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Tejashwi Yadav Seat Sharing Formula: बिहार चुनाव 2025 में टिकट कैसे तय होंगे?
बिहार चुनाव की तारीखें तय हो चुकी हैं, हवा गरम है, और नजरें टिकी हैं महागठबंधन के सीट बंटवारे पर। तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने साफ कहा, देरी बस फाइनल टच की है। साथ ही, उन्होंने उम्मीदवारों के चयन का नया शीट शेयरिंग फार्मूला (Seat Sharing Formula) भी सामने रखा, जिसमें विनेबिलिटी और सामाजिक संतुलन निर्णायक होंगे। इस बातचीत में उन्होंने भाजपा पर तीखे सवाल उठाए, 2020 की गलतियों को स्वीकारा, और युवाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग जैसे मुद्दों पर अपना विज़न पेश किया। यह पूरा सार आपके लिए, स्पष्ट और बिना गोलमोल बातों के।
Tejashwi Yadav Seat Sharing Formula: फाइनल टच और आत्मविश्वास
महागठबंधन में सीट शेयरिंग की औपचारिक घोषणा थोड़ी टल गई है, पर संदेश सीधा है, 2-3 दिन में तस्वीर साफ होगी। तेजस्वी की भाषा में कहें तो, All is well। बातचीत जारी है, फॉर्मूला लगभग तय है, बस घोषणात्मक रूप देना बाकी है।
- हर पार्टी ज्यादा सीट चाहती है, यह स्वाभाविक है।
- एक ऐसा फॉर्मूला निकलेगा जिसमें सबको सम्मान मिले।
- सबसे बड़ा लक्ष्य, भ्रष्ट व्यवस्था को हटाना है, जो बीते 20 साल में जनता से सिर्फ लेने में लगी रही।
महागठबंधन की प्राथमिकताएं:
- भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई, कागज पर नहीं, जमीन पर
- वॉशिंग मशीन राजनीति से बचाव, जहां दागी नेता सत्ता पक्ष में जाकर साफ हो जाते हैं
- उम्मीदवारों का चयन विनेबिलिटी के आधार पर, सिर्फ कोटा या दबाव से नहीं
तेजस्वी का कहना है, जनता बदलाव चाहती है और उसी भरोसे पर उनकी टीम मैदान में है।
बीजेपी नेताओं पर निशाना और काम बनाम बयान
तेजस्वी ने बिहार में भाजपा के चेहरों को लेकर दो शब्दों का इस्तेमाल किया, एक को उन्होंने “लाउड माउथ” और दूसरे को “फाउल माउथ” कहा। चुनौती दी कि दोनों उपमुख्यमंत्री अपने किए हुए काम गिनाएं। आरोप यह भी कि कुछ नेता सिर्फ गालियां देकर नेता बने हैं, काम के नाम पर खाली पन्ना है।
दूसरी तरफ, अपनी 17 महीनों की डिप्टी सीएम वाली अवधि का जिक्र करते हुए तेजस्वी कहते हैं कि वे अपने कम से कम 20 ठोस काम गिना सकते हैं। भाजपा, कांग्रेस और लालू यादव पर आरोप लगाना आसान है, पर शासन का हिसाब देना जरूरी है। यही असल सवाल है।
- तेजस्वी के कार्यकाल में किए गए काम, जिनमें रोजगार और शिक्षा पर कदम शामिल हैं
- भाजपा के पास उपलब्धियां कम, आरोप और बयान ज्यादा
उन्होंने यह भी जोड़ा कि गाली देने से सरकारें नहीं बनतीं, काम का हिसाब देना पड़ता है।
घोटालों पर कार्रवाई कहां और सत्ता में वापसी पर चेतावनी
बालिका गृह कांड से लेकर उन घोटालों तक, जिनकी संख्या प्रधानमंत्री ने मंच से बताई थी, तेजस्वी के मुताबिक न तो कोई ठोस जांच हुई, न सजा। सवाल यह है कि इतने बड़े मुद्दों पर चुप्पी क्यों।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह व्यवस्था फिर लौटी, तो:
- भ्रष्ट अधिकारियों का मनोबल और बढ़ेगा
- अफसरशाही और तानाशाही का बोलबाला होगा
- अपराध, बेरोजगारी और महंगाई बढ़ेंगे
- शिक्षा और स्वास्थ्य की हालत और खराब होगी
