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Bihar Sarkari School: बिहार के स्कूलों में नए क्लासरूम बनाने की योजना, एक कमरे में केवल एक ब्लैकबोर्ड; इंग्लिश मीडियम में भी होगी पढ़ाई

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Bihar Sarkari School: बिहार के सभी सरकारी स्कूलों में अगले साल मार्च तक नए कक्षाओं का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा। यह जानकारी शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने दी।

उन्होंने बताया कि कक्षा 9वीं से 12वीं के विद्यार्थियों को अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा देने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए अंग्रेजी भाषा से संबंधित अध्ययन सामग्री वैकल्पिक रूप से उपलब्ध कराई जाएगी। विभाग ने इस दिशा में पहल शुरू कर दी है।

डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि इस समय कक्षाओं की कमी एक बड़ी समस्या है। इसी कारण कई जगह एक कमरे में एक से अधिक कक्षाएं चलानी पड़ती हैं। एक तरफ एक कक्षा की पढ़ाई हो रही होती है, तो दूसरी तरफ दूसरी कक्षा की। एक ब्लैकबोर्ड एक दीवार पर है और दूसरा दूसरी दीवार पर। यह पढ़ाई के लिए उचित नहीं है और इससे कक्षाओं की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। हमारा लक्ष्य है कि एक कमरे में सिर्फ एक ही कक्षा संचालित हो ताकि हर कक्षा का पाठ्यक्रम बेहतर तरीके से पढ़ाया जा सके।

उन्होंने कहा कि अभी के हालात को देखते हुए, समस्या का समाधान करने के लिए कक्षाओं को अलग-अलग शिफ्ट में चलाने का निर्णय लिया गया है।

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डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि सभी स्कूलों में सरकारी निर्देशों को एकरूपता देने के लिए हम एक संकलन (कम्पेंडियम) तैयार कर रहे हैं, जिसमें सभी निर्देश एक जगह संग्रहित किए जाएंगे। जिलों को भी निर्देश दिया गया है कि मुख्यालय से भेजे गए निर्देशों को पीडीएफ के रूप में सभी शिक्षकों तक पहुंचाया जाए, ताकि किसी तरह की असमंजस की स्थिति न हो।

उन्होंने बताया कि कक्षा 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को अंग्रेजी में पढ़ाई कराने के लिए द्विभाषीय पुस्तकें तैयार की जा रही हैं, जिसमें एक ही किताब में हिंदी और अंग्रेजी में सामग्री उपलब्ध होगी। पहले चरण में इन पुस्तकों को स्कूल की लाइब्रेरी में भेजा जा रहा है, ताकि छात्र लाभ उठा सकें।

डॉ. सिद्धार्थ ने कहा कि सरकार ने अभी कंप्यूटर की किताबें भी भेजी हैं, जो 6वीं और 8वीं कक्षाओं के लिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध हैं।

अपर मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि सभी कक्षाओं में अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाना जरूरी नहीं है। हमारी योजना है कि प्रारंभिक कक्षाओं में, खासकर पहली कक्षा के बच्चों को मैथिली, भोजपुरी, और अंगिका जैसी स्थानीय भाषाओं में पढ़ाया जाए। इससे वे चीजों को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे और शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।”

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