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Bihar NDA Pashupati Paras: पशुपति पारस ने फिर छोड़ा ‘मोदी का परिवार’, बिहार एनडीए में 5 पार्टियां, रालोजपा की छुट्टी?,
Bihar NDA Pashupati Paras: केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के चाचा और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अपने संबंधों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बिहार एनडीए की एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में पांच पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष मौजूद थे, लेकिन पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) को इसमें आमंत्रित नहीं किया गया।
समाजवादी नेता और लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान की विरासत पर कब्जे की लड़ाई में चिराग पासवान को दरकिनार करने वाले पशुपति पारस अब खुद एनडीए में हाशिए पर हैं। पारस ने अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल से एक बार फिर “मोदी का परिवार” का जिक्र हटा दिया है। यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने ऐसा किया है। लोकसभा चुनाव से पहले, जब रालोजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी, तब भी उन्होंने ऐसा कदम उठाया था।
एनडीए से रालोजपा का किनारा
पिछले कुछ समय से एनडीए की बैठकों में रालोजपा को आमंत्रित नहीं किया जा रहा है। सोमवार को पटना में एनडीए की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा, जदयू, लोजपा-रामविलास, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम), और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष शामिल हुए, लेकिन रालोजपा नदारद थी। इससे यह स्पष्ट संकेत मिला कि एनडीए में रालोजपा की भूमिका समाप्त हो चुकी है। अब बस आधिकारिक घोषणा बाकी है।
चिराग पासवान का प्रभाव और पारस का हाशिया
लोकसभा उपचुनाव में एनडीए के बैनर तले चिराग पासवान की धमाकेदार वापसी ने पारस की स्थिति कमजोर कर दी। रामविलास पासवान के समय से लोजपा के पटना कार्यालय पर पारस का कब्जा था, लेकिन अब वह दफ्तर सरकार ने खाली कराकर चिराग की पार्टी को सौंप दिया। इसी तरह, मुख्यमंत्री आवास पर 28 अक्टूबर को हुई एनडीए बैठक में भी रालोजपा को नजरअंदाज किया गया।
चिराग पासवान ने हाल ही में तीखा हमला करते हुए कहा था, “अलग तो वह होता है, जो एनडीए में हो।” उनका इशारा यह था कि रालोजपा पहले ही एनडीए से बाहर है।
243 सीटों की तैयारी का संकेत
कुछ दिन पहले रालोजपा की बैठक में 243 विधानसभा सीटों पर तैयारी की घोषणा की गई, जिससे यह संकेत मिल गया कि पार्टी भाजपा और एनडीए से अलग चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है।
एनडीए की आगामी रणनीति
एनडीए ने 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर संयुक्त कार्यक्रम की घोषणा की है। 15 जनवरी से 15 फरवरी तक राज्यभर में यह अभियान चलेगा, जिसमें एनडीए दल “2005 के पहले का बिहार और 2005 के बाद का बिहार” विषय पर फिल्म दिखाकर राजद के कार्यकाल (1990-2005) के दौरान के हालात जनता को याद दिलाएंगे।
क्या रालोजपा की एनडीए से पूरी तरह छुट्टी हो चुकी है?
पशुपति पारस और उनकी पार्टी का एनडीए से नाता लगभग समाप्त हो चुका है। अब देखना यह है कि एनडीए या पारस, इस संबंध-विच्छेद की औपचारिक घोषणा कौन और कब करता है।