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चुनाव आयुक्त (Election Commissioner) के छूटे पसीने: भागना पड़ा पटना
बिहार में एसआईआर की फाइनल लिस्ट मुख्य चुनाव आयुक्त (Election Commissioner) ज्ञानेश कुमार (Gyanesh Kumar) के गले का फांस बन गया है। जो ज्ञानेश कुमार वोट चोरी के मुद्दे पर राहुल गांधी से हलफनामा मांग रहे थे वो खुद अब बहुत बुरे फंस चुके हैं। हालत इतनी खराब हो गई कि एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ तैयारी हो रही तो दूसरी तरफ विपक्ष ने ऐसी रणनीति बनाई कि ज्ञानेश कुमार को पटना भागना पड़ा।
विपक्ष का चुनाव आयोग के खिलाफ रणनीति
अब वहां पर कांग्रेस और आरजेडी के साथ मीटिंग करने जा रहे हैं। इस खबर ने दिल्ली से लेकर पटना तक भूचाल मचा कर रख दिया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार वोट चोरी के मुद्दे से लेकर एसआईआर प्रक्रिया में काटे गए मतदाताओं के नाम पर चुप्पी साधे हुए हैं। उनकी तरफ से अब तक सिर्फ आरोपों को बेबुनियाद बताया गया है और कोई सफाई नहीं दी गई। जबकि विपक्ष लगातार सवाल उठाता रहा है। लेकिन चुनाव आयोग ने एक शब्द बोलना भी जरूरी नहीं समझा। तो अब विपक्ष ने भी कसम खा ली कि गुरु आपकी चुप्पी आपके गले का फांस बनेगी और इसी के साथ विपक्ष चुनाव आयोग के खिलाफ रणनीति बनाने में लग गया है।
विपक्षी दल 7 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई के लिए तैयार
खबर है कि कांग्रेस के साथ बिहार में विपक्षी खेमे के अन्य दल एसआईआर की ड्राफ्ट और अंतिम मतदाता सूची में जुड़े और काटे गए नामों की संख्या समेत अन्य पहलुओं का गहराई से अध्ययन कर रहा है। विपक्षी दल 7 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले अंतिम मतदाता सूची में हुई कथित गड़बड़ियों को सामने लाने की पूरी तैयारी में है। एसआईआर की ड्राफ्ट मतदाता सूची को लेकर पहले से ही चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट ले जा चुके हैं। विपक्षी दल अब अंतिम मतदाता सूची में कांटे और जोड़े गए नामों से लेकर इस दौरान पूरी प्रक्रिया की खामियों को उजागर कर चुनाव आयोग को घेरने को लेकर आश्वस्त हैं। इस खबर से चुनाव आयोग के पसीने छूट रहे हैं।
मतदाता सूची में जितने नाम जोड़े गए हैं उससे तीन गुना नाम काटे गए
विपक्ष किसी भी कीमत पर चुनाव आयोग के खिलाफ शांत बैठने के मूड में नजर नहीं आ रहा है। ड्राफ्ट सूची से लेकर फाइनल लिस्ट की पूरे डाटा के साथ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। जैसे ही खबर ज्ञानेश कुमार के कानों तक पहुंची पटना आने की तैयारी में लग गए। अब दोस्तों आप खेल समझिए। चुनाव आयोग द्वारा जारी फाइनल वोटर लिस्ट में बिहार के कुल 7 करोड़ 42 लाख मतदाता दर्ज किए गए हैं। एसआईआर प्रक्रिया जून में शुरू हुई एसआईआर से पहले बिहार में कुल मतदाताओं की संख्या 7 करोड़ 79 लाख से अधिक थी। लेकिन अगस्त में जारी ड्राफ्ट सूची में 7 करोड़ 24 लाख बची। ड्राफ्ट में 65 लाख नाम गैर हाजिर स्थानांतरित या मृत बताकर हटा दिए गए। इसके अलावा 366000 नाम दावे और आपत्तियों के चरण के दौरान हटाए गए। वहीं सिर्फ 21,53,000 नए मतदाता जोड़े गए हैं। मतलब साफ है कि जितने नाम जोड़े गए हैं उससे तीन गुना नाम काटे गए हैं।
