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Vice President election से पहले Gadkari-Shinde की गुपचुप मुलाकात, गुजरात लॉबी के लिए चेतावनी!

secret meeting between gadkari and shinde before the vice president election warning for the gujarat lobby
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नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) और एकनाथ शिंद (Eknath Shinde) उपराष्ट्रपति चुनाव (Vice President election) से पहले भाजपा की या यह कह लीजिए कि मोदी और शाह की टेंशन बढ़ा रहे हैं। नितिन गडकरी और एकनाथ शिंद ना सिर्फ मुलाकात कर रहे हैं बल्कि उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले खेला करने की प्लानिंग भी इनके बीच चल रही है। आखिर यह चर्चाएं क्यों हो रही हैं? अचानक गडकरी और शिंद चर्चा का केंद्र क्यों बन रहे हैं?

वरिष्ठ पत्रकार केपी मलिक का एक पोस्ट सामने आया है। केपी मलिक इसमें लिखते हैं क्या गडकरी बनेंगे बागियों के सरदार? सूत्र दावा कर रहे हैं कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंद के संपर्क में हैं। कुछ राजनीतिक जानकारों का दावा है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग का माहौल भी इसी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।

गडकरी के बागी तेवर

गडकरी के बागी तेवर पार्टी नेतृत्व के लिए गंभीर चुनौती साबित हो सकते हैं। खासकर ऐसे वक्त में जब सत्ता के गलियारों में असंतोष और भविष्य की राजनीति की नई इबारत लिखी जा रही है। बहरहाल नितिन गडकरी के सामने अब दो रास्ते हैं। पहला या तो वह पार्टी अनुशासन के दायरे में बने रहे। दूसरा या फिर असंतुष्टता की अगुवाई करते हुए एनडीए और भाजपा के भीतर एक नया केंद्र बनाएं।

उनका यह साहसिक और कटाक्षपूर्ण बयान भाजपा हाईकमान यानी गुजरात लॉबी के लिए चेतावनी है कि सत्ता की राजनीति मात्र रणनीति या लॉबी का खेल नहीं बल्कि नेतृत्व का एक नया विमर्श भी अब तैयार हो रहा है। अगर गडकरी को दबाने की कोशिशें इसी प्रकार जारी रही तो वे पार्टी के असंतुष्ट बागियों के नेतृत्वकर्ता बन सकते हैं और जो कि भाजपा के सियासी गणित को निर्णायक रूप से बदल सकता है।

यहां पर गडकरी के बागी तेवर की बात हो रही है। किस वजह से? क्योंकि हाल फिलहाल में गडकरी का एक बयान सामने आया था जिसमें गडकरी ने यह कहा था जो लोगों को मूर्ख बना सकता है वही सबसे अच्छा नेता। गडकरी का यह बयान प्रधानमंत्री मोदी पर एक कटाक्ष के रूप में माना जा रहा था। क्योंकि मोदी जिस तरीके की बयानबाजियां करते हैं, अपनी मां को पॉलिटिक्स में जबरन घुसेड़ कर उनके नाम पर राजनीति करते हैं। काला धन वापस लाने की ताली थाली की नोटबंदी की बात करते हैं। तो ऐसे में यह जो बयान गडकरी का था, वह सीधे-सीधे प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना माना जा रहा था।

Vice President के election से पहले Gadkari-Shinde की गुपचुप मुलाकात

इसी बीच एकनाथ शिंद जो महाराष्ट्र में लगातार असंतुष्ट चल रहे हैं उनकी नाराजगी भी सामने आ गई है। अब क्योंकि ये दोनों ही नेता महाराष्ट्र से ताल्लुक रखते हैं। महाराष्ट्र से आते हैं। ऐसे में इन दोनों नेताओं की मुलाकात इन दोनों नेताओं की मीटिंग सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। कहा जा रहा है कि अगर गडकरी और शिंद ने उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले कोई प्लानिंग करके खेला पलटने की कोशिश की तो शाह और मोदी बुरे फंस सकते हैं।

आपको यह भी बताते चलें कि अगर शिंद गेम पलटने की कोशिश करते हैं तो भाजपा को उपराष्ट्रपति चुनाव के दौरान 10 वोटों का नुकसान हो सकता है। क्योंकि एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना के पास तकरीबन तकरीबन 10 वोट हैं। जिसमें से लोकसभा के सात सांसद और राज्यसभा के तीन सांसद हैं और अगर शिंदे उन्हें इंडिया पक्ष के उम्मीदवार के समर्थन में वोट करने के लिए कहेंगे या अह एनडीए के पक्ष में वोट करने के लिए नहीं कहेंगे तो ऐसे में इन 10 मतदान का या 10 वोटों का नुकसान भाजपा के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है।

एकनाथ शिंद की नाराजगी

एनडीए को बहुमत मिल सकती है। एनडीए का जो पलड़ा है वह भारी हो सकता है और ऐसा भारतीय जनता पार्टी या यह कह लीजिए कि गुजरात लॉबी नहीं चाहती है। लेकिन इन दिनों एकनाथ शिंद की नाराजगी और दूसरी तरफ गडकरी के बेटों को लगातार फ्रेम किए जाने की कोशिश को लेकर के यह दोनों ही नेता भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व या ये कह लीजिए कि गुजरात लॉबी से ना सिर्फ नाराज हैं बल्कि इनको सबक सिखाने की फिराक में भी लगे हुए हैं। इसी बीच जब ये चर्चा शुरू होती है कि इन दोनों नेताओं की मुलाकात हो रही है तो दिल्ली दरबार की निगाहें सीधे महाराष्ट्र पे आकर टिक जाती हैं।

मोदी और शाह महाराष्ट्र को लेकर खासा एक्टिव हो गए हैं। जहां एक तरफ मोदी और शाह के सामने बिहार का विधानसभा चुनाव में जो तमाम चीजें दिक्कतें सामने आ रही हैं वो है तो दूसरी तरफ 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी यह नहीं चाहती है कि किसी भी तरीके से किसी भी सहयोगी या नेता की नाराजगी उसके सामने आए या फिर कोई नेता गेम करने की सोचे।

डिनर डिप्लोमेसी का आयोजन

ऐसे में ही 9 सितंबर से पहले ये तमाम जो चीजें चल रही हैं उनको शांत करने की कोशिश उनको कम करने की कोशिश मोदी और शाह की तरफ से की जा रही है और यही वजह है कि 8 सितंबर को एक बड़े बैठक का एक डिनर डिप्लोमेसी का आयोजन किया गया है और एनडीए के सभी दलों को बुलाया गया है। खास बात यह रहेगी कि इसमें एकनाथ शिंद के जो सांसद हैं वह पहुंचते हैं या नहीं। कि एकनाथ शिंद पहुंचते हैं या नहीं या फिर 9 सितंबर को जो तस्वीर सामने आएगी वह तस्वीर कैसी होगी यह भी देखने वाली बात होगी।

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