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Mokama में जनता ने पूछा सवाल, सम्राट चौधरी और ललन सिंह भाग निकले

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बिहार के मोकामा (Mokama) में एक रोड शो चल रहा था। अनंत सिंह के लिए प्रचार हो रहा था। सम्राट चौधरी और ललन सिंह जैसे बड़े नेता वहां पहुंचे। अचानक एक शख्स ने कैमरा उठाया। सीधे सवाल दागे। विकास क्यों नहीं? अस्पताल क्यों नहीं बने? इतना बजट कहां गया? ये सवाल सुनकर दोनों नेता सन्न रह गए। सिर्फ 52 सेकंड में वे भाग निकले। यह वीडियो अब वायरल है। जनता का गुस्सा साफ दिखता है। बिहार की जनता थक चुकी है वादों से। अब हिसाब मांग रही है। यह घटना चुनावी माहौल को बदल रही है।

सम्राट चौधरी और ललन सिंह के रोड शो में जनता की सीधी पूछताछ

मोकामा रोड शो करीब 30 किलोमीटर लंबा था। सम्राट चौधरी, बिहार के डिप्टी सीएम, और ललन सिंह, केंद्रीय मंत्री, अनंत सिंह के समर्थन में आए। रास्ते में भीड़ जमा हो गई। तभी मोकामा पहुंचे। एक आदमी ने सवालों की बौछार कर दी। आप विकास की बात क्यों नहीं करते? अस्पताल क्यों नहीं बनाते? इतना बड़ा बजट मिलता है, फिर भी मोकामा को सौतेला व्यवहार क्यों? ये सवाल जनता के दर्द को बयां करते हैं। मोकामा के लोग सालों से इंतजार कर रहे हैं। सड़कें, स्कूल, स्वास्थ्य सुविधाएं सब अधर में लटकी हैं।

मोकामा में विकास के मुद्दे पर जनता का सीधा प्रहार

उस शख्स ने कैमरा सीधा नेताओं के चेहरे पर रखा। पूछा, सर, अस्पताल की बात क्यों नहीं करते? समस्या का समाधान कब होगा? व्यवस्था क्या है वहां? ललन सिंह के पास इतनी ताकत है। फिर भी कुछ नहीं होता। एक साल में 8700 करोड़ का बजट। पांच साल में 40,000 करोड़। ये पैसे कहां गए? पांच विधानसभाओं के लिए जवाब दो। हम भी वोट देते हैं। मोकामा के साथ इतना बुरा व्यवहार क्यों? जवाब दीजिए। ये शब्द सुनकर दिल दुखता है। जनता सिर्फ सवाल नहीं पूछ रही। अपना हक मांग रही है। और अंत में बोला, 14 तारीख को जवाब मिलेगा। मतलब वोट से हिसाब चुकता होगा।

बजट आवंटन पर गंभीर सवाल: 8700 करोड़ और 40,000 करोड़ का हिसाब

बजट के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। हर साल 8700 करोड़ मिलते हैं। पांच साल में कुल 40,000 करोड़। ये रकम विकास के लिए होनी चाहिए। लेकिन मोकामा में कुछ नहीं बदला। सड़कें टूटी हैं। अस्पतालों में डॉक्टर नहीं। जनता पूछती है, ये पैसे कहां खर्च हुए? पांच विधानसभाओं को क्या मिला? जवाबदेही की मांग बढ़ रही है। बिहार में कई इलाके ऐसे हैं जहां पैसा आता है लेकिन काम नहीं होता। यह सवाल सिर्फ मोकामा का नहीं। पूरे बिहार का दर्द है। लोग समझ चुके हैं। पैसा नेताओं की जेब में जाता है, विकास में नहीं।

नेताओं की प्रतिक्रिया: चुप्पी और त्वरित प्रस्थान

सवाल सुनकर सम्राट चौधरी और ललन सिंह खड़े हो गए। जैसे मूर्ति बन गए। कोई एक्सप्रेशन नहीं। सिर्फ गर्दन हिलाई। सवाल पर सवाल आए। लेकिन जवाब शून्य। फिर सिर्फ 52 सेकंड में वे वहां से निकल भागे। यह देखकर दुख होता है। जनता ने इतने विश्वास से वोट दिया। अब सवाल पूछने पर भागना? यह अनादर लगता है। नेता जनता के सेवक होते हैं। सवालों का सामना करना चाहिए। लेकिन यहां चुप्पी और भागना। वीडियो में पीछे लोग कहते हैं, यही होता है सवाल करने पर। बिहार की जनता को ठेस पहुंची है।

विपक्ष का पलटवार: आरजेडी और कांग्रेस ने साधा निशाना

यह वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैला। आरजेडी और कांग्रेस ने तुरंत पोस्ट किया। उन्होंने सरकार पर हमला बोला। 20 साल का रिपोर्ट कार्ड दिखाना चाहिए था। लेकिन संकल्प पत्र दे रहे हैं। पांच साल और दो, तब काम करेंगे। जनता सवाल पूछे तो चुप। यह विपक्ष की आवाज बन गई। बिहार चुनाव में यह बड़ा मुद्दा है। जनता का गुस्सा विपक्ष को ताकत दे रहा है।

