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Gulam Rasool Balyawi: जेडीयू का डैमेज कंट्रोल? नीतीश ने बलियावी को जेडीयू महासचिव बनाया

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Gulam Rasool Balyawi: जेडीयू ने मुस्लिम वोटों पर डैमेज कंट्रोल करते हुए गुलाम रसूल बलियावी को महासचिव बना दिया है। केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के मुस्लिम वोटरों पर दिए बयान के बाद मचे विवाद को शांत करने के लिए जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने पूर्व सांसद गुलाम रसूल बलियावी को पार्टी का महासचिव नियुक्त किया है। ललन सिंह ने हाल ही में कहा था कि मुस्लिम समुदाय जेडीयू को वोट नहीं देता।

क्या था ललन सिंह का बयान?

जेडीयू के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने मुजफ्फरपुर में एक कार्यकर्ता सम्मेलन में कहा था कि नीतीश कुमार ने मुस्लिम समाज के लिए कई काम किए हैं, लेकिन वोट उन पार्टियों को मिलते हैं, जिन्होंने अल्पसंख्यकों के लिए बहुत कम काम किया है। इस बयान के बाद जेडीयू के भीतर और बाहर विवाद छिड़ गया।

डैमेज कंट्रोल में जुटे नीतीश कुमार

ललन सिंह के बयान के बाद पार्टी में असंतोष की स्थिति उभरने लगी। विवाद को शांत करने के लिए नीतीश कुमार ने मंगलवार को गुलाम रसूल बलियावी को जेडीयू का महासचिव नियुक्त कर दिया। बलियावी पहले भी पार्टी के सांसद, विधान पार्षद और महासचिव रह चुके हैं।

बलियावी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रहने वाले हैं। वह साल 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले जेडीयू में शामिल हुए थे। इससे पहले वे रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी का हिस्सा थे। नीतीश ने उन्हें पहले राज्यसभा और फिर बिहार विधान परिषद भेजा।

बिहार की सियासत में मुस्लिम वोट बैंक का प्रभाव

2025 के विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में मुस्लिम वोट बैंक को लेकर राजनीतिक हलचल तेज है। तेजस्वी यादव की आरजेडी, असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के बीच खींचतान चल रही है। इस माहौल में नीतीश कुमार ने ललन सिंह के बयान से उठे विवाद को संभालते हुए बलियावी को महासचिव बनाकर एक मजबूत राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है।

नीतीश के कदम से सियासी प्रतिक्रिया

नीतीश कुमार के इस फैसले पर जेडीयू के नेताओं ने बचाव का रुख अपनाया है। जेडीयू मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि ललन सिंह की बात को गलत तरीके से समझा गया। वहीं, जेडीयू मंत्री जमा खान ने स्पष्ट किया कि जेडीयू को हर जाति और धर्म का समर्थन मिलता है, क्योंकि नीतीश कुमार बिना भेदभाव के सबके लिए काम करते हैं।

इस बीच, विपक्षी दलों ने ललन सिंह को भाजपा की भाषा बोलने वाला करार दिया है। हालांकि, बलियावी की नियुक्ति के बाद जेडीयू ने यह साफ संकेत दिया है कि पार्टी हर समुदाय को साथ लेकर चलने की रणनीति पर काम कर रही है।

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