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बिहार में 1 लाख से ज्यादा शिक्षकों की नौकरी पड़ी मुश्किल में

1 लाख से अधिक शिक्षकों की जा सकती है नौकरी

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पटना: बिहार के सरकारी स्कूलों में पंचायती राज और नगर निकाय के तहत जिन शिक्षकों की नियुक्ति 2006 से 2015 के दौरान हुई थी उन्हें अबतक प्रमाण पत्र नहीं मिले। उनकी नौकरी जाने वाली है। साल 2006 से 2015 के बीच किए गए नियुक्त शिक्षकों में से जिनके फोल्डर निगरानी जांच के लिए विशेष तौर पर शिक्षा विभाग के वेब पोर्टल पर अब तक अपलोड नहीं किये गये हैं, उनकी नौकरी पर तलवार लटक रही है। राज्य सरकार द्वारा इससे संबंधित निर्णय लिया जा चुका है।

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प्राथमिक शिक्षा निदेशक रवि प्रकाश ने राज्य के सभी जिलों से शिक्षा विभाग द्वारा एनआईसी की मदद से तैयार वेब पोर्टल पर इन शिक्षकों के नाम तथा प्रमाणपत्र अब तक अपलोड नहीं होने का कारण पूछा है। रवि प्रकाश ने तमाम जिलों में शिक्षक के फोल्डर, उनके नाम और प्रमाणपत्र अपलोड नहीं किए जाने का कारण पूछा है। उन्होंने बीते साल 19 अगस्त को भेजे गए निर्देश को याद दिलाया।

सीएम नीतीश कुमार ने 3 फरवरी 2022 को नियोजित शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की निगरानी जांच की समीक्षा की गई थी। उस दौरान शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने तभी बताया था कि तकरीबन 1.03 लाख शिक्षकों के फोल्डर निगरानी जांच के लिए अब तक अनुपलब्ध हैं। विभाग ने यह निर्णय कर लिया है कि ऐसे शिक्षकों की नौकरी समाप्त की जाएगी जिन्हें प्रमाणपत्र नहीं मिले हैं।

 

 

 

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