चुनाव आयोग का चेहरा बेनकाब
सवाल उठ रहा है कि कैसे हो सकता है कि जोड़े गए नाम से तीन गुना नाम काटे जा सकते हैं। क्या ऐसा संभव हो सकता है? आखिर कैसे तीन गुना नाम काटे गए? यह बात किसी को हजम नहीं हो रही। इसलिए विपक्ष ने कमर कस ली है। आपने भी सुना और देखा होगा कि कितने लोग ऐसे थे जिन्होंने खुद सामने आकर चुनाव आयोग का चेहरा बेनकाब किया है और चीख-चीख कर कह रहे थे कि चुनाव आयोग ने उनका अधिकार छीन लिया है। किसी का नाम मरा बताकर काटा गया तो किसी के दस्तावेजों में कमियां बताकर काटा गया। अब खबर इधर आई कि 7 अक्टूबर को ड्राफ्ट और अंतिम लिस्ट में धांधली का डाटा इकट्ठा करके विपक्ष सुप्रीम कोर्ट जा रहा है।
जब सुप्रीम कोर्ट में एसआईआर पर सुनवाई होगी तो जज साहब के सामने चुनाव आयोग के सारे कारनामों को रखा जाएगा कि किस तरह से घपला हुआ है? कैसे जनता के अधिकार छीने गए हैं। अब जैसे ही खबर चुनाव आयोग तक पहुंची, ज्ञानेश कुमार के पसीने छूट गए। उनकी घबराहट बढ़ गई। ऐसा हम क्यों कह रहे हैं? क्योंकि दोस्तों इसी के बाद खबर सामने आई कि मुख्य चुनाव आयुक्त पटना आ रहे हैं। उन्होंने अपना पटना दौरा फिक्स कर लिया है।
पटना के होटल ताज में विपक्षी दलों के साथ मीटिंग
4 अक्टूबर को पटना के होटल ताज में सुबह 10:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक होगी। बैठक की अध्यक्षता मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार करेंगे। इसमें मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है। हर पार्टी से अधिकतम तीन प्रतिनिधियों को शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। बताया जा रहा है कि इस बैठक में मतदाता सूची प्रारूप समेत कई मुद्दों पर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से फीडबैक लेंगे। मतलब एसआईआर प्रक्रिया से जुड़े मुद्दों पर बात करेंगे और उनसे सुझाव लेंगे। इसमें कांग्रेस से लेकर आरजेडी, भाजपा, जेडीयू चिराग पासवान और जीतन राम मांझी की पार्टी के साथ जितनी भी मान्यता प्राप्त पार्टियां हैं वह शामिल होंगी।
चुनाव आयोग की चाल
उनसे फीडबैक लेंगे। कमियों के बारे में बात करेंगे। बातचीत करने के बाद ही तारीखों का ऐलान करेंगे। लेकिन दोस्तों इस मीटिंग के पीछे ज्ञानेश कुमार का मकसद है। आप चुनाव आयोग की चाल को समझिए। सूत्रों का कहना है कि अभी तक ज्ञानेश कुमार को विपक्ष की याद नहीं आई। अभी तक कोई मीटिंग नहीं की गई। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से तीन दिन पहले इसलिए मीटिंग होने जा रही है ताकि मीटिंग में विपक्ष के पक्ष में बात करने की कोशिश की जाए।
उनकी बातों को तवज्जो दिया जाए। ऐसा करने से हो सकता है कि विपक्ष के चुनाव आयोग के खिलाफ नरम पड़ जाए। अब हालांकि यह तो देखने वाली बात होगी कि इस मीटिंग में क्या होता है। किस मुद्दे पर बात होगी। क्या विपक्ष की बात को तवज्जो मिलेगी या फिर भाजपा की बी टीम बनकर ही मीटिंग होगी और 7 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में क्या होता है?
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