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UP Nagar Nikay Chunao: यूपी नगर निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी

OBC आरक्षण के साथ होगा यूपी नगर निकाय चुनाव

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UP Nagar Nikay Chunao: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यूपी सरकार ने पिछड़ों के आरक्षण को लेकर रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंप दी है। बता दें कि कोर्ट के आदेश पर निकाय चुनाव में पिछड़ों का आरक्षण तय करने के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। जिसे अब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दिया। इसी रिपोर्ट के आधार पर आज सुनवाई हुई।

इस सुनवाई के बाद उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय चुनावों का रास्ता साफ हो गया। यह देखते हुए कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण के मुद्दे की जांच के लिए गठित एक समर्पित आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने के लिए अधिसूचना जारी करने की अनुमति दे दी।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि हमारे आदेश के बाद यूपी सरकार ने यूपी पिछड़ा वर्ग आयोग के लिए एक अधिसूचना जारी की थी। पीठ ने आदेश में नोट किया, ‘हालांकि आयोग का कार्यकाल छह महीने का था, इसे 31 मार्च 2023 तक अपना कार्य पूरा करना था, लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि आयोग की रिपोर्ट नौ मार्च को प्रस्तुत कर दी गई। स्थानीय निकाय चुनावों के लिए अधिसूचना जारी करने की कवायद जारी है और इसे दो दिनों में जारी किया जाएगा।’

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UP Nagar Nikay Chunao: कोर्ट ने यह स्पष्ट करते हुए मामले का निस्तारण कर दिया कि उसके आदेश में दिए गए निर्देशों को मिसाल के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इस महीने की शुरुआत में जस्टिस (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह, जिन्होंने आयोग का नेतृत्व किया, और 4 अन्य सदस्य – सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी चोब सिंह वर्मा, महेंद्र कुमार और पूर्व अतिरिक्त कानून सलाहकार संतोष कुमार विश्वकर्मा और ब्रजेश कुमार सोनी ने मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात कर उन्हें रिपोर्ट सौंपी थी। वहां पर शहरी विकास मंत्री एके शर्मा और शहरी विकास विभाग के अधिकारी भी उपस्थित थे।

जानकारी के मुताबिक, आयोग ने तीन महीने से भी कम समय में राज्य के सभी 75 जिलों का दौरा करने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की। यह बताया गया कि आयोग ने 5 दिसंबर, 2022 को अधिसूचित शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण पर कई विसंगतियां पाईं और उन्हें हटाने की सिफारिश की है।

गौर करें तो चार जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण दिए बिना शहरी स्थानीय निकाय चुनावों को आगे बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग को दिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने तब कहा था कि नगरपालिकाओं का लोकतंत्रीकरण करना और अनुच्छेद- 243टी के तहत नगरपालिकाओं की संरचना में सही प्रतिनिधित्व देना, दोनों ही संवैधानिक आदेश हैं।

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