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Quad Summit: क्वॉड समिट में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शांति के पक्षधर देश हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि क्वॉड शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब दुनिया तनाव और संघर्ष से घिरी हुई है। ऐसे में साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर क्वाड का एक साथ काम करना पूरी मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हम किसी के खिलाफ नहीं हैं।
अमेरिका के डेलावेयर में आयोजित क्वाड शिखर सम्मेलन में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्राध्यक्ष शामिल हुए। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब दुनिया तनाव और संघर्ष से घिरी है।
उन्होंने कहा कि साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर क्वाड देशों को एक साथ काम करना पूरी मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हम किसी के खिलाफ नहीं हैं। हम सभी नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान और सभी मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करते हैं। स्वतंत्र, खुला, समावेशी और समृद्ध हिंद-प्रशांत हमारी साझा प्राथमिकता और साझा प्रतिबद्धता है।
उन्होंने कहाकि क्वाड देशों ने स्वास्थ्य, सुरक्षा, महत्वपूर्ण उभरती प्रौद्योगिकियों, जलवायु परिवर्तन और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में कई सकारात्मक और समावेशी पहल की हैं।
उन्होंने कहाकि ‘हमारा स्पष्ट संदेश है- क्वाड यहां रहने, सहायता करने, साझेदारी करने और पूरक बनने के लिए है।’ इस दौरान पीएम मोदी ने राष्ट्रपति बाइडन और अपने सभी सहयोगियों को इस सम्मेलन के लिए बधाई दी। साथ ही साल 2025 में भारत में क्वाड लीडर्स समिट की मेज़बानी करने की प्रतिबद्धता दोहराई।
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी अपनी तीन दिवसीय अमेरिकी यात्रा के पहले चरण में शनिवार सुबह अमेरिका के फिलाडेल्फिया हवाई अड्डे पर पहुंचे। क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लेने से पहले उन्होंने राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ द्विपक्षीय बैठक की। दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने के लिए नए रास्ते खोजे।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने क्वाड समिट के दौरान इंडो-पैसिफिक के साथ ही दक्षिण-पूर्व एशिया के छात्रों को शामिल करने के लिए क्वाड फेलोशिप के साथ ही चुनौतियों पर बात की।
इस दौरान बाइडन ने कहा, हम लोकतांत्रिक देश जानते हैं कि काम कैसे करना है। यही कारण है कि मैं राष्ट्रपति पद के पहले दिनों में यह प्रस्तावित करने के लिए कि हम क्वाड को और अधिक परिणामी बना रहे हैं, प्रत्येक राष्ट्र तक पहुंचा। चार साल बाद, चारों देश पहले से कहीं अधिक रणनीतिक रूप से एकजुट हैं।
उन्होंने कहा कि आज हम इंडो-पैसिफिक के लिए एक सकारात्मक प्रभाव देने के लिए पहल की एक श्रृंखला की घोषणा कर रहे हैं। इसमें हमारे क्षेत्रीय साझेदारों को नई समुद्री प्रौद्योगिकियां प्रदान करना शामिल है, ताकि वे जान सकें कि उनके जल क्षेत्र में क्या हो रहा है। पहली बार तट रक्षकों के बीच सहयोग शुरू करना और दक्षिण-पूर्व एशिया के छात्रों को शामिल करने के लिए क्वाड फेलोशिप का विस्तार करना शामिल है। उन्होंने कहा कि चुनौतियां आएंगी, दुनिया बदल जाएगी, लेकिन क्वाड बरकरार रहेगा, मुझे विश्वास है।
क्वाड समिट में ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बानी ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में निरंतर शांति और स्थिरता और समान विचारधारा के लिए काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, ‘क्वाड स्वच्छ ऊर्जा और चुनौतियों से निपटने से लेकर जलवायु परिवर्तन से मिलने वाले अवसरों, स्वास्थ्य सुरक्षा, महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों, साइबर और आतंकवाद-निरोध जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में व्यावहारिक सार्थक परिणामों के बारे में है।’
उन्होंने कहा कि हम हमेशा बेहतर स्थिति में रहेंगे, जब समान विचारधारा वाले देश और पूर्ण महान लोकतंत्र एक साथ काम करेंगे। यह सब क्षेत्र में निरंतर शांति और अस्थिरता, रणनीतिक प्रतिस्पर्धा और अनुभव के बुद्धिमान प्रबंधन पर निर्भर करता है।
जापानी पीएम फुमियो किशिदा ने हिंद-प्रशांत के भविष्य पर चर्चा करने के लिए क्वाड नेताओं के साथ मुलाकात पर खुशी जाहिर की। साथ ही अपने कार्यकाल के दौरान (क्वाड रिलेट्रल सिक्योरिटी डायलॉग) द्वारा किए गए प्रयासों पर लगातार जोर दिया और रेखांकित किया। इस दौरान उन्होंने जापान के हिरोशिमा में हुई पिछली बैठक को याद करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में मेरी पिछली विदेश यात्रा के लिए इससे बेहतर नहीं हो सकती थी। उ
न्होंने क्वाड समूह द्वारा ठोस कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा, ‘हमारे आस-पास का सुरक्षा वातावरण लगातार गंभीर होता जा रहा है। कानून के शासन पर आधारित एक स्वतंत्र और लोकतंत्र जैसे मूल्यों को साझा करते हैं। एक स्वतंत्र और खुली दुनिया के हमारे साझा दृष्टिकोण के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करना जारी रखना और भी महत्वपूर्ण है।’