Vimarsh News
Khabro Me Aage, Khabro k Pichhe

Lalu Yadav ने क्या Ambedakr का अपमान किया? या विपक्ष का चुनावी स्टंट है?

did lalu yadav insult ambedkar
0 28

11 जून 2025 को लालू प्रसाद यादव के 78वें जन्मदिन पर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ एक वीडियो बिहार की राजनीति में हड़कंप मचा गया है। इस वीडियो में एक समर्थक बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की तस्वीर को लालू के पैर के पास रखकर फोटो खिंचवाने का प्रयास करता है। लालू ने उस तस्वीर को नहीं छुआ, न ही उठाया।

इस बात को बीजेपी और एनडीए ने ‘अंबेडकर ( Ambedakr) का अपमान’ करार दिया है। सवाल उठता है कि क्या लालू यादव (Lalu Yadav) ने सच में अंबेडकर की तस्वीर का अपमान किया? क्या उस दिन सभी समर्थक लालू के करीब गए थे? क्या लालू ने किसी समर्थक का गुलदस्ता अपने हाथ में लिया था?

क्या सच में Lalu Yadav ने Ambedakar का अपमान किया

बताते चलें कि वीडियो में लालू अपने निवास पर सोफे पर बैठे हैं। उनका एक पैर दूसरे कुर्सी पर रखा है। एक समर्थक अंबेडकर की तस्वीर को लालू के पैरों के पास रखता है, जिसे बाद में सुरक्षाकर्मी हटाते हैं। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने इसे सोशल मीडिया पर शेयर कर लालू पर ‘दलित समाज का अपमान’ करने का आरोप लगाया।

वहीं, आरजेडी के तेजस्वी यादव ने इसे झूठा प्रचार बताया और कहा कि लालू ने बिहार में कई अंबेडकर की मूर्तियां लगाई हैं। लेकिन लालू की चुप्पी और तेजस्वी का इसे ‘बकवास’ कहकर टालना विवाद को ओर बढ़ा रहा है।

बिहार में अक्टूबर-नवंबर 2025 के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर दोनों पक्षों के बीच कड़ी टक्कर है। यहां 243 सीटों के लिए मुकाबला है। राज्य की 20 फीसदी आबादी दलित हैं। यह वोट निर्णायक साबित हो सकते हैं। 2020 के चुनाव में आरजेडी को 23.1 प्रतिशत वोट और 75 सीटें मिली थीं। बीजेपी को 19.5 प्रतिशत वोट (74 सीटें) और जेडीयू को 15.4 प्रतिशत (43 सीटें) मिली थीं।

दलित वोट मुख्य रूप से आरजेडी, जेडीयू और छोटे दलों जैसे हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (एचएएम) के बीच बंटा है। यह विवाद एनडीए दलित वोटरों को एकजुट करने की कोशिश कर रही है। बीजेपी के दलित नेता कृष्णनंदन पासवान ने कहा, “लालू और तेजस्वी को दलित बस्तियों में घुसने नहीं देंगे।” वहीं, जेडीयू प्रवक्ता हिमराज राम ने लालू पर ‘दलित नरसंहार’ का आरोप मढ़ा। वहीं, एनडीए के दलित चेहरे जीतन राम मांझी ने इसे ‘राजद का काला अध्याय’ करार दिया।

पिछले चुनाव में दलित वोटों का ध्रुवीकरण देखा गया। 2015 में मोहन भागवत के आरक्षण पर दिए बयान को लालू ने भुनाया था। इससे महागठबंधन को फायदा हुआ था। अब एनडीए इस बात को लंबे समय तक जिंदा रखने की रणनीति बना रहा है। हालांकि, तेजस्वी के युवा नेता रूप ने ओबीसी, मुस्लिम तथा दलित समाज का ध्रुवीकरण अभी भी जारी है। उनकी छवि भी दलित मतदाताओं के बीच मजबूत है।

लालू यादव बुरी तरह बीमार हैं। कई गंभीर रोगों से ग्रस्त हैं। उनके किडनी का ट्रांसप्लांट भी हो चुका है। डॉक्टर्स कहते हैं कि किडनी के मरीजों को संक्रमण से बचना चाहिए। लालू की उम्र भी अधिक हो चुकी है। जन्मदिन पर वे कार्यकर्ताओं से दूरी बनाए बैठें, लेकिन दूर से ही सभी का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे। इससे आरजेडी नेता इसे तंग करने की बात कह रहे हैं।

फिर भी, यह विवाद लालू यादव का बिहार चुनाव में पीछा नहीं छोड़ेगा। एनडीए इसे दलित वोट बैंक को भड़काने का मौका समझ रही है। वह इस मुद्दे का खूब फायदा उठाने की कोशिश करेगी। लेकिन लालू की सामाजिक पकड़ इतनी मजबूत है कि उसे तोड़ना आसान नहीं है।

इसे भी पढ़ें – Khan Sir ने Operation Sindoor पर उठाया सवाल! जानिए क्या कहा….

Leave a comment