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48 वर्षों का समर्पण और बेदाग छवि: क्या संतोष श्रीवास्तव बांकीपुर में कांग्रेस को दिलाएंगे जीत?
बिहार की राजनीति में जहाँ हर चुनाव नए समीकरणों और चेहरों की मांग करता है, वहीं कुछ नेता ऐसे भी हैं जिनकी पहचान पार्टी के प्रति उनकी दशकों की निष्ठा और जनता के बीच उनकी सामाजिक पकड़ से होती है। ऐसे ही एक अनुभवी नेता हैं संतोष कुमार श्रीवास्तव, जिनका नाम पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली प्रतिष्ठित बांकीपुर (182) विधानसभा सीट के लिए कांग्रेस के एक प्रबल दावेदार के रूप में उभर रहा है। लगभग 48 वर्षों से कांग्रेस की विचारधारा को जमीनी स्तर पर सींचने वाले संतोष श्रीवास्तव का राजनीतिक सफर समर्पण और संगठन के प्रति वफादारी की एक मिसाल है।
48 वर्षों का समर्पण और बेदाग छवि: संतोष श्रीवास्तव
संतोष श्रीवास्तव ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से की। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) में सक्रिय भूमिका निभाते हुए युवाओं को पार्टी से जोड़ा। इसके बाद, उन्होंने यूथ कांग्रेस में रहकर अपनी ऊर्जा और नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया और फिर कांग्रेस सेवादल में भी अपना बहुमूल्य योगदान दिया। संगठन के इन तीनों महत्वपूर्ण स्तंभों में काम करने का उनका अनुभव उन्हें जमीनी हकीकत और पार्टी कार्यकर्ताओं की नब्ज को समझने वाला नेता बनाता है। इतने लंबे समय तक बिना किसी पद के लोभ के पार्टी की सेवा करना उनकी विचारधारा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
बांकीपुर विधानसभा का जातीय समीकरण
अब बात करते हैं बांकीपुर विधानसभा सीट के राजनीतिक और जातीय समीकरणों की। यह क्षेत्र लंबे समय से भाजपा का गढ़ रहा है, लेकिन यहाँ की चुनावी हार-जीत में जातीय समीकरणों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। बांकीपुर में कायस्थ, वैश्य और क्षत्रिय मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं। संतोष श्रीवास्तव खुद कायस्थ समुदाय से आते हैं, जो इस क्षेत्र का एक बड़ा और प्रभावशाली वोट बैंक है। कायस्थ समुदाय से होने के कारण उन्हें स्वाभाविक रूप से अपने समाज का समर्थन मिलने की प्रबल संभावना है, जो किसी भी उम्मीदवार के लिए एक मजबूत शुरुआती बढ़त होती है।
बेदाग छवि
हालांकि, संतोष श्रीवास्तव की असली ताकत सिर्फ जातीय समीकरणों तक सीमित नहीं है। उनकी सबसे बड़ी पूंजी उनकी साफ-सुथरी, कर्मठ और सामाजिक छवि है। वह उन गिने-चुने नेताओं में से हैं, जिन पर आज तक कोई राजनीतिक या व्यक्तिगत दाग नहीं लगा। उनकी यही बेदाग छवि उन्हें अन्य दलों के वोटरों के बीच भी स्वीकार्य बनाती है। समाज के हर वर्ग, चाहे वह किसी भी जाति या धर्म का हो, के बीच उनकी व्यक्तिगत पकड़ और मधुर संबंध हैं। वह सुख-दुःख में लोगों के साथ खड़े रहते हैं, जो उन्हें एक राजनेता से ज्यादा एक सामाजिक अभिभावक के रूप में स्थापित करता है।
इन तमाम खूबियों को देखते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि संतोष कुमार श्रीवास्तव बांकीपुर सीट पर कांग्रेस के लिए एक ‘गेम-चेंजर’ साबित हो सकते हैं। उनका 48 वर्षों का लंबा राजनीतिक अनुभव, संगठन पर मजबूत पकड़, बेदाग छवि और सभी सामाजिक वर्गों में गहरी पैठ उन्हें एक ऐसा उम्मीदवार बनाती है जो न केवल भाजपा के मजबूत किले में सेंध लगा सकता है, बल्कि इस सीट को कांग्रेस की झोली में वापस लाने की क्षमता भी रखता है।
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