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Bihar politics: डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी का खेसारी लाल यादव पर ‘नचनिया’ कहना पड़ा भारी, जनता ने सिखाया सबक!

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बिहार की राजनीति (Bihar politics) में एक नया विवाद छिड़ गया है। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने आरजेडी के उम्मीदवार खेसारी लाल यादव को ‘नचनिया’ कह दिया। यह बात छपरा में चुनाव प्रचार के दौरान कही गई। लोग इसे कलाकारों का अपमान मान रहे हैं। खेसारी लाल ने भी तीखा जवाब दिया। उन्होंने बीजेपी के नेताओं पर आसाराम बापू के चेलों का आरोप लगाया। यह बयान वायरल हो गया। अब सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है। एनडीए के उम्मीदवारों को भी जनता भगा रही है। यह घटना बिहार चुनाव की तस्वीर बयान कर रही है। आइए, पूरी कहानी समझते हैं।

सम्राट चौधरी का ‘नचनिया’ बयान: राजनीति के लिए कला का अपमान

सम्राट चौधरी छपरा पहुंचे थे। वहां आरजेडी के खेसारी लाल यादव के खिलाफ बीजेपी की उम्मीदवार छोटी कुमारी का प्रचार कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आरजेडी को उम्मीदवार नहीं मिला तो नाचने वाले को उतार दिया। यह बयान सुनते ही हंगामा मच गया। लोग इसे गंदा हमला बता रहे हैं। चौधरी ने खेसारी की कला को नीचा दिखाने की कोशिश की। लेकिन इससे उनकी उम्मीदवार की तारीफ कम हुई।

आरोप और छिपा मकसद

चौधरी का यह शब्द इस्तेमाल वोटरों को भ्रमित करने के लिए था। वे सोचते थे कि खेसारी के भोजपुरी कलाकार होने से कुछ वोटर नाराज होंगे। लेकिन यह रणनीति उल्टी पड़ गई। खेसारी की लोकप्रियता बढ़ गई। लोग कह रहे हैं कि कला को राजनीति में घसीटना गलत है। चौधरी ने नीचे उतरने का रास्ता चुना। लेकिन जनता ने इसे नकार दिया।

तुरंत जनता और राजनीतिक विरोध

बयान के बाद सोशल मीडिया पर आग लग गई। यूजर्स ने चौधरी की निंदा की। उन्होंने कहा कि यह सभी कलाकारों का अपमान है। यहां तक कि तटस्थ लोग भी बोले। वे बोले कि खेसारी ने मेहनत से नाम कमाया। छपरा में उनकी रैलियों में भीड़ उमड़ रही है। लोग उन्हें सुनने आते हैं। चौधरी का हमला विपरीत असर कर गया।

पाखंड उजागर: एनडीए में भोजपुरी स्टार्स की दोहरी भूमिका

चौधरी का बयान देखकर सवाल उठता है। उनकी पार्टी में भी ऐसे कलाकार हैं। वे भोजपुरी इंडस्ट्री से आते हैं। फिर खेसारी को ही क्यों निशाना बनाया? यह स्पष्ट पाखंड है। बीजेपी आरजेडी को कोसती है लेकिन अपने को छिपाती है।

विरोधाभास के नाम: मनोज तिवारी, निरहुआ और पवन सिंह

बीजेपी में मनोज तिवारी सांसद हैं। वे गायक और अभिनेता हैं। रवि किशन भी यही करते हैं। दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ बीजेपी से जुड़े हैं। पवन सिंह भी इसी क्षेत्र से हैं। ये सब नाचते-गाते हैं। अगर खेसारी नचनिया हैं तो ये भी हैं। लेकिन बीजेपी इन्हें तारीफ देती है। खेसारी को ही क्यों नीचा दिखाया? यह साफ दोहरा चरित्र है।

