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Bihar Election Update: वोटिंग के बीच बीजेपी उम्मीदवार पर लोगों का फूटा गुस्सा
बिहार के दूसरे चरण के चुनाव में वोटिंग का जोश देखने लायक है। लोग घर से निकल पड़े हैं, लंबी लाइनों में खड़े होकर अपना हक अदा कर रहे हैं। लेकिन इसी बीच बीजेपी के कई प्रत्याशी गांवों में घुसते ही खदेड़े जा रहे हैं। यह दृश्य दुखी करता है, क्योंकि वोटरों का गुस्सा सालों की उपेक्षा से उपजा है। वे पूछ रहे हैं, पांच सालों में तुमने क्या किया? यह बदलाव की मांग है, जो बिहार की सड़कों और गलियों से निकल रही है।
बिहार के ग्रामीण इलाकों में बीजेपी प्रत्याशियों को जनता का विरोध
दूसरे चरण में वोटिंग के दिन बीजेपी के उम्मीदवारों का स्वागत गुस्से से हो रहा। गांव वाले उन्हें बाहर निकाल रहे हैं। यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि पूरे चुनाव का पैटर्न बन गया है। वोटरों की यह हिम्मत दर्शाती है कि वे अब चुप नहीं रहेंगे।
नवादा के हिसुआ क्षेत्र में अनिल सिंह का मामला
नवादा के हिसुआ विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के अनिल सिंह धरिया गांव पहुंचे। वहां डोर-टू-डोर कैंपेन या बूथ चेक करने गए थे। लेकिन गांव वालों ने उन्हें घेर लिया। वे चिल्लाए, “तुमने हमारे लिए कुछ नहीं किया, अब वोट क्यों देंगे?” तस्वीरें साफ दिखाती हैं कि लोग उन्हें भगा रहे थे। अनिल सिंह को मजबूरन वहां से जाना पड़ा। यह दृश्य दर्द भरा है, क्योंकि ग्रामीणों की आंखों में निराशा साफ झलक रही। वे विकास के नाम पर धोखा महसूस कर रहे हैं।
अस्वीकृति का पैटर्न: शशि सिंह का वैसा ही अनुभव
एक दिन पहले शशि सिंह के साथ भी यही हुआ। वे बीजेपी की प्रत्याशी हैं। युवा और ग्रामीण उन्हें घेरे हुए सवाल दागे। “पांच साल विधायक रही हो, क्या किया हमारे लिए?” लोग खड़े होकर जवाब मांग रहे थे। यह सिर्फ एक जगह की बात नहीं। पहले चरण में भी ऐसी तस्वीरें आईं। शशि सिंह को भी आगे बढ़ने नहीं दिया गया। वोटरों का यह रुख बताता है कि वे अब बहाने नहीं सुनेंगे। उनकी आवाज में दर्द है, जो सालों की अनदेखी से आया।
मुख्य शिकायतें: अधूरे वादे और कार्यकाल में अनुपस्थिति
वोटर बार-बार यही कह रहे हैं। सड़कें नहीं बनीं, स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं पहुंचीं। “तुमने जो वादे किए, वे झूठे निकले।” पांच साल तक प्रत्याशी कहीं नजर नहीं आए। अब चुनाव के समय वोट मांगने चले आते हैं। ग्रामीण सीधे मुंह पर कह देते हैं, “हक से वोट मांगने आए हो?” यह गुस्सा जायज लगता है। लोग बदलाव चाहते हैं, और उनकी यह मांग दुखी भी करती है। विकास के बिना जीवन कठिन हो जाता है।
दूसरे चरण की वोटिंग आंकड़े और अनुमान
दूसरे चरण में वोटिंग 60 फीसदी के आसपास पहुंच चुकी। यह संख्या बढ़कर 70 फीसदी तक जा सकती है। इतना उत्साह देखकर लगता है, बिहार वाले कुछ नया चाहते हैं। वोटरों की यह एकजुटता उम्मीद जगाती है।
अभी तक 60 फीसदी वोट डल चुके। जब वोटिंग खत्म होगी, तो यह 70 फीसदी छू सकती है। पहले चरण से ज्यादा मतदान हो रहा। यह आंकड़ा बीजेपी के लिए चुनौती है। लोग घर-घर से निकल पड़े। उनकी यह कोशिश सराहनीय है। वोटिंग का यह जज्बा राज्य के भविष्य को नया रंग दे सकता है।
भारी मतदान और बीजेपी की बढ़ती मुश्किलों का संबंध
उच्च वोटिंग बीजेपी प्रत्याशियों के खिलाफ गुस्से से जुड़ी। लगातार विरोध हो रहा। चुनाव प्रचार से लेकर वोटिंग तक यही सिलसिला। ग्रामीण युवा सबसे आगे सवाल पूछ रहे। यह ट्रेंड बताता है कि सत्ता पक्ष को झटका लगेगा। वोटरों का मोह भंग हो चुका। वे जवाब चाहते हैं, और उनकी यह लड़ाई प्रेरणा देती है।
वोटिंग का आंकड़ा 60-70 फीसदी तक।
प्रत्याशियों को गांवों से भगाया जा रहा।
युवाओं का नेतृत्व विरोध में।
विकास की कमी मुख्य कारण।
बाधाओं के बावजूद वोटरों की दृढ़ता
ग्राउंड रिपोर्ट्स से पता चलता है। लोग घंटों लाइन में खड़े। वोटिंग धीमी होने पर भी हार नहीं मानते। “हम वोट डालेंगे, फिर जाएंगे।” यह दृढ़ता देखकर मन भर आता। वे जानते हैं, वोट ही बदलाव लाएगा। बावजूद देरी के, कोई पीछे नहीं हटा।
आरजेडी की चिंताएं खास इलाकों में वोटिंग गति पर
आरजेडी ने चिंता जताई। उनके समर्थक इलाकों में वोटिंग सुस्त। किशनगंज में 60 फीसदी हो चुका। सीमांचल में 55-60 फीसदी। यह रणनीति वोटरों को हतोत्साहित करने की लगती। लेकिन लोग टिके हुए हैं।
किशनगंज और सीमांचल जैसे क्षेत्र। वहां वोटिंग 55-60 फीसदी। आरजेडी कह रही, जानबूझकर धीमा किया जा रहा। लाइनें लंबी, लेकिन लोग इंतजार कर रहे। यह इलाके विपक्ष के पक्ष में। वोटिंग स्लो करने से मोराल गिर सकता। लेकिन रिपोर्ट्स उलट बता रही।
बढ़ते तनाव: प्रत्याशियों के बीच झड़पें और कार्यकर्ताओं की टकराव
एक-दो घंटे लाइन में लगे रहना। कुछ चले जाते, लेकिन ज्यादातर डटे। नियम है, लाइन में लगे सबको वोट मिलेगा। भले समय खत्म हो जाए। यह धीमापन हतोत्साह तो बढ़ा सकता। पर वोटर कह रहे, “हम रुकेंगे नहीं।” उनकी यह जिद दुख और गर्व दोनों जगाती।
अनिल सिंह और अन्य प्रत्याशियों के बीच झड़पें। कार्यकर्ता आपस में भिड़े। ऐसी खबरें लगातार आ रही। वोटिंग के बीच तनाव चरम पर। यह सब चुनावी उत्तेजना का हिस्सा। ग्रामीणों का विरोध अलग से। कुल मिलाकर माहौल गरम।
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