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Modi Oath Ceremony: नरेंद्र मोदी अपनी सबसे बड़ी मंत्रि परिषद के साथ ले सकते हैं पीएम की शपथ, बिहार को मिलेंगे सबसे ज्यादा मंत्री
मंत्रि परिषद में तकरीबन 60 मंत्रियों के शामिल होने की संभावना
Modi Oath Ceremony: पीएम नरेंद्र मोदी इस बार अपनी सबसे बड़ी मंत्रिपरिषद के साथ शपथ ले सकते हैं। इसमें तकरीबन 60 मंत्रियों के शामिल होने की संभावना है। सबसे ज्यादा जगह बिहार राज्य को मिल सकती है। इस सरकार में सबसे ज्यादा दलों और सबसे ज्यादा राज्यों का भी प्रतिनिधित्व होगा।
मंत्रालय को लेकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल होने वाले मंत्रियों को सूचना देंगे और सहयोगी दलों के नेताओं को भी जानकारी देंगे।
बता दें कि रविवार शाम को गोधूलि वेला में नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। चूंकि इस बार भाजपा के पास अपना बहुमत नहीं है और वह गठबंधन के बहुमत के साथ सरकार बना रही है, इसलिए इस बार की सरकार में सहयोगी दलों की संख्या तो ज्यादा होगी। मंत्रि परिषद का आकार भी पिछली दोनों बार की तुलना में ज्यादा बड़ा होगा।
मोदी ने पहली बार जब 2014 में सरकार बनाई थी तब 46 मंत्री शामिल किए गए थे। इनमें 24 कैबिनेट, 10 राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 12 राज्यमंत्री शामिल थे।
2019 में भाजपा के 300 सीटें पार करने के बाद मोदी सरकार का आकार भी बढ़ा और मोदी के साथ 58 मंत्रियों ने शपथ ली। इनमें 25 कैबिनेट, नौ राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 24 राज्य मंत्रियों को शामिल किया गया। इस बार 16 मंत्री चुनाव हार गए हैं और इतने ही और मंत्रियों को हटाए जाने की संभावना है।
इस बार भाजपा 240 सीटें ही जीत सकी और उसे तेलुगु देशम और जद(यू) जैसे बड़े सहयोगियों के साथ अन्य छोटे दलों का भी सहारा लेना पड़ रहा है। ऐसे में नई सरकार का आकार-प्रकार भी बदला हुआ होगा।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा के बाद सबसे ज्यादा जगह जद(यू) और तेलुगु देशम को मिल सकती है। मंत्रिपरिषद के गठन को लेकर शनिवार को भी बैठकों और चर्चाओं का दौर जारी रहा। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह और अमित शाह के बीच हुई बैठक में राज्यवार मंत्रियों को लेकर चर्चा की गई। इस बारे में प्रधानमंत्री को भी सभी पहलुओं से अवगत कराया गया। नड्डा ने सहयोगी दलों के नेताओं से बात की है और उनसे नाम मांगे हैं।
सूत्रों के अनुसार, रविवार सुबह नई मंत्रि परिषद को अंतिम रूप दिया जाएगा। उसके बाद राष्ट्रपति को सूची भेजी जाएगी। हालांकि, इस बार सबसे ज्यादा मंत्री पद बिहार के हिस्से में आ सकते हैं, जहां भाजपा को कई सहयोगी दलों को साधना है। उत्तर प्रदेश में भाजपा को लगे झटके के बाद वहां से इस बार मंत्री कम हो सकते हैं। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र का कोटा भी बढ़ेगा।
सूत्रों का कहना है कि सीसीएस के चारों पद गृह, वित्त, रक्षा एवं विदेश भाजपा के पास ही रहेंगे। भाजपा अपने कोटे में युवा और महिलाओं को ज्यादा वरीयता दे सकती है। पिछली बार की तुलना में इस बार आधे से ज्यादा नए चेहरे सरकार में होंगे। कुछ वरिष्ठ नेताओं को भी सरकार से बाहर रहना पड़ सकता है।
सूत्रों के अनुसार, सहयोगी दलों को पांच से आठ कैबिनेट पद मिल सकते हैं। भाजपा से चुनाव जीते सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को जगह मिलने की संभावना नहीं। शिवराज सिंह चौहान का नाम मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष दोनों के लिए चर्चा में है। बसवराज बोम्मई, मनोहर लाल खट्टर और सर्बानंद सोनोवाल भी प्रबल दावेदार हैं।
सूत्रों के अनुसार, टीडीपी के राम मोहन नायडू, जद(यू) के ललन सिंह, संजय झा और राम नाथ ठाकुर तथा लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान, हम के जीतनराम मांझी, अपना दल की अनुप्रिया पटेल, एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल, उन सहयोगियों में शामिल हैं जो नई सरकार का हिस्सा हो सकते हैं।
नई सरकार में उत्तराखंड से नए चेहरे को जगह मिल सकती है। हिमाचल से अनुराग ठाकुर फिर मंत्री बन सकते हैं। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को लेकर प्रधानमंत्री फैसला लेंगे। नड्डा का एक अध्यक्षीय कार्यकाल पूरा हो चुका है। नई सरकार में इस बार 20 राज्यों का प्रतिनिधत्व हो सकता है।
साथ ही सरकार में एक दर्जन दलों की भी उपस्थिति हो सकती है। सरकार के गठन में महाराष्ट्र और हरियाणा के इस साल के आखिर में होने वाले चुनाव और अगले साल होने वाले दिल्ली और बिहार के चुनावों का भी असर दिखेगा।