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Bihar Elections 2025 चरण 2: 12 मंत्रियों और प्रमुख राजनीतिक परिवारों का भाग्य दांव पर
कल, 11 नवंबर को बिहार की राजनीति में एक बड़ा मोड़ आने वाला है। दूसरे चरण में 122 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी। यहां 12 मंत्रियों की किस्मत का फैसला होगा, जो लोगों के भविष्य को प्रभावित करते हैं। हम सब जानते हैं कि चुनाव कितने महत्वपूर्ण होते हैं, खासकर जब परिवार और परंपराएं दांव पर लगी हों। यह चरण न सिर्फ सरकार की दिशा तय करेगा, बल्कि कई पुरानी विरासतों को भी मजबूत या कमजोर कर सकता है। आइए, हम इसकी पूरी तस्वीर देखें, ताकि आप भी इसकी गहराई समझ सकें।
कैबिनेट की जवाबदेही: 12 मंत्री मतदाताओं के सामने
बिहार सरकार के 12 मंत्री चुनावी मैदान में हैं। इनकी सीटें दांव पर हैं, और कल ईवीएम में उनकी किस्मत कैद हो जाएगी। यह सिर्फ व्यक्तिगत जीत-हार नहीं, बल्कि पूरे राज्य के विकास का सवाल है। लोग सोच रहे हैं कि कौन सही दिशा देगा।
दूसरे चरण की वोटिंग का महत्वपूर्ण विवरण
11 नवंबर को 20 जिलों की 122 सीटों पर मतदान होगा। पहले चरण में 121 सीटें कवर हो चुकी हैं। अब यह चरण बाकी रास्ता तय करेगा। 14 नवंबर को नतीजे आएंगे, जो सबको चौंका सकते हैं। आप कल्पना करिए, लाखों वोट कैसे एक नई शुरुआत बना सकते हैं।
प्रचार के बाद की शांति और उत्साह
रविवार शाम 6 बजे प्रचार खत्म हो गया। अब सन्नाटा है, लेकिन अंदर उत्साह उफान पर। मतदाता सोच रहे हैं कि उनका एक वोट क्या बदलाव लाएगा। यह पल इंतजार भरा है, जैसे कोई बड़ा फैसला होने वाला हो। हम सबको लगता है कि बिहार बदलने का समय आ गया है।
प्रमुख मंत्रियों की लड़ाई और सीटें
ये मंत्री विभिन्न क्षेत्रों को संभालते हैं। उनकी हार-जीत राज्य के हर कोने को छुएगी। आइए देखें मुख्य नाम:
- सुपौल से ऊर्जा योजना एवं विकास मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव।
- झंझारपुर से उद्योग मंत्री नीतीश मिश्र।
- फुलपारस से परिवहन मंत्री शीला मंडल।
- छातापुर से पीएचईडी मंत्री नीरज कुमार सिंह बबलू।
- हरसिद्धि से गन्ना उद्योग मंत्री कृष्ण नंदन पासवान।
- सिक्टी से आपदा प्रबंधन मंत्री विजय कुमार मंडल।
- धमदाहा से खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेस्ली सिंह।
- अमरपुर से भवन निर्माण मंत्री जयंत राज।
- गया टाउन से सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार।
- चकाई से विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सुमित कुमार सिंह।
- चैनपुर से अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमीर आलम।
- बेतिया से पशुपालन मंत्री रेणू देवी।
ये नाम परिचित हैं। इनकी मेहनत को लोग याद करते हैं, लेकिन चुनौतियां भी कड़ी हैं। क्या वे फिर से भरोसा जीत पाएंगे? यह सवाल हर वोटर के मन में है।
प्रमुख विद्रोह और चुनौतियां
कई बड़े चेहरे भी मैदान में हैं। पूर्व उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद कटिहार से लड़ रहे हैं। उनकी वापसी महत्वपूर्ण होगी। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी सिकंदरा से उम्मीदें बांधे हैं। ये लोग अनुभवी हैं। उनकी हार दुखद होगी, लेकिन जीत सबको प्रेरित करेगी। हम समझते हैं कि राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।
राजवंशीय राजनीति और दूसरे चरण में राजनीतिक वारिस
