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RK Singh ने सम्राट चौधरी से डिग्री का सबूत मांगा: बिहार की राजनीति में भाजपा की अंदरूनी कलह उजागर
कल्पना कीजिए कि आपकी ही टीम का एक शीर्ष नेता अपने किसी महत्वपूर्ण सहयोगी की फर्जी साख को सार्वजनिक रूप से उजागर कर दे। बिहार की राजनीति में अभी ठीक यही हो रहा है। नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में कभी उनके करीबी सहयोगी रहे आरके सिंह (RK Singh), सम्राट चौधरी से उनकी शिक्षा का प्रमाण मांग रहे हैं। इस साहसिक कदम ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर खलबली मचा दी है। यह सब प्रशांत किशोर के तीखे दावों से शुरू हुआ था और अब यह राज्य में पार्टी की छवि के लिए एक गंभीर संकट बनता जा रहा है।
परिचय: डिग्री की मांग जिसने बिहार भाजपा को हिला दिया
सम्राट चौधरी की साख को अभूतपूर्व चुनौती
आरके सिंह मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया और वर्षों तक उनके वफ़ादार रहे। अब, वे बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी से सीधे-सीधे डिग्री माँग रहे हैं।
यह मांग जन स्वराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर द्वारा लगाए गए एक बड़े आरोप के बाद आई है। उन्होंने कहा था कि चौधरी सातवीं फेल हैं और उनके पास फ़र्ज़ी दस्तावेज़ हैं। किसी बाहरी व्यक्ति के ऐसे दावे से तो चर्चाएँ शुरू हो जाती हैं, लेकिन सिंह के बयान से? यह तो हैरान करने वाली बात है।
गरमागरमी इसलिए है क्योंकि सिंह सवाल उठा रहे हैं कि चौधरी अपने सर्टिफिकेट क्यों नहीं दिखा रहे। अगर वे असली हैं, तो फिर देरी किस बात की? इस दबाव से एक मज़बूत टीम में दरारें उजागर हो रही हैं।
आरके सिंह की मांग भाजपा के लिए गहरी मुसीबत का संकेत क्यों है?
सिंह के शब्द इसलिए भी तीखे हैं क्योंकि वे पार्टी के लिए कोई अजनबी नहीं हैं। एक पूर्व अंदरूनी सूत्र होने के नाते, उनकी आलोचना वाकई दमदार है। इससे लोगों को आश्चर्य होता है कि क्या बिहार भाजपा इकाई में सब कुछ ठीक चल रहा है।
चुनावों से पहले पार्टी अब बढ़ते तनाव का सामना कर रही है। मतदाता इसे कमज़ोर नेतृत्व के प्रमाण के रूप में देख सकते हैं। सिंह का पारदर्शिता का आह्वान भाजपा को बिहार में अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकता है।
इसे ऐसे समझिए जैसे कोई पारिवारिक झगड़ा सड़क पर आ गया हो। जब अंदरूनी लोग ही अपनी गंदी बातें उजागर करते हैं, तो विश्वास तेज़ी से कम होता है। इस दरार के कारण पार्टी को महत्वपूर्ण क्षेत्रों में वोटों का नुकसान हो सकता है।
सम्राट चौधरी के खिलाफ प्रशांत किशोर के धमाकेदार आरोप
प्रशांत किशोर ने भी अपनी बात से पीछे नहीं हटे। उन्होंने दावा किया कि सम्राट चौधरी सिर्फ़ सातवीं कक्षा तक ही पहुँचे हैं और वहीं फेल हो गए। इससे भी बुरी बात यह कि उन्होंने आरोप लगाया कि चौधरी जिन डिग्रियों का दावा कर रहे हैं, वे जाली हैं।
यह खबर पूरे बिहार में जंगल की आग की तरह फैल गई। सोशल मीडिया पर हलचल मच गई, स्थानीय अखबारों ने पहले पन्ने पर खबरें छापीं। विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए और लोगों ने भाजपा नेताओं से जवाब मांगा।
यह हंगामा दिखाता है कि राजनीति में ईमानदार योग्यताओं की कितनी परवाह है। घोटालों से थके हुए राज्य में, यह बदलाव के लिए नए ईंधन की तरह लगता है। किशोर के शब्दों ने शिक्षा को एक भरोसेमंद मुद्दे के रूप में सुर्खियों में ला दिया है।
लिटमस टेस्ट: आरके सिंह ने डिग्री दिखाने को निर्दोषता का सबूत बताया
आरके सिंह ने एक सीधी सी बात कही। अगर आरोप झूठे हैं, तो डिग्री दिखाइए। अगर सब कुछ साफ़ है, तो चुप्पी क्यों?
उनका तर्क है कि कागज़ छिपाने से सिर्फ़ शक ही बढ़ता है। लोग सोचने लगते हैं कि किशोर के दावे सच हैं। इससे पार्टी के प्रतिनिधि के लिए एक भी आरोप बड़ी मुसीबत बन जाता है।
सिंह का तर्क बिल्कुल सही है। पारदर्शिता विश्वास पैदा करती है; गोपनीयता संदेह पैदा करती है। ऐसा कहकर, वे चौधरी की निष्क्रियता को दोषी साबित कर रहे हैं।
आरके सिंह ने हमले का दायरा बढ़ाया: कई वरिष्ठ नेताओं पर निशाना साधा
सम्राट चौधरी से आगे: मंगल पांडे, दिलीप जायसवाल और अशोक चौधरी पर हमले
आरके सिंह एक नाम पर ही नहीं रुक रहे हैं। वे स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे पर भी निशाना साध रहे हैं। इसके अलावा, दिलीप जायसवाल और अशोक चौधरी भी उनकी नज़र में हैं।
