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Tejashwi Yadav का साहसी कदम: मुस्लिम और दलित चेहरों समेत कई डिप्टी सीएम से हिलेगी बिहार की सियासत
बिहार की राजनीति में हलचल मचाने वाला एक बड़ा ऐलान हो गया है। महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने कहा है कि अगर उनकी सरकार बनी, तो एक से ज्यादा डिप्टी सीएम बनेंगे। इनमें मुस्लिम और दलित समुदाय के लोग जरूर शामिल होंगे। वोटिंग के कुछ ही दिन पहले यह बात सामने आई। इससे एनडीए में खलबली मच गई है। भाजपा पर हिंदू-मुस्लिम मुद्दे को लेकर पहले से दबाव था। अब तेजस्वी का यह बयान विपक्ष को और परेशान कर रहा है।
महागठबंधन की डिप्टी सीएम रणनीति
अशोक गहलोत की अगुवाई वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुकेश साहनी का नाम डिप्टी सीएम के लिए तय हो चुका था। कांग्रेस नेता गहलोत ने यह बात कही। लेकिन तेजस्वी यादव ने साफ किया कि साहनी अकेले नहीं रहेंगे। महागठबंधन सत्ता में आया, तो कई डिप्टी सीएम बनेंगे। यह फैसला सभी समुदायों को साथ ले चलने का संकेत देता है। तेजस्वी ने इंटरव्यू में जोर दिया कि हर वर्ग को प्रतिनिधित्व मिलेगा।
साहनी के अलावा विविध प्रतिनिधित्व का वादा
तेजस्वी ने खुलकर कहा कि मुस्लिम और दलित समुदाय से डिप्टी सीएम जरूर होंगे। यह केवल मुकेश साहनी तक सीमित नहीं रहेगा। विभिन्न समुदायों से अन्य नेता भी इस पद पर आएंगे। हम सबको साथ लेकर चलेंगे, तेजस्वी ने कहा। गहलोत ने भी उसी दिन संकेत दिया था कि साहनी के अलावा बाकी लोग भी होंगे। विभिन्न वर्गों की चिंताओं का समाधान होगा। यह वादा बिहार की सियासत में नया मोड़ ला रहा है।
बहु-डिप्टी सीएम का इतिहास और महत्व
इससे पहले तेजस्वी की एक तस्वीर वायरल हुई थी। इसमें वे मुकेश साहनी, आईपी गुप्ता और कौजी साहब के साथ दिखे। इस फोटो से सवाल उठे कि क्या तीन या चार डिप्टी सीएम बनेंगे? अगर ऐसा हुआ, तो यह किसी राज्य में पहली बार होगा। बिहार में इतने डिप्टी सीएम का ऐलान अनोखा साबित हो सकता है। यह कदम गठबंधन की एकजुटता दिखाता है। राजनीतिक जानकार इसे ऐतिहासिक मान रहे हैं।
राजनीतिक रणनीति का विश्लेषण: प्रमुख वोट बैंक पर नजर
तेजस्वी ने इंटरव्यू में बताया कि जब विपक्ष सामाजिक प्रतिनिधित्व की बात करता है, तो भाजपा परेशान हो जाती है। हमने दलित और मुस्लिम से डिप्टी सीएम का वादा किया, तो भाजपा आईटी सेल ने ट्रोलिंग शुरू कर दी। ये वही लोग हैं जो मुसलमानों को घुसपैठिया कहते हैं। भाजपा के नेता अक्सर कहते हैं कि हमें मुस्लिम वोट नहीं चाहिए। लेकिन तेजस्वी का ऐलान मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत कर रहा है। इससे एनडीए की रणनीति बिगड़ रही है।
महत्वपूर्ण आंकड़े: दलित और मुस्लिम आबादी की ताकत
बिहार में दलितों की आबादी करीब 19.65 फीसदी है। मुस्लिमों की संख्या 17 फीसदी से ज्यादा है। ये दोनों मिलकर 37 फीसदी आबादी बनाते हैं। यह आंकड़ा किसी भी गठबंधन के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। तेजस्वी का वादा इन्हें एकजुट रखने की कोशिश है। वोटिंग नजदीक आ रही है, इसलिए यह रणनीति सही समय पर आई। दलित और मुस्लिम वोटर अब महागठबंधन की ओर झुक सकते हैं।
आरजेडी का कोर वोट: यादव-मुस्लिम एकीकरण
यादव समुदाय बिहार में 14.27 फीसदी है। यह आरजेडी का पुराना पारंपरिक वोट बैंक है। मुस्लिम वोट भी हमेशा साथ रहा। अब दलित वोट जोड़ने से कुल आंकड़ा 51.27 फीसदी हो जाता है। इतना बड़ा मार्जिन तेजस्वी के पक्ष में जा सकता है। उनकी योजनाएं इसी के इर्द-गिर्द घूम रही हैं। हर समाज को डिप्टी सीएम का मौका देकर वे सभी को लुभा रहे हैं। यह कदम वोट एकीकरण की मजबूत रणनीति है।
महागठबंधन की अल्पसंख्यक उम्मीदवारों की संख्या
महागठबंधन ने 30 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं। यह कुल टिकटों का करीब 12.35 फीसदी है। यह आंकड़ा उनकी समावेशी सोच दिखाता है। तेजस्वी का ऐलान इसी दिशा में एक कदम है। मुस्लिम वोटरों को लगेगा कि उनकी आवाज सुनी जा रही है। इससे गठबंधन की सीटें बढ़ सकती हैं। राजनीतिक विश्लेषक इसे सकारात्मक कदम मानते हैं।
एनडीए के चयन से तुलना
एनडीए ने केवल पांच मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। यह महागठबंधन से बहुत कम है। भाजपा की रणनीति में अल्पसंख्यकों को कम महत्व मिला। तेजस्वी का वादा इसी अंतर को उजागर करता है। एनडीए को अब अपनी रणनीति बदलनी पड़ सकती है। मुस्लिम वोटरों का झुकाव महागठबंधन की ओर हो रहा है। यह अंतर चुनावी समीकरण बदल सकता है।
एनडीए के अभियान पर असर: एनडीए पर बढ़ता दबाव
यह ऐलान एनडीए के फोकस को बिखेर रहा है। उन्हें अब सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व पर जवाब देना पड़ेगा। हिंदू-मुस्लिम राजनीति पर पहले से दबाव था। तेजस्वी का कदम इसे और गहरा कर रहा है। विपक्ष की आलोचना बढ़ रही है। एनडीए नेताओं में घबराहट साफ दिख रही है।
ईबीसी और अन्य समुदायों का प्रतिनिधित्व
मुकेश साहनी ईबीसी समुदाय से हैं। तेजस्वी ने कहा कि वे हर समाज को बड़ा मौका देंगे। ओबीसी, ईबीसी और अगड़ी जातियों को भी जगह मिलेगी। यह व्यापक सामाजिक न्याय की बात है। दलित और मुस्लिम के अलावा अन्य वर्ग भी खुश होंगे। बिहार की सियासत में यह नया दौर ला सकता है।
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