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Bihar Election 2025: पहले चरण के मतदान के पहले चुनाव आयोग का बड़ा फैसला
Bihar Election 2025: पहले चरण के मतदान समय में बदलाव और सुरक्षा व्यवस्था का विस्तृत विश्लेषण
बिहार के लोग चुनाव के इस मौसम में थोड़े चिंतित हैं। प्रचार मंगलवार शाम को खत्म हो गया, और अब पहले चरण में 121 सीटों पर वोटिंग का समय करीब आ गया है। लेकिन चुनाव आयोग ने एक बड़ा कदम उठाया है। छह संवेदनशील सीटों पर शाम 5 बजे तक ही मतदान होगा। बाकी 115 पर शाम 6 बजे तक। यह बदलाव सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया गया। मतदाता सोच रहे होंगे कि इसका क्या असर पड़ेगा। हम आज इसी पर बात करेंगे, ताकि आप बेहतर समझ सकें।
मतदान समय परिवर्तन: बिहार चुनाव के पहले चरण में नई समय-सारणी का प्रभाव
चुनाव आयोग का यह फैसला बिहार चुनाव 2020 के पहले चरण को प्रभावित करेगा। 121 सीटों पर वोटिंग होनी है। ज्यादातर जगहों पर सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक चलेगा। लेकिन छह जगहों पर समय एक घंटा कम कर दिया। यह कदम अति संवेदनशील इलाकों की सुरक्षा के लिए जरूरी था। मतदाताओं को अब नई टाइमिंग का ध्यान रखना पड़ेगा। इससे वोटर टर्नआउट पर असर पड़ सकता है।
पहले चरण की मतदान सीटों का अवलोकन
पहले चरण में कुल 121 विधानसभा सीटें शामिल हैं। ये उत्तर बिहार के जिले जैसे वाल्मीकि नगर, हायाघाट और अन्य क्षेत्रों से हैं। सामान्य समय सुबह 7 बजे से शुरू होकर शाम 6 बजे तक रहेगा। यह व्यवस्था मतदाताओं को पूरा दिन मिलने का मौका देती है। बिहार जैसे राज्य में, जहां लोग खेतों और दुकानों में व्यस्त रहते हैं, यह समय महत्वपूर्ण है। चुनाव आयोग ने इसे निष्पक्ष रखने के लिए चुना। लेकिन बदलाव से कुछ इलाकों में जल्दी खत्म होना पड़ेगा।
अति संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान और मतदान समय कटौती
चुनाव आयोग ने छह विधानसभा क्षेत्रों को अति संवेदनशील घोषित किया। इनमें बेलागंज, लौवलगंज जैसी जगहें हो सकती हैं, जहां पहले भी तनाव देखा गया। वजह है सुरक्षा की चिंता। शाम 5 बजे तक मतदान बंद करने से जोखिम कम होगा। रात जल्दी होने से दंगे या बाधा की आशंका घटेगी। यह फैसला मतदाताओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है। हम समझ सकते हैं कि इन इलाकों के लोग पहले ही सतर्क रहते हैं।
सामान्य और परिवर्तित समय सारणी का तुलनात्मक चार्ट
नीचे एक सरल तालिका है जो समय का तुलनात्मक विवरण देती है। इससे आपको आसानी से समझ आएगा।
| प्रकार | सीटों की संख्या | शुरुआत का समय | समाप्ति का समय | कुल अवधि |
|---|---|---|---|---|
| सामान्य | 115 | सुबह 7:00 बजे | शाम 6:00 बजे | 11 घंटे |
| परिवर्तित | 6 | सुबह 7:00 बजे | शाम 5:00 बजे | 10 घंटे |
यह तालिका दिखाती है कि फर्क सिर्फ एक घंटे का है। लेकिन संवेदनशील इलाकों में यह घंटा बहुत मायने रखता है। मतदाताओं को सूचना मिलनी चाहिए ताकि वे समय पर पहुंचें।
चुनाव आयोग का निर्णय: सुरक्षा और निष्पक्षता की कसौटी
चुनाव आयोग का यह कदम सुरक्षा को मजबूत करने का प्रयास है। बिहार चुनाव 2020 में पहले चरण के लिए यह जरूरी था। समय बदलने से कानून-व्यवस्था बनी रहेगी। निष्पक्ष वोटिंग सुनिश्चित होगी। हम देखते हैं कि ऐसे फैसले से मतदाता सुरक्षित महसूस करते हैं। लेकिन इससे कुछ असुविधा भी हो सकती है। आयोग ने इसे सोच-समझकर लिया।
‘अति संवेदनशील’ श्रेणी का अर्थ और अनुप्रयोग
