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Bihar में सबसे ज्यादा मौतें Road Accidents में

most deaths in road accidents in bihar
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पूरे बिहार (Bihar) में रोज 27 लोग सड़क दुर्घटना (Road Accidents) में मारे जा रहे हैं। हत्या पर नियंत्रण करने की कोशिश होती है परंतु रोड एक्सीडेंट से मौत का अनुपात बढ़ता जा रहा है। बिहार मृत्यु क्षेत्र में बदल गया है।एक्सीडेंट से आठ वर्षों में 60,0000 मौत हुई। सड़क हादसे मैं मौत इतना अधिक है,  कि बड़े पैमाने पर इसे रोकने की जरुरत है।

Road Accidents में Bihar में सबसे ज्यादा मौतें

हाइवे पर ट्रैफिक की व्यवस्था एक चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी है। पिछले 8 वर्षों में 60 हजार लोगों ने जान गंवाई है।…80 हजार सड़क हादसे हुए हैं। एक्सीडेंट में मौत बिहार में बहुत ज्यादा है। यह सबसे ज्यादा है। 2017 में प्रतिदिन 24 सड़क हादसे हुए थे और इनमें हर रोज 15 लोगों ने जान गंवाई थी। 2022 में हर रोज 30 दुर्घटनाएं और इसमें से हर रोज 24 लोगों की मृत्यु का आकड़ा पर परिवहन विभाग की ताजा रिपोर्ट में है।

समझने की कोशिश कीजिए कि यह सरकार और नीति बनाने वालों के लिए कितनी चुनौती का विषय है और कितनी अधिक उपेक्षा का क्षेत्र बना हुआ है। इस साल अब तक 11 हजार 612 सड़क दुर्घटना मामले में  9,000 से ज्यादा मौत हुई। 2023 में 11, 014 एक्सीडेंट के मामले दर्ज हुए थे। इन मामलों में 8, 873 लोगों की मौत हुई थी।।

कोविड महामारी के साल में भी, जब व्यापक लॉक डाउन था एक्सीडेंट के मामले 10,000 और 8,600 से ज्यादा थे। सड़क पर ट्रैफिक नियमों का पालन करते हुए चलने के बारे में जागरुकता का अभाव भी इसका कारण है। ट्रैफिक सिस्टम का अभाव बहुत बड़ा कारण है। सड़क पर सुरक्षा संबंधी सुविधाएं,  ट्रैफिक फैसिलिटी और  ट्रैफिक सिस्टम के बाद  ट्रैफिक सेंस की भी बहुत ज्यादा आवश्यकता है।

लोगों के जान माल को बिहार में ना विपक्षी दलों ने महत्व  दिया है और ना ही शासन प्रशासन ने। यहां हाईवे तो बन रहे हैं परंतु हाईवे पर गति और इसके नियंत्रण तथा हाईवे पर चलाने की क्षमता योग्यता का बहुत अज्ञान है । हाईवे सुरक्षा सहायता के लिए जितना काम होना चाहिए नहीं हो रहा।

इसकी समीक्षा की जरूरत

तेज गति के हाईवे पर भी लोग दूरी बचाने के लिए उनसे रास्ते ड्राइव करते हैं। हाईवे पर चल रहे ट्रकों  से कुचल कर जिन मोटरसाइकिल सवार की मौत होती है , उनमें इसकी समीक्षा की जरूरत है,  कि इनमें से कितने लोग पिछले चक्के के नीचे जाकर दब जाते हैं। सड़क पर  डाइवर्शन और सड़कों पर सही संकेत का अभाव भी एक्सीडेंट का बहुत बड़ा कारण बनता है।

डूबने से मौत,  ठनका से मौत,  प्राकृतिक आपदा में मौत की खबरें तो आती ही हैं। बिहार में 21,000 बच्चों को तैराकी सीखने के पीछे मकसद बताया गया है कि वे डूबने से बचाएंगे। बिहार के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार पहले से ही 25 हजार प्रशिक्षित बच्चे विहार में मौजूद है। बताया गया है कि पिछले साल बाढ़ में केवल सुपौल जिले में ,  तैराकी सीखने वाले लोगों ने,  साढ़े सात हजार लोगों की जान बचाई थी।

8 वर्षों में 80 हजार सड़क एक्सीडेंट की जानकारी अभी आई है। यह अनुपात पहले के मुकाबले बढ़ता जा रहा है। तीन वर्षों में 39 हजार एक्सीडेंट दर्ज हुआ है। इनमें सबसे ज्यादा पटना जिले की घटना है। पटना जिले में 4000 मामले और मुजफ्फरपुर जिले में 2000 मामले दर्ज हुए।

परिवहन विभाग के द्वारा ऐसा ऐप विकसित किया जा रहा है, जिससे, एक्सीडेंट में मरे उन लोगों को भी मुआवजा दिया जा सके जो कायदे से आवेदन नहीं कर रहे। अभी तक  क्लेम फॉर्म 7 के आधार पर दुर्घटना में मृतकों के लिए मुआवजे का दावा किया जाता है।

पटना, जहानाबाद, गया, खगड़िया और अररिया सहित कुछ जिले हैं,  जहां एक्सीडेंट से ज्यादा मौत होती है। अपराधियों द्वारा या  गोलीबारी या दूसरी तरीके से मृत्यु की घटनाओं पर सोर शराबा बहुत होता है। परंतु दुर्घटनाओं में मौत की घटनाएं हमारे ध्यान में बहुत कम आती हैं । यही कारण है , कि दुर्घटना से मौत को बचाने के लिए , बहुत कम जिम्मेदारी से पहल होती है।

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