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सरकारी बैंकों के मर्जर पर नई नीति की तैयारी, बैंक अधिकारियों में चिंता, आंदोलन की चेतावनी
केंद्र सरकार एक बार फिर सरकारी बैंकों के मर्जर (विलय) को लेकर नई नीति लाने की तैयारी में है। इस खबर के बाद सरकारी बैंकों के कर्मचारियों और अधिकारियों में चिंता की लहर दौड़ गई है।
इस नीति के खिलाफ बैंक अधिकारियों ने गोलबंदी शुरू कर दी है और सरकार के फैसले का विरोध करने की घोषणा की है।
AIBOF ने जताई गहरी चिंता, निजीकरण पर उठाए सवाल
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन (AIBOF) ने बैंकिंग सेक्टर में लगातार हो रहे मर्जर और निजीकरण पर कड़ी आपत्ति जताई है।
फेडरेशन के बिहार रिजन के सचिव अंबरेश विक्रमादित्य ने कहा कि सरकार की यह नीति जनविरोधी और रोजगार-विरोधी है।
उन्होंने कहा,
“बैंकों के मर्जर और निजीकरण से न केवल ग्राहकों को सुविधाओं की कमी होगी बल्कि बेरोजगारी की समस्या भी और बढ़ेगी। निजी क्षेत्र से कर्मचारियों की भर्ती से कई नई समस्याएं पैदा होंगी।”
कन्फेडरेशन करेगा आंदोलन, जनता को जोड़ा जाएगा
फेडरेशन ने सरकार के इस निर्णय का पूरी तरह विरोध करने की घोषणा की है।
इसके तहत देशभर में हड़ताल, प्रदर्शन और जन आंदोलन चलाने की योजना बनाई जा रही है।
अधिकारियों का कहना है कि सरकार को तुरंत मर्जर नीति पर रोक लगानी चाहिए, अन्यथा
बैंक कर्मी एकजुट होकर व्यापक आंदोलन करेंगे
मर्जर नीति पर उठते सवाल
पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने कई सार्वजनिक बैंकों का विलय किया है,
जिससे बैंकिंग सिस्टम में प्रशासनिक बदलाव तो हुए, लेकिन
कर्मचारियों का कहना है कि इसका असर
ग्राहक सेवाओं, शाखा नेटवर्क और रोजगार अवसरों पर नकारात्मक पड़ा है।
अब नई नीति से फिर वही संकट दोहराने की आशंका जताई जा रही है।