उदाहरण में उन्होंने कहा कि बिहार में ग्रेजुएशन तीन साल में भी नहीं हो पाता। नए मेडिकल कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ाई ढंग से नहीं चल रही, लोग आज भी पुराने संस्थानों पर निर्भर हैं। यह स्थिति बदले बिना विकास की बात खोखली है।
तंज करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि कुछ नेताओं के दामन पर गंभीर आरोप होने के बावजूद भी उन्हें संरक्षण मिला, यहां तक कि चुनाव प्रचार में भी समर्थन मिला। महिलाओं के सम्मान, मणिपुर की घटनाएं, और पहलवानों के संघर्ष पर भी सवाल उठाए गए कि केंद्र ने क्या ठोस कदम उठाए।
2020 से मिली सीख और 2025 के लिए सीट शेयरिंग का फार्मूला
तेजस्वी ने 2020 का जिक्र करते हुए कहा कि वह चुनाव मामूली अंतर से गया। उनके मुताबिक:
- कई सीटें कुछ हजार वोट से फिसलीं, कुल मिलाकर 5-6 विधायक कम पड़े।
- शाम 4 बजे तक महागठबंधन 122 के ऊपर दिख रहा था।
- रात में गिनती फिर शुरू हुई और कई जीते उम्मीदवार हार में बदले। उन्होंने इसे सीटों की चोरी जैसा बताया।
गलतियां मानने से भी वे नहीं हिचके। संदेश साफ है, इस बार सीख लेकर आगे बढ़ेंगे।
2020 की प्रमुख गलतियां:
- गलत उम्मीदवार चयन, विनेबिलिटी की अनदेखी
- कुछ सहयोगियों का स्ट्राइक रेट कम रहना
सीट बंटवारे पर उनका तर्क यह है कि गठबंधन का मतलब सामूहिक जिम्मेदारी है। बिहार की 243 सीटें सिर्फ एक पार्टी नहीं लड़ती, पूरा गठबंधन लड़ता है। इसलिए उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए जो जीत सके, ताकि सेना सही दिशा में चल सके।
- आरजेडी का पिछले चुनाव में स्ट्राइक रेट करीब 53-54 प्रतिशत रहा
- कुछ साथियों का स्ट्राइक रेट 47-48 प्रतिशत के आसपास रहा
- अगर विनेबिलिटी को शीर्ष प्राथमिकता मिलती, तो 130-135 सीटों तक पहुंचना संभव था
2025 के लिए स्पष्ट रणनीति:
- पहले नंबर पर विनेबिलिटी
- सोशल कंपोजिशन का संतुलन, यानी सामाजिक भागीदारी बेहतर करना
- सीट मांगे नहीं, जीतने के फैक्टर देखें
- collective responsibility की भावना में निर्णय
डिप्टी सीएम की मांग और पावर शेयरिंग
कुछ सहयोगी दलों में Deputy CM demands की चर्चा तेज है। तेजस्वी का रुख लचीला दिखा। उनका कहना है, गठबंधन में ऐसी मांगें असामान्य नहीं। यूपी में भी एक सीएम के साथ दो डिप्टी सीएम हैं। अगर चुनाव बाद साथियों की कोई वाजिब मांग आती है, तो उसे देखा जाएगा। मकसद यह है कि साझेदारी सम्मानजनक और स्थिर हो।
बिहार के लिए विज़न: पढ़ाई, दवाई, कमाई, सिंचाई, सुनवाई, करवाई
तेजस्वी अपनी सरकार के विज़न को छह स्तंभों में रखते हैं, जिसे वे बार-बार दोहराते हैं। यह सिर्फ नारा नहीं, रोडमैप है।
- पढ़ाई: स्कूलों और विश्वविद्यालयों की हालत सुधारना, नए संस्थान, बेहतर फैकल्टी। एक बड़ी योजना, 2000 एकड़ में एजुकेशनल सिटी। कोटा जैसा मॉडल बिहार में, ताकि बच्चे बाहर न जाएं। इससे राज्य का पैसा भी यहीं खर्च होगा और रेवेन्यू भी बढ़ेगा।
- दवाईi: जिला से लेकर प्रखंड स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं, डॉक्टरों के लिए बेसिक सुविधाएं।
- कमाई: उद्योग, स्टार्टअप, और स्किल आधारित नौकरियां, ताकि स्थानीय युवाओं को मौके मिलें।
- सिंचाई: खेती के लिए सिंचाई का बेहतर नेटवर्क, ताकि किसान मौसम पर कम निर्भर रहें।
- सुनवाई: जन सुनवाई की मजबूत व्यवस्था, शिकायतों का समय पर निपटारा।
- कार्रवाई: फैसलों पर कार्रवाई, फाइलों में नहीं, जमीन पर काम।
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