर्व विधायक नईम ऊल हसन, नगीना से सपा विधायक मनोज पारस, अमरोहा के सपा विधायक महबूब अली, राजेश यादव, डीपी यादव, पूर्व महानगर अध्यक्ष राजकुमार प्रजापति को आरोपी बनाया गया था।

इस केस की सुनवाई वर्ष 2019 से मुरादाबाद की एमपी एमएलए मजिस्ट्रेट स्मृति गोस्वामी की कोर्ट में की जा रही थी। विशेष लोक अभियोजक मोहन लाल विश्नोई ने बताया कि अदालत पत्रावली पर मौजूद साक्ष्यों के आधार पर आजम खां और अब्दुल्ला आजम को दोषी करार दिया है। आजम खां और अब्दुल्ला आजम को दो-दो साल की सजा सुनाई है और तीन-तीन हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

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