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Waqf Board: वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई तक वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा। साथ ही केंद्रीय वक्फ परिषद और वक्फ बोर्डों में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: “स्थिति इतनी तेजी से न बदले कि अधिकार प्रभावित हों”
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अदालत यह सुनिश्चित करना चाहती है कि मौजूदा स्थिति में कोई अचानक बदलाव न हो, जिससे किसी के अधिकार प्रभावित हों।
सरकारी पक्ष: सॉलिसिटर जनरल का जवाब
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि:
- किसी भी वक्फ संपत्ति, चाहे वह “वक्फ बाय यूजर” हो या विलेख द्वारा घोषित, उसे अगली सुनवाई तक गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा।
- वक्फ अधिनियम की धारा 9 और 14 के तहत कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी।
- यदि कोई राज्य सरकार नियुक्ति करती है, तो वह अमान्य मानी जाएगी।
कोर्ट की शर्त: केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय
अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करे, लेकिन इस शर्त पर कि:
- गैर-मुस्लिम सदस्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में नामित नहीं होंगे।
- पंजीकृत या अधिसूचित वक्फ संपत्तियों में कोई संशोधन या अधिसूचना परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
सुनवाई की अगली तारीख: 5 मई 2025
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल 5 याचिकाओं को मुख्य रूप से सुना जाएगा, जबकि बाकी याचिकाएं अनुपूरक मानी जाएंगी। अदालत ने नोडल वकीलों को भी नामित करने का निर्देश दिया।
विवादित मुद्दा: गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति पर आपत्ति
पीठ ने नाराजगी जताई कि गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्डों में शामिल करने का प्रस्ताव संविधान के मूल सिद्धांतों पर सवाल खड़ा कर सकता है। कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि “क्या वह हिंदू धार्मिक ट्रस्ट में मुसलमानों को नियुक्त करना स्वीकार करेगा?”
केंद्र का तर्क: कानून के खिलाफ रोक असाधारण कदम होगा
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट वैधानिक प्रावधानों पर रोक लगाता है, तो यह असाधारण और गंभीर निर्णय होगा। उन्होंने यह भी बताया कि वक्फ कानून को लेकर लाखों लोगों की आपत्तियां मिली हैं, जिनमें गांवों और निजी संपत्तियों के वक्फ घोषित होने पर आपत्ति जताई गई।
कोर्ट रूम से: “हम नहीं चाहते कि स्थिति इतनी तेजी से बदले”
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालत किसी भी पक्ष को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहती। उन्होंने कहा कि:
“हम यह नहीं चाहते कि स्थिति इतनी तेजी से बदले कि लोगों के अधिकार प्रभावित हों।”
मामला अभी लंबित, लेकिन स्थिति नियंत्रण में
- अगली सुनवाई: 5 मई 2025
- कोई नई नियुक्ति नहीं
- कोई संपत्ति गैर-अधिसूचित नहीं होगी
- केंद्र को एक सप्ताह में जवाब देना होगा