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Saran Loksabha Seat: बिहार की सारण लोकसभा क्षेत्र से लालू प्रसाद यादव ने अपनी दूसरी पुत्री रोहिणी आचार्य को राजनीति में उतारा है, जहां उनका सीधा मुकाबला यहां तीन बार से सांसद रहे भाजपा के राजीव प्रताप रूड़ी से है।
लालू प्रसाद की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य तब चर्चा में आई थी जब उन्होंने सिंगापुर में अपने पिता को अपनी एक किडनी देकर उनकी जान बचाई थी। तब सर्वत्र उनकी सराहना हुई थी और अन्य पार्टियों यहां तक कि भाजपा के भी कई नेताओं रोहिणी के पुत्री धर्म की सराहना की थी।
लेकिन जब आरजेडी ने रोहिणी आचार्य के सारण से चुनाव में उतरने की घोषणा की तो बिहार भाजपा के अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने बड़ा ही बेतुका और घृणित बयान दिया था कि लालू प्रसाद ने किडनी के बदले अपनी बेटी को टिकट दिया है।
सम्राट चौधरी के इस बयान की निंदा हुई थी और कहा जाता है कि सम्राट चौधरी के इस बयान ने राजद पर वंशवाद के आरोप से जनता का ध्यान हटा दिया। कहा गया कि सम्राट चौधरी खुद वंशवादी राजनीति की उपज हैं। मालूम रहे कि अपने पिता शकुनी चौधरी के विधायकी के काल में सम्राट चौधरी की पहचान मुंगेर जिले के तारापुर विधान सभा क्षेत्र में बिगड़ैल बेटे और गुंडई की ही थी।
सारण लोकसभा क्षेत्र का निर्माण यहां पहले से मौजूद छपरा लोकसभा क्षेत्र को समाप्त कर वर्ष 2008 में किया गया था। यहां 2009 में पहली बार चुनाव हुआ था तब आरजेडी की ओर से लालू प्रसाद यादव जीते थे। लेकिन 2014 में उन्हे बीजेपी के राजीव प्रताप रूड़ी से हार का सामना करना पड़ा था।
2019 के चुनाव में बीजेपी के राजीव प्रताप रूड़ी को फिर से सफलता मिली। उन्होंने लालू प्रसाद के समधी राजद उम्मीदवार चंद्रिका राय एक लाख पैंतीस हजार से अधिक मतों से हराया था। तब रूड़ी को 53% मत मिले थे। इस चुनाव में यहां के सभी विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को लीड मिली थी।
सारण लोकसभा क्षेत्र में कुल छः विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं – मढ़ौरा, छपरा, गरखा एस सी, अमनौर, परसा और सोनपुर। ये सभी विधानसभा क्षेत्र सारण जिले में ही हैं। अभी मढ़ौरा से राजद के जितेंद्र कुमार राय, छपरा से भाजपा के सी एन गुप्ता, गरखा एस सी से राजद के सुरेन्द्र राम, अमनौर से भाजपा के कृष्ण कुमार मंटु, परसा से राजद के छोटेलाल राय और सोनपुर से राजद के रामानुज प्रसाद यादव विधायक हैं।
इस तरह कुल छः में से चार विधान सभा क्षेत्रों पर राजद का कब्जा है। लेकिन ध्यान देने वाली बात है है कि इन चार में से एक सुरक्षित सीट को छोड़ दें तो सभी तीन विधायक यादव जाति के हैं। वैसे भी यह यादव बहुल क्षेत्र है लेकिन राजपूत जाति की भी अच्छी संख्या है और राजीव प्रताप रूड़ी राजपूत जाति से हैं। इसलिए फैसला अन्य जाति के लोगों पर है कि उनका वोट किसे जाता है।
जैसा कि सारण लोकसभा क्षेत्र पहले छपरा के नाम से था। यहां 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के राजेंद्र सिंह जीते थे। लेकिन 1962, 1967 और 1971 के चुनाव में इंडियन नेशनल कांग्रेस के रामेश्वर प्रसाद सिंह को विजय मिली थी। जबकि 1977 की जनता लहर में जनता पार्टी के लालू प्रसाद यादव जीते थे। 1980 में जनता पार्टी के सत्यदेव सिंह और 1984 में जनता पार्टी के ही रामबहादुर सिंह को सफलता मिली थी।
1989 में वी पी सिंह के लहर में जनता दल से लालू प्रसाद यादव फिर से जीते। लेकिन लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री बने और इस कारण यहां 1990 में उपचुनाव हुआ जिसमे जनता दल के लालबाबू राय ने जीत हासिल की। 1991 के चुनाव में फिर से जनता दल के लालबाबू राय को सफलता मिली।
1996 में बीजेपी के राजीव प्रताप रूड़ी ने यहां से चुनाव जीता। लेकिन 1998 में राजद के हीरालाल राय के हाथों रूड़ी को शिकस्त मिली। परंतु 1999 में राजीव प्रताप रूड़ी ने वापसी करते हुए भाजपा को फिर से यहां जीत दिलाई। लेकिन उन्हें 2004 के चुनाव में राजद के लालू प्रसाद यादव से मुकाबले में पराजय का मुंह देखना पड़ा।
- मनोज कुमार सहाय