Sen your news articles to publish at [email protected]
Ramkrishna Hegde: शायद ‘पागल’ ही थे रामकृष्ण हेगड़े! कर्नाटक में लोकसभा की 4 सीट मिलने पर सीएम पद से दे दिया था इस्तीफ़ा
नैतिकता-फैतिकता क्या होती है!
Ramkrishna Hegde: साल 1984 में कर्नाटक में जनता पार्टी की सरकार थी. रामकृष्ण हेगड़े मुख्यमंत्री थे. उसी वर्ष 8वीं लोकसभा के लिए हुए चुनावों में जनता पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद कर्नाटक की 28 सीटों में से जनता पार्टी को केवल 4 सीटें मिलीं। रामकृष्ण हेगड़े ने इस आधार पर इस्तीफा दे दिया कि उनकी पार्टी ने अपना लोकप्रिय जनादेश खो दिया है.
उन्होंने विधानसभा चुनाव कराने की सिफारिश की! राज्य के मतदाताओं से अपनी सरकार के लिए एक नया जनादेश मांगा! 1985 में हुए चुनावों में जनता पार्टी अपने दम पर बहुमत के साथ फिर सत्ता में आ गयी.
श्री हेगड़े के लिए इस्तीफा देने की संवैधानिक बाध्यता नहीं थी. पर विपक्ष (कांग्रेस) ने यह तो कहा ही था कि वे जनता का विश्वास खो चुके हैं. फिर भी वे चाहते तो सत्ता में बने रह सकते थे. मगर उन्होंने इस्तीफा देकर चुनाव का सामना करने का जोखिम उठाया! यह उनकी नैतिकता का पैमाना था. जनता ने उन पर विश्वास जताया. वे पराजित हो जाते, तब भी उनका कद कम नहीं होता. आज तो नैतिकता कोई मूल्य ही नहीं है, किसी कीमत पर ‘सफलता’ चाहिए. जनता भी शायद ऐसे ‘सफल’ लोगों को पूजने लगी है!
यह उदाहरण किसी को आईना दिखाने के लिए नहीं दिया गया है. हेगड़े को ‘पागल’ कहा जा सकता है। पर देश और समाज को बेहतर बनाने के लिए ऐसे पागलों की जरूरत हमेशा रहेगी!
- श्रीनिवास, वरिष्ठ पत्रकार