राजनीतिक समर्थन में दोहरा मापदंड

एनडीए इन कलाकारों को अपना चेहरा बनाती है। वे चुनाव लड़ते हैं। वोट मांगते हैं। लेकिन जब खेसारी आरजेडी से आते हैं तो दुश्मन हो जाते हैं। यह फर्क क्यों? तेजस्वी यादव के साथ खेसारी युवाओं की बात करते हैं। वे लोगों की आवाज बनते हैं। एनडीए का यह रवैया जनता को चुभ रहा है। सोशल मीडिया पर लोग इसे उछाल रहे हैं।

खेसारी लाल यादव का सोचा-समझा पलटवार: खेल उलट दिया

खेसारी ने चौधरी के बयान का जवाब दिया। उनका लहजा तीखा लेकिन संयमित था। उन्होंने कहा कि उनकी नजर में मैं नचनिया हूं तो ठीक है। लेकिन मैं कलाकार हूं। यह जवाब वायरल हो गया। खेसारी ने मुद्दा मोड़ दिया। अब बात उनकी कला पर नहीं रही।

स्वीकृति और नया मतलब: ‘मैं कलाकार हूं’

खेसारी ने माना कि वे नाचते हैं। लेकिन मेहनत से ऊंचाई हासिल की। छपरा में लोग उन्हें प्यार देते हैं। रैलियों में भीड़ लगती है। वे युवाओं के मुद्दे उठाते हैं। तेजस्वी के साथ जुड़े क्योंकि वे लोगों की मदद करते हैं। यह स्वीकृति ने उन्हें मजबूत बनाया। जनता ने सराहा।

विस्फोटक आरोप: ‘आसाराम बापू के चेले’

खेसारी ने सबसे बड़ा तीर चलाया। कहा कि एनडीए में आसाराम बापू के शिष्य हैं। आसाराम दोषी साबित हो चुके हैं। उन पर रेप के केस हैं। महिलाओं और बच्चियों से जुड़े अपराध। उनके चेले बीजेपी में हैं। यह आरोप भारी पड़ा। नैतिकता पर सवाल उठे। जनता सोचने लगी कि कौन साफ है। खेसारी ने कहा कि जनता फैसला करेगी।

जमीन पर हकीकत: बिहार भर में एनडीए उम्मीदवारों पर जनता का गुस्सा

शब्दों की जंग से हटकर देखें तो एनडीए की मुश्किलें बढ़ रही हैं। उम्मीदवारों को भगाया जा रहा है। लोग नारे लगा रहे हैं। यह बिहार के कई इलाकों में हो रहा है। चौधरी जैसे नेता हमलों पर ध्यान देते हैं। लेकिन असली मुद्दे भूल जाते हैं।

विरोध प्रदर्शन और ‘वापस जाओ’ नारे

जहानाबाद में एनडीए उम्मीदवार को खदेड़ा गया। दरभंगा में भी यही हुआ। गांव-गांव से तस्वीरें आ रही हैं। लोग ‘वापस जाओ’ चिल्लाते हैं। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हैं। जनता नकारात्मक प्रचार से तंग आ चुकी है। वे विकास चाहते हैं। न कि गालियां।

जनभावना नकारात्मक प्रचार के खिलाफ

एक्स पर यूजर्स खेसारी के पक्ष में हैं। एक ने लिखा कि चौधरी का बयान शर्मनाक है। यह सभी कलाकारों का अपमान है। दूसरे ने कहा कि मनोज तिवारी को क्या मानते हो? खेसारी का जवाब सही है। लोग चौधरी की आलोचना कर रहे हैं। एनडीए की रणनीति फेल हो रही है। जनता सकारात्मक नेतृत्व चाहती है।

निष्कर्ष: कलाकारों की विश्वसनीयता को कमजोर करने के राजनीतिक परिणाम

सम्राट चौधरी का हमला पूरी तरह विफल रहा। इससे खेसारी मजबूत हो गए। एनडीए का पाखंड सामने आ गया। खेसारी लोगों की आवाज बन रहे हैं। वे युवाओं के लिए लड़ते हैं। वहीं एनडीए व्यक्तिगत हमलों में उलझी है। छपरा सीट का मुकाबला कड़ा है। जनता फैसला करेगी।

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