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Ghosi Bypoll: सवर्ण प्रत्याशी, PDA का समीकरण से यूपी की घोसी असेंबली जीत से अखिलेश यादव को पूर्वांचल फतह का फॉर्मूला मिल गया।
घोसी में समाजवादी पार्टी ने इस बार राजपूत बिरादरी से आने वाले सुधाकर सिंह को मैदान में उतारा था। सुधाकर के प्रचार के लिए अखिलेश ने पिछड़े, दलित और मुस्लिम नेताओं को कमान सौंप रखी थी.
घोसी उपचुनाव के नतीजे ने क्या अखिलेश यादव को पूर्वांचल फतह का फॉर्मूला दे दिया है? घोसी में सपा की जीत के बाद अखिलेश के एक पोस्ट से इसकी चर्चा तेज हो गई है? जीत के बाद सपा सुप्रीमो ने लिखा कि इंडिया टीम और पीडीए की रणनीति जीत का सफल फॉर्मूला साबित हुआ।
पिछड़ा, दलित और मुस्लिम बहुल घोसी में सपा ने इस बार राजपूत बिरादरी से आने वाले सुधाकर सिंह को मैदान में उतारा था. सुधाकर के प्रचार के लिए अखिलेश ने पिछड़े, दलित और मुस्लिम नेताओं को कमान सौंप रखी थी।
अखिलेश की यह रणनीति काम कर गई और घोसी में सपा ने बीजेपी के कोर वोटबैंक माने जाने वाले सवर्ण वोटरों में भी सेंध लगा दिया। मतगणना के दौरान सुधाकर बैलेट राउंड से ही बढ़त बनाने में कामयाब दिखे। चुनाव में सुधाकर को करीब 1 लाख 25 हजार वोट मिले।
चुनाव आयोग के मुताबिक कुल 2 लाख 15 हजार वोट घोसी उपचुनाव में पड़े थे। यानी सुधाकर 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट लाने में सफल रहे।
हाल ही में अखिलेश यादव ने एक कार्यक्रम में पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) का जिक्र किया था। अखिलेश के मुताबिक बीजेपी शासन में इन तीनों वर्गों का दोहन हो रहा है, इसलिए सपा इन्हें साथ लेकर चुनाव लड़ेगी। सपा ने इसके बाद ‘एनडीए को हराएगा पीडीए’ का नारा भी दिया था।
जानकारों का कहना है कि पीडीए मुलायम के माय (मुस्लिम + यादव) समीकरण का ही एक विस्तार है। अखिलेश की नज़र मायावती के उन वोटरों पर हैं, जो अभी तक बीजेपी में शिफ़्ट नहीं हुआ है। या बीएसपी की राजनीति को लेकर कन्फ्यूज है।
हाल के दिनों में उन वोटरों को साधने के लिए अखिलेश ने पार्टी के भीतर कई प्रयोग भी किए हैं। सपा के भीतर पहली बार बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर वाहिनी का गठन किया गया है। इसकी कमान बीएसपी कैडर से आए मिठाई लाल भारती को सौंपी गई है।
इसी तरह ग़ैर यादव पिछड़े और दलितों को साधने के लिए अखिलेश बीएसपी से आए स्वामी प्रसाद मौर्या, इंद्रजीत सरोज, रामअचल राजभर और लालजी वर्मा की मदद से रहे हैं। सियासी गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि पीडीए रणनीति को ही सफल बनाने के लिए विवादित बयान देने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य पर अखिलेश कोई कार्रवाई नहीं करते हैं।
पूर्वांचल में लोकसभा की 26 सीटें हैं, जिसमें गोरखपुर, वाराणसी, आज़मगढ़, बलिया, घोसी, गाजीपुर, चंदौली, कुशीनगर, देवरिया, सलेमपुर, मिर्ज़ापुर, रॉबर्ट्सगंज, अंबेडकरनगर, जौनपुर आदि शामिल हैं।
2019 में बीजेपी को घोसी, आज़मगढ़, गाजीपुर, जौनपुर, अंबेडकरनगर जैसी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। इनमें घोसी, गाजीपुर, जौनपुर और अंबेडकरनगर में बीएसपी को जीत मिली थी, जबकि आजमगढ़ में सपा का परचम लहराया था।
चुनाव के तुरंत बाद बीएसपी और सपा का गठबंधन टूट गया, जिसके बाद बीएसपी के इस बेल्ट में सपा ने खुद को मजबूत करना शुरू कर दिया।
सवर्ण उम्मीदवार देकर पीडीए समीकरण से जीतने का फॉर्मूला 2024 के चुनाव में पूर्वांचल के कई सीटों पर लागू हो सकता है। इसकी बड़ी वजह पिछड़े-दलित और मुसलमानों को गोलबंद कर बीजेपी के वोटबैंक में सेंध लगाने की रणनीति है।