Sen your news articles to publish at [email protected]
Ravi Shankar Prasad: बिहार में जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट आने के बाद राजनीति गर्म होते जा रही है. इस रिपोर्ट पर ही अब बीजेपी ने सवाल खड़े कर दिए हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री और पटना साहिब से बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने भी अब जाति जनगणना आधारित रिपोर्ट पर सवाल उठाये हैं. उन्होंने इस रिपोर्ट को आड़े हाथ लेते हुए इसकी ऑथेंसिटी पर सवाल खड़े किए हैं.
रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि उनके घर कोई सर्वे वाला नहीं आया. वो इतने पर ही नहीं रूके उन्होंने कहा कि ये केवल उनकी शिकायत नहीं है. दूसरे लोग भी इसको लेकर शिकायतें कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि उनके घर पर किसी ने सर्वे नहीं किया.
नीतीश सरकार पर सवाल खड़ा करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आखिर ये किस तरह का जाति-आधारित सर्वेक्षण है, जिसमें बहुत सारे लोगों को छोड़ दिया गया. उन्होंने यहां तक कहा कि कई समाचार चैनल भी दिखा रहे हैं कि अति पिछड़ी जाति के लोगों के मोहल्लों को छोड़ दिया गया.
रविशंकर प्रसाद ने आगे कहा कि उनके पास कई शिकायतें आ रही हैं. डेटा कैसे एकत्र किया गया, यह सवाल निश्चित रूप से पूछा जाएगा. “मेरे घर तो कोई नहीं आया. ऐसे में हम पूछना चाहते हैं कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने किस तरह का जाति आधारित सर्वेक्षण किया है? हमारे पास बहुत सारी शिकायतें आ रही हैं. डेटा कैसे एकत्र किया गया, यह सवाल निश्चित रूप से पूछा जाएगा.
राज्य सरकार को जवाब देना चाहिए”- रविशंकर प्रसाद, बीजेपी सांसद, पटना साहिबबिहार में जाति आधारित सर्वे के आंकड़े जारी: आपको बताएं कि गांधी जयंती पर बिहार सरकार ने जाति आधारित गणना का डेटा जारी किया है. इसके मुताबिक बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से अधिक है. जिनमें अनारक्षित (भूमिहार- 2.89, राजपूत- 3.45, ब्राह्मण- 3.66 और कायस्थ- 0.60%) की आबादी 15.52 प्रतिशत है. 63 फीसदी ओबीसी (24 फीसदी पिछड़ा वर्ग और 36 फीसदी अत्यंत पिछड़ा वर्ग), अनुसूचित जाति की आबादी 19 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.68 फीसदी है. बिहार में सबसे अधिक यादव जाति है, जिनकी आबादी 14 फीसदी है. वहीं, कुर्मी 2.8 और कुशवाहा 4.2 प्रतिशत हैं, जबकि मुसलमानों की आबादी 17.7 फीसदी है. सवर्ण, धानुक और अन्य कई जातियों के लोग आंकड़े को लेकर लगातार सवाल उठा रहे हैं.