Vimarsh News
Khabro Me Aage, Khabro k Pichhe

Bihar election 2025: दुश्मनी भुला कर एक साथ आये नीतीश और मांझी, चिराग के खिलाफ खुली बगावत?

bihar election 2025 nitish and manjhi come together forgetting their enmity 20251024 180333 0000
0 46

Bihar election 2025: बिहार की राजनीति में पुराने दोस्त कभी-कभी दुश्मन बन जाते हैं। लेकिन कभी-कभी वे फिर से साथ आ जाते हैं। नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी की कहानी ऐसी ही है। ये दोनों नेता एनडीए गठबंधन में हैं। लेकिन चिराग पासवान के कारण इनकी नाराजगी बढ़ गई है। ये गठबंधन चुनाव से पहले बड़ा बदलाव ला सकता है। क्या आप जानते हैं कि सीटों की बंटवारा ने इनकी दोस्ती को कैसे मजबूत किया? आइए देखते हैं इसकी पूरी कहानी।

परिचय: बिहार के एनडीए गतिशीलता में बदलाव की रेत

नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी के बीच पुरानी दोस्ती टूट चुकी थी। लेकिन अब दोनों एक जैसे सुर मिला रहे हैं। नीतीश ने ही मांझी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया था। अब चुनाव के समय दोनों एनडीए में साथ लड़ रहे हैं। नीतीश चाहते हैं कि बीजेपी उनको मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करे। लेकिन अमित शाह ने कहा कि चुनाव के बाद फैसला होगा। मांझी ने नीतीश का साथ दिया। ये बदलाव बिहार की राजनीति को नया मोड़ दे रहा है।

पूर्व सहयोगियों का पुनर्मिलन

नीतीश कुमार की जेडीयू और जीतन राम मांझी की हम पार्टी के बीच पुरानी नाराजगी थी। लेकिन अब दोनों करीब आ गए हैं। मांझी को नीतीश ने ही सीएम बनाया था। फिर भी मांझी ने अपनी पार्टी बनाई। अब दोनों एक गठबंधन में हैं। ये पुनर्मिलन चुनावी रणनीति का हिस्सा लगता है। कार्यकर्ता भी इस बदलाव को महसूस कर रहे हैं।

मुख्य संघर्ष: सीएम चेहरा और सीट बंटवारे की नाराजगी

नीतीश बीजेपी से कह रहे हैं कि चुनाव से पहले उनका नाम सीएम के लिए घोषित हो। अमित शाह ने कहा कि विधायक चुनाव के बाद तय करेंगे। मांझी ने तुरंत नीतीश का समर्थन किया। ये विवाद गठबंधन के अंदर तनाव पैदा कर रहा है। दोनों नेताओं की एकता बीजेपी की रणनीति पर सवाल उठा रही है।

नेतृत्व और बीजेपी की रणनीति पर साझा रुख की व्याख्या

नीतीश और मांझी दोनों एक ही बात पर अड़े हैं। वे चाहते हैं कि सीएम का नाम पहले ही तय हो जाए। ये रुख चिराग पासवान को निशाना बना रहा है। बीजेपी की अस्पष्ट नीति ने इन दोनों को करीब ला दिया। आइए इसकी गहराई समझते हैं।

मांझी का नीतीश पर समर्थन: चुनाव पूर्व सीएम घोषणा पर

मांझी ने कहा कि नीतीश सही कह रहे हैं। जनता को चुनाव से पहले सीएम का चेहरा पता होना चाहिए। ये बयान तुरंत आया अमित शाह के बयान के बाद। इससे दोनों नेताओं का एकजुट फ्रंट दिखा। ये गठबंधन के अंदर बीजेपी पर दबाव बना रहा है। मांझी का ये कदम उनकी अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास है।

अमित शाह का चुनावोत्तर जनादेश और विधायकों की निर्णायक भूमिका

अमित शाह ने साफ कहा कि सीएम का फैसला चुनाव के बाद होगा। विधायक मिलकर तय करेंगे। ये बयान नीतीश के लिए झटका था। मांझी ने इसे मौका बनाया नीतीश का साथ देने का। ये नीति बीजेपी की सामान्य रणनीति है। लेकिन बिहार में ये विवाद बढ़ा रही है। गठबंधन के छोटे दलों को ये पसंद नहीं आया।

चिराग पासवान: जेडीयू और हम के लिए मुख्य राजनीतिक विरोधी

चिराग पासवान नीतीश और मांझी के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। 2020 के चुनाव ने ये साबित किया। दोनों नेता चिराग को कमजोर करना चाहते हैं। ये दुश्मनी गठबंधन के अंदर चल रही है।

2020 चुनावों की लंबी छाया

2020 में चिराग ने अकेले चुनाव लड़ा। इससे जेडीयू की सीटें कम हो गईं। नीतीश की पार्टी तीसरे नंबर पर आ गई। अगर चिराग साथ होते तो नुकसान कम होता। जेडीयू कार्यकर्ताओं में ये टीस है। चिराग को दोष देते हैं वे। ये पुरानी नाराजगी अब फिर उभर रही है।

जेडीयू और एलजेपी (आर) के कार्यकर्ताओं के बीच स्तर पर विरोधाभास

गठबंधन कागज पर है। लेकिन जमीन पर कार्यकर्ता लड़ रहे हैं। जेडीयू और एलजेपी के बीच रसाकशी चल रही है। हम पार्टी ने कहा कि दो सीटों पर चिराग के खिलाफ लड़ेगी। नीतीश ने पहले ही 4 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। ये अंतर्द्वंद्व वोट बांट सकता है। कार्यकर्ता नारे लगाते समय भी तनाव महसूस करते हैं।

एलजेपी (आर) की ओर बीजेपी की पक्षपात की धारणा

मांझी को लगता है कि बीजेपी चिराग को ज्यादा प्यार करती है। चिराग दुलारे लगते हैं बीजेपी को। मांझी की इज्जत कम हो रही है। इसलिए मांझी नीतीश के साथ खड़े हो गए। ये धारणा दलित वोटों पर असर डालेगी। दोनों नेता अपनी स्थिति बचाने के लिए एक हो गए।

एनडीए में उभरता ‘एंटी-चिराग’ ब्लॉक

नीतीश और मांझी एक ही लाइन पर चल रहे हैं। उनके शब्द एक जैसे हैं। ये ब्लॉक चिराग के लिए खतरा है। दोनों जानते हैं कि चिराग मजबूत हुआ तो वे कमजोर पड़ेंगे।

इसे भी पढ़ें – Bihar election 2025: कांग्रेस ने चौथी लिस्ट जारी की, छह नए उम्मीदवारों को मिला टिकट, RJD से टकराव तेज

Leave a comment