आरजेडी का आरोप: ‘स्वतंत्रता सेनानी’ और सत्ता का दुरुपयोग

आरजेडी ने पोस्ट में लिखा। सवाल मत पूछो, वरना स्वतंत्रता सेनानी के लिए केंद्रीय मंत्री धांधली से वोट दिलवाने का ऋण चुकाने आए। कुर्सी कुमारू के दुलरू महात्मा जेल में बैठे नागरिक को बोलने के जुर्म में स्वर्ग भेज देंगे। गोदी मीडिया या अंधभक्तों को फर्क नहीं पड़ेगा। यह व्यंग्य कड़वा है। सत्ता का दुरुपयोग दिखाता है। जेल में लोग सवाल पूछें तो दबा दो। बिहार में बोलने की आजादी खतरे में है। आरजेडी ने इसे राजनीतिक हथियार बनाया। जनता को जगाने की कोशिश की।

कांग्रेस की प्रतिक्रिया: 20 साल के कुशासन का हिसाब मांगना

कांग्रेस ने कहा। मोकामा में डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और मंत्री ललन सिंह रोड शो कर रहे थे। जनता ने अस्पताल और मुद्दों पर सवाल किए। मोदी-नीतीश की पार्टी के नेता भागे। 20 साल का कुशासन का हिसाब मांग रही जनता। वोट से जवाब देगी। 14 तारीख को नतीजे आएंगे। कांग्रेस ने इसे विफलता बताया। जनता के दर्द को समझा। भागना कमजोरी दिखाता है। बिहार की जनता अब जाग चुकी है।

बिहार में एंटी-इनकंबेंसी का बढ़ता शोर: सिर्फ प्रत्याशियों तक सीमित नहीं

अनंत सिंह से पहले भी सवाल हुए थे। लोग पूछते थे, विकास क्यों नहीं? लेकिन अब बड़ा बदलाव। डिप्टी सीएम और मंत्री से सीधे सवाल। यह एंटी-इनकंबेंसी का संकेत है। जनता अब छोटे नेताओं पर नहीं रुकती। शीर्ष पर निशाना साध रही है। बिहार में सत्ता लंबे समय से है। लेकिन विकास धीमा। लोग तंग आ चुके। वीडियो ऐसे ही आ रहे हैं। एक के बाद एक।

सामान्य उम्मीदवारों से शीर्ष मंत्रियों तक: जवाबदेही का विस्तार

पहले उम्मीदवार गांव पहुंचते। जनता सवाल पूछती। उन्हें भगा देते या रोक लेते। खासकर बीजेपी-जेडीयू के। अब सीधे डिप्टी सीएम से सवाल। यह फर्क बड़ा है। जनता का आत्मविश्वास बढ़ा। असंतोष साफ। मौजूदा विधायकों को कहते, वोट दिया लेकिन अब नहीं देंगे। अब मंत्री स्तर पर। बिहार में बदलाव आ रहा। जनता हक की बात कर रही।

डबल इंजन सरकार के बावजूद विकास की धीमी गति पर सवाल

डबल इंजन सरकार की बात होती है। केंद्र और राज्य दोनों। लेकिन बिहार में विकास क्यों रुका? अपेक्षित गति नहीं। वायरल वीडियो सबूत हैं। जमीनी हकीकत दावों से अलग। मोकामा जैसे इलाके पीछे। बाहुबली नेता भी सवालों से घिरे। तेज विकास कहां? जनता देख रही है। दर्द महसूस कर रही।

बिहार की जनता का बदलता मिजाज और चुनावी निहितार्थ

जनता का मूड साफ। भाषणों पर भरोसा नहीं। वास्तविक काम चाहिए। विकास न होने का दोष नेताओं पर। एंटी-इनकंबेंसी बढ़ रही। खासकर जहां सत्ता मजबूत थी। 6 तारीख को वोटिंग। 14 को नतीजे। यह इंतजार है। घटना एनडीए को घेर रही। विपक्ष मजबूत हो रहा।

विकास के वादे बनाम जमीनी हकीकत: 14 नवंबर का फैसला जनता का अंतिम जवाब

वादे बहुत हुए। लेकिन काम कम। जनता समझ गई। नेता जिम्मेदार हैं। अस्पताल नहीं, सड़कें नहीं। रोज की जिंदगी कठिन। अब हिसाब मांगेंगी। वोट से। यह जागृति अच्छी है। बिहार बदल रहा।

14 तारीख बार-बार आई वीडियो में। वोट का जवाब। नतीजे बताएंगे। एनडीए के लिए झटका। उन इलाकों में भी। जहां दबदबा था। जनता का फैसला अंतिम। देखना होगा क्या होता है।

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