अति संवेदनशील मतलब है ऐसी जगह जहां हिंसा या बाधा का खतरा ज्यादा है। भारत के चुनावों में यह श्रेणी पुलिस रिपोर्टों पर आधारित होती है। अगर कोई इलाका पिछली बार परेशानी का शिकार रहा, तो इसे चुना जाता है। बिहार में जातिगत तनाव या बूथ कैप्चरिंग की यादें ताजा हैं। इस श्रेणी में आने पर तुरंत कार्रवाई होती है। समय कटौती इसका एक हिस्सा है। मतदाताओं को यह जानना चाहिए कि यह उनकी भलाई के लिए है।
सुरक्षा बलों की तैनाती और निगरानी प्रोटोकॉल
इन छह सीटों पर ज्यादा सुरक्षाबल लगाए जाएंगे। केंद्रीय पुलिस और स्थानीय फोर्स मिलकर काम करेंगे। सीसीटीवी और ड्रोन से निगरानी होगी। चुनाव आयोग के दिशानिर्देश कहते हैं कि हाई-रिस्क जोन में हर बूथ पर गार्ड रहें। बाकी 115 सीटों पर सामान्य व्यवस्था रहेगी। लेकिन संवेदनशील जगहों पर सख्ती ज्यादा होगी। इससे लोग डरेंगे नहीं, बल्कि वोट डालने का हौसला पाएंगे।
पिछले चुनावों के सुरक्षा परिदृश्य से तुलना
पिछले बिहार चुनावों में भी कुछ इलाकों में समस्या आई थी। 2015 में कई जगहों पर देरी हुई। अब आयोग ने सबक लिया। ये छह क्षेत्र पहले भी संवेदनशील रहे। ऐतिहासिक डेटा से पता चलता है कि शाम के बाद जोखिम बढ़ता है। इस बार समय कम करके इसे रोका जा रहा। यह बदलाव भविष्य के लिए अच्छा उदाहरण बनेगा।
पहले चरण की चुनावी प्रक्रिया: प्रत्याशियों और मतदाताओं पर असर
समय बदलाव से प्रत्याशी और मतदाता दोनों प्रभावित होंगे। छह सीटों पर अंतिम घंटा कम मिलेगा। प्रचार बंद होने के बाद भी रणनीति बदलनी पड़ेगी। मतदाताओं को जल्दी पहुंचना होगा। हम सोचते हैं कि इससे टर्नआउट घट सकता है। लेकिन जागरूकता से इसे संभाला जा सकता है।
प्रचारबंदी (Campaign Curfew) और अंतिम घंटे की रणनीति
प्रचार मंगलवार शाम को समाप्त हो गया। सामान्य सीटों पर उम्मीदवारों को शाम 6 बजे तक का समय मिला। लेकिन छह जगहों पर सिर्फ 5 बजे तक। इससे अंतिम संपर्क का मौका कम हुआ। प्रत्याशी अब घर-घर जागरूकता फैला रहे हैं। यह बदलाव उनकी मेहनत को प्रभावित करता है। फिर भी, वे समझते हैं कि सुरक्षा पहले है।
मतदाताओं के लिए आवश्यक सूचना और जागरूकता अभियान
छह संवेदनशील इलाकों के मतदाताओं को 5 बजे का समय याद रखना चाहिए। आयोग ने एसएमएस और पंपलेट से सूचना दी। जागरूकता कैंप लगाए जा रहे। अगर आप वहां के हैं, तो सुबह ही निकलें। परिवार के साथ योजना बनाएं। इससे वोट खोने का डर नहीं रहेगा। हम चाहते हैं कि हर वोट गिने।
लॉजिस्टिक प्रबंधन: EVM और मतदान कर्मियों की व्यवस्था
शाम 5 बजे बंद होने पर ईवीएम जल्दी सील होंगे। कर्मचारी उन्हें सुरक्षित ले जाएंगे। संवेदनशील जोन में ट्रक और गाड़ियां पहले से तैयार। बाकी जगहों पर 6 बजे तक प्रक्रिया चलेगी। यह व्यवस्था चिकनी रखने के लिए है। कर्मचारियों को थकान न हो, इसके लिए शिफ्ट बदले जा रहे।
बिहार चुनाव 2020: चरण-वार मतदान संरचना
बिहार चुनाव 2020 तीन चरणों में हो रहा। पहले चरण की 121 सीटें आधार हैं। कुल 243 सीटें हैं। दूसरा चरण 17 नवंबर को, तीसरा 20 को। परिणाम 10 नवंबर। यह संरचना बड़े राज्य के लिए जरूरी है। पहले चरण से सारी नजरें लगी हैं।
कुल सीटों का वितरण और चरण विभाजन
कुल 243 विधानसभा सीटें। पहले चरण में 121, ज्यादातर उत्तर में। बाकी चरण पूर्वी और पश्चिमी जिलों को कवर करेंगे। यह विभाजन सुरक्षा और लॉजिस्टिक्स के लिए। पहले चरण बुनियादी घटना है। इससे माहौल बनेगा।
प्रमुख राजनीतिक दलों की स्थिति और दांव पर लगे उम्मीदवार
आरजेडी, जेडीयू और बीजेपी मुख्य दल हैं। इन 121 सीटों पर सैकड़ों उम्मीदवार दांव पर। महागठबंधन और एनडीए की लड़ाई तीखी। संवेदनशील इलाकों में स्थानीय मुद्दे हावी। दल सुरक्षा को देखते हुए रणनीति बदल रहे। उम्मीदवारों की चिंता समझ आती है।
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