राजनीतिक परिवारों की परीक्षा भी इसी चरण में है। बच्चे और रिश्तेदार विरासत बचाने को कोशिश कर रहे हैं। यह देखना दुख-सुख का मिश्रण है। परिवारों की उम्मीदें टिकी हैं।
राजनीतिक परिवारों की जांच: मांझी परिवार की कसौटी
मांझी परिवार की अग्निपरीक्षा हो रही है। हम के संरक्षक और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की बहू दीपक कुमारी इमामगंज से लड़ रही हैं। लघु जल संसाधन मंत्री संतोष सुमन की पत्नी भी मैदान में। मांझी के समधन ज्योति देवी बाराचट्टी से उम्मीद जता रही हैं। पूर्व सांसद भगवती देवी की नातिन तनुश्री मांझी भी बाराचट्टी से। ये लड़ाइयां कठिन हैं। परिवार को मजबूत रखना आसान नहीं। हम सबको लगता है कि वे कोशिश कर रहे हैं।
प्रमुख नेताओं के वारिसों की मुख्य सीटों पर भागीदारी
कई पुराने नेताओं के बच्चे मैदान में। रालोसमपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता कुशवाहा नवीनगर से। पूर्व सांसद आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद सासाराम से। पूर्व सांसद चंदेश्वर चंद्रवंशी बेलहर से जेडीयू सांसद गिरधारी यादव के बेटे चाणक्य प्रकाश रंजन। औरंगाबाद से पूर्व सांसद गोपाल नारायण सिंह के बेटे त्रिविक्रम सिंह। परिहार से राजद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामचंद्र पूर्वे की बहू स्मिता गुप्ता। जहानाबाद से पूर्व सांसद चंदेश्वर प्रसाद। ये युवा चेहरे नई ऊर्जा ला रहे हैं। लेकिन दबाव भी बहुत है। क्या वे विरासत को संभाल पाएंगे? यह देखना रोचक होगा।
कैबिनेट से परे युद्धक्षेत्र: अन्य प्रमुख दावेदार
मंत्री ही नहीं, कई और बड़े नाम हैं। तीन दलों के प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व मंत्री और नेता। कुल 24 पूर्व मंत्री मैदान में। यह चरण विविधता से भरा है।
मतपत्र पर पार्टी नेतृत्व
राज्य के प्रमुख दलों के अध्यक्ष चुनाव लड़ रहे। कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान कदवा से। भाजपा-माले के नेता महबूब आलम बलरामपुर से। ये लोग पार्टी को मजबूत बनाने को कोशिश कर रहे। उनकी जीत संगठन को ताकत देगी। हम जानते हैं कि नेतृत्व कितना मायने रखता है।
पूर्व मंत्रियों की वापसी की कोशिश
कई पूर्व मंत्री सीटें वापस चाहते। लोरिया से विनय सिंह। नौतन से नारायण प्रसाद। नरकटिया से शमीम अहमद। मधुबन से राणा रंजीत सिंह। मोतिहारी से प्रमोद कुमार। सीतामढ़ी से सुनील कुमार पिंटू। बेनीपट्टी से विनोद नारायण झा। मधुबनी से समीर कुमार महासेठ। कस्बा से अफाक आलम। जोकीहाट से शहनवाज। अमौर से अब्दुल जलील मस्तान। बनमनखी से कृष्ण कुमार ऋषि। रूपौली से बीमा भारती। कदवा से दुलाल चंद गोस्वामी। बांका से रामनारायण मंडल। वजीरगंज से अवधेश कुमार सिंह। झंझार से दामोदर रावत और जयप्रकाश नारायण यादव। चैनपुर से ब्रज किशोर बिंदा। चेनारी से मुरारी गौतम। नोखा से अनीता देवी। बोधगया से कुमार सर्वजीत। ये सब अनुभवी हैं। वापसी मुश्किल, लेकिन संभव। लोग उनकी पुरानी यादें ताजा कर रहे हैं।
पहले और दूसरे चरण का महत्व की तुलना
दूसरा चरण पहले से भी महत्वपूर्ण लगता। दोनों चरण मिलकर सरकार बनाएंगे। कल का दिन यादगार बनेगा। पहले चरण में 121 सीटें हो चुकीं। अब 122 सीटें बाकी। कुल मिलाकर बिहार की 243 सीटें। यह चरण ज्यादा जटिल जिलों को कवर करता। प्रभाव पड़ेगा हर तरफ। पहले चरण ने रुझान दिखाए, अब पक्का होगा।
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