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Bihar Election Commission पर बड़ा खुलासा: “गायब” घर और गैर-मौजूद पते

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बिहार चुनाव आयोग (Bihar Election Commission) गंभीर आरोपों का सामना कर रहा है। राहुल गांधी ने मतदाता सूचियों के साथ हो रहे “खेल” की ओर इशारा किया है। एक महत्वपूर्ण मीडिया रिपोर्ट भी इन दावों की पुष्टि करती है। यह स्थिति निष्पक्षता पर बड़े सवाल खड़े करती है।

Bihar Election Commission पर बड़ा खुलासा: अविश्वसनीय मतदाता पंजीकरण नम्बर

गलिमपुर गाँव से एक बेहद चौंकाने वाली स्थिति सामने आई है। यह पिपरा विधानसभा क्षेत्र में स्थित है। इस क्षेत्र से सामने आ रहे विवरण काफी चिंताजनक हैं।

गलिमपुर में, रिपोर्टों से पता चलता है कि दो घरों में असाधारण संख्या में मतदाता सूचीबद्ध हैं। एक घर में कथित तौर पर 509 पंजीकृत मतदाता हैं। दूसरे घर में 459 पंजीकृत मतदाता बताए गए हैं। जो कि ये संख्याएँ बेहद असामान्य हैं।

“गायब” घर और गैर-मौजूद पते

इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली बात इन संपत्तियों की स्थिति है। सूत्रों का दावा है कि ये घर, जहाँ इतने सारे मतदाता पंजीकृत हैं, वास्तव में गाँव में मौजूद ही नहीं हैं। इससे मतदाता सूची की सटीकता पर गंभीर संदेह पैदा होता है। इससे हेरफेर की संभावना का संकेत मिलता है।

रिपोर्टर्स कलेक्टिव की रिपोर्ट: एक व्यापक घोटाला?

ये विशिष्ट ग्राम-स्तरीय मुद्दे एक बड़ी समस्या का हिस्सा हो सकते हैं। एक स्वतंत्र रिपोर्ट इस पर और प्रकाश डालती है। “रिपोर्टर्स कलेक्टिव” ने बिहार की मतदाता सूचियों की जाँच की है। उनके निष्कर्ष एक व्यापक चिंता की ओर इशारा करते हैं।

80,000 से ज़्यादा “अप्रत्याशित” मतदाताओं की पहचान

रिपोर्टर्स कलेक्टिव की रिपोर्ट बताती है कि बड़ी संख्या में मतदाता गलत तरीके से पंजीकृत हैं। बिहार के तीन विधानसभा क्षेत्रों – पिपरा, बगहा और मोतिहारी – में 80,000 से ज़्यादा मतदाताओं की पहचान की गई है। ये मतदाता कथित तौर पर गलत या पूरी तरह से अस्तित्वहीन पतों पर पंजीकृत हैं।

कथित धोखाधड़ी का दायरा

“गायब घरों” या “अस्तित्वहीन पतों” पर मतदाताओं का पंजीकृत होना एक गंभीर मुद्दा है। इसका मतलब है कि ये पंजीकृत मतदाता असली लोग नहीं हो सकते हैं। या, उन्हें गलत तरीके से मतदाता सूची में शामिल किया जा सकता है। इससे पता चलता है कि चुनाव परिणामों में हेरफेर हो सकता है। इससे यह सवाल उठता है कि ये सूचियाँ कौन बना रहा है।

राहुल गांधी का मतदान में गड़बड़ी के आरोप

राहुल गांधी ने इन चुनावी प्रथाओं के बारे में अपनी चिंताओं को ज़ोरदार तरीके से व्यक्त किया है। उनका मानना है कि आगामी चुनावों में जानबूझकर धांधली करने की कोशिश की जा रही है। उनकी प्रतिक्रिया जनता का समर्थन जुटाने की रही है।

राहुल गांधी ने बिहार में चुनावी प्रक्रिया पर कड़े आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि नतीजों में हेरफेर करने के लिए कुछ खास कदम उठाए जा रहे हैं। उनके शब्दों का राजनीतिक विमर्श में खासा महत्व है।

बिहार में “वोट चुराने की कोशिश”

गांधी ने साफ तौर पर कहा है कि बिहार चुनाव को “चुराने” की योजना है। उनका आरोप है कि नए मतदाताओं को जोड़कर ऐसा किया जा रहा है। इसमें वैध मतदाताओं को सूची से हटाना भी शामिल है। इसे लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर सीधा हमला माना जा रहा है।

“आखिरी साजिश”

उन्होंने इस कथित मतदाता हेरफेर को “आखिरी साजिश” बताया। इससे पता चलता है कि यह वोटों में गड़बड़ी के एक पैटर्न का हिस्सा है। गांधी का मानना है कि ये हथकंडे पूरे देश में अपनाए जा रहे हैं। वह बिहार की स्थिति को एक महत्वपूर्ण उदाहरण मानते हैं।

मतदाता अधिकार यात्रा: निष्पक्ष चुनाव के लिए एक अभियान

इन कथित अनियमितताओं के जवाब में, एक बड़ा अभियान शुरू किया गया है। मतदाता अधिकार यात्रा एक महत्वपूर्ण पहल है। इसका उद्देश्य इन चिंताओं का सीधा समाधान करना है।

उद्देश्य: भाजपा और एनडीए को सत्ता से हटाना

इस यात्रा का मुख्य लक्ष्य स्पष्ट है। इसका उद्देश्य बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगी एनडीए को सत्ता से हटाना है। यह अभियान निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांत पर आधारित है। यह चुनावी व्यवस्था में कथित अन्याय के खिलाफ एकजुटता प्रदर्शित करता है।

विपक्षी नेताओं की एकता

मतदाता अधिकार यात्रा ने प्रमुख विपक्षी नेताओं को एक साथ ला खड़ा किया है। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव मिलकर काम कर रहे हैं। उनकी संयुक्त भागीदारी एक संयुक्त मोर्चे को दर्शाती है। यह सहयोग उनके उद्देश्य के प्रति एक मजबूत प्रतिबद्धता का संकेत देता है।

“वोट चोरी” के खिलाफ जन समर्थन जुटाना

यह यात्रा केवल एक राजनीतिक मार्च से कहीं अधिक है। यह जनता को जोड़ने का एक व्यापक प्रयास है। इसका उद्देश्य कथित “वोट चोरी” के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इसका उद्देश्य नागरिकों को निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव की मांग के लिए प्रेरित करना है।

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