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G20 Summit: कश्मीर में G20 समिट पर संयुक्त राष्ट्र को इंडिया का करारा जवाब: कहा- घाटी में माइनॉरिटीज का इश्यू नहीं
G20 Summit: कश्मीर में होने वाली G20 मीटिंग को लेकर एक UN अफसर के कमेंट्स को भारत ने खारिज कर दिया। इस अफसर ने घाटी में अल्पसंख्यकों के मुद्दे को लेकर चिंता जताई थी।
G20 Summit: UN में इंडियन मिशन ने मंगलवार को इन आरोपों का जवाब दिया। कहा- इस तरह के आरोप बेबुनियाद और झूठे हैं। भारत इन्हें खारिज करता है। बतौर G20 प्रेसिडेंट भारत को यह हक है कि वो देश के किसी भी हिस्से में इस समिट की मीटिंग्स ऑर्गेनाइज करे। साथ ही भारत ने साफ कर दिया है कि G20 की मीटिंग्स की जगह वो सिर्फ अपनी मर्जी से तय करेगा।
कुछ दिन पहले UN के माइनॉरिटीज अफेयर्स रिप्रेजेंटेटिव फर्नांड डि‘वर्नेस ने जम्मू-कश्मीर और वहां माइनॉरिटीज के इश्यूज पर बयान जारी किया था। भारत सरकार ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया है। गौर करें तो श्रीनगर में G20 की मीटिंग्स इसी महीने 24 और 25 तारीख को होने वाली है।
G20 Summit: UN में भारतीय मिशन ने कहा- फर्नांड का बयान बेहद गैर-जिम्मेदाराना है। वो जम्मू-कश्मीर के मामले को सियासी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अपने ओहदे का गलत इस्तेमाल करते हुए सोशल मीडिया पर पब्लिसिटी हासिल करने की कोशिश की है। उन्होंने जो कुछ कहा है वो हकीकत में पहले से बनी सोच का नतीजा है और यह UN रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर गलत हरकत है।
वर्नेस ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था। इसमें कहा था कि जम्मू-कश्मीर में G20 मीटिंग कराने का फैसला गलत है। उन्होंने घाटी में मानवाधिकारों को लेकर फिक्रमंदी जाहिर की थी। साथ ही भारत पर ताकत के बेजा इस्तेमाल का आरोप लगाया था। इसमें माइनॉरिटीज को दबाने का आरोप भी शामिल था। जान लें कि G20 मीटिंग्स सालभर होती हैं। इस साल G20 की प्रेसिडेंसी भारत के पास है।
G20 Summit: इसी महीने है मीटिंग श्रीनगर में G20 की मीटिंग्स 22 से 24 मई के बीच होंगी। इस मामले को सबसे पहले तूल पाकिस्तान की तरफ से दिया गया था। जैसे ही कश्मीर में G20 मीटिंग कराने का ऐलान हुआ था, पाकिस्तान ने यह मुद्दा उठाया था। पाकिस्तान ने कहा था कि कश्मीर विवादित जगह है और जब तक इस मसले का हल नहीं होता, तब तक वहां कोई इंटरनेशनल समिट नहीं हो सकती।
वहीं 4 और 5 मई को गोवा में G20 के फॉरेन मिनिस्टर्स की मीटिंग में पाकिस्तान के फॉरेन मिनिस्टर बिलावल भुट्टो जरदारी भी शामिल हुए थे। उन्होंने भी इशारों में इस मसले को प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाया था।
इसके जवाब में भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था- G20 की मीटिंग्स कहां होंगी और कहां नहीं, इससे उस देश का कोई ताल्लुक नहीं हो सकता जो इस ऑर्गेनाइजेशन का मेंबर ही नहीं है। जम्मू-कश्मीर भारत का अटूट हिस्सा था, है और रहेगा। हम अपने देश में जहां चाहेंगे, वहां इसकी मीटिंग करा सकते हैं।
G20 Summit: बता दें कि यूरोपियन यूनियन मिलकर जी-20 का निर्माण करते है। इसमें 20 देशों के अध्यक्षों की वार्षिक बैठक होती है, जिसको जी-20 शिखर सम्मेलन के नाम से जाना जाता है।
इस सम्मेलन में सभी देशों के मुख्य विषय यानी आतंकवाद, आर्थिक परेशानी, ग्लोबल वॉर्मिंग, स्वास्थ्य और अन्य जरूरी मुद्दों पर चर्चा की जाती है। पूरी दुनिया में जितना भी आर्थिक उत्पादन होता है उसमें 80% योगदान इन्हीं जी 20 देशों का होता है।
जी20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, जर्मनी, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्किये, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं।
पिछले साल इंडोनेशिया में G20 समिट हुई थी। यहीं भारत को अध्यक्षता सौंपी गई थी।
G-20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का मुख्य फोरम है, क्योंकि इसके सदस्य देशों के पास दुनिया की GDP का 85% हिस्सा है। इसमें दुनिया का 75% इंटरनेशनल ट्रेड भी शामिल है। इन देशों में दुनिया की दो तिहाई जनसंख्या रहती है।
भारत 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक जी-20 की अध्यक्षता करेगा। 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य के पुनर्गठन के बाद कश्मीर में ऐसा पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन होगा।
चीन और पाकिस्तान जी-20 बैठक जम्मू-कश्मीर में कराए जाने का विरोध कर रहे हैं। पाकिस्तान G-20 में शामिल अपने समर्थक देशों को साधकर इस बैठक का विरोध कर रहा था। चीन ने मार्च में ही कहा था कि जी-20 की बैठक जम्मू-कश्मीर में नहीं होनी चाहिए। अब श्रीनगर में ये बैठक होने से माना जा रहा है कि चीन इससे दूरी बना सकता है।
G20 Summit: जी-20 की अध्यक्षता कर रहा भारत पहले ही कह चुका है कि देश के 28 राज्यों में जी-20 से जुड़ी बैठकों का आयोजन किया जाएगा। इसी के तहत अरुणाचल और कश्मीर में भी यह बैठकें रखी गई हैं। अरुणाचल की राजधानी ईटानगर में मार्च के आखिरी हफ्ते में हुई जी-20 की बैठक से भी चीन दूर रहा था। दरअसल, अरुणाचल को चीन भारत का हिस्सा नहीं मानता है और इसके विरोध में वह मीटिंग में शामिल नहीं हुआ।