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Prashant Kishor का बड़ा ऐलान: 2025 Bihar election results पर राजनीति छोड़ने की शर्त

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आने वाले हैं। सोशल मीडिया पर एक बड़ा हंगामा मचा हुआ है। लोग बात कर रहे हैं कि जन स्वराज के संस्थापक प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) राजनीति छोड़ देंगे। क्या यह सच होगा? बिहार रिजल्ट (Bihar result) पर प्रशांत किशोर ((Prashant Kishor)) ने साफ शर्त रखी है। अगर जेडीयू 25 से ज्यादा सीटें जीतती है, तो वह विदा हो जाएंगे। एग्जिट पोल्स में एनडीए को मजबूत बढ़त दिख रही है। यह दावा प्रशांत किशोर के पुराने बयानों से जुड़ा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा यह मुद्दा राजनीति को गर्म बनाए रख रहा है। बिहार के वोटरों की नजरें नतीजों पर टिकी हैं। क्या प्रशांत किशोर का अनुमान गलत साबित होगा?

बिहार 2025 एग्जिट पोल का शुरुआती रुझान और एनडीए की बढ़त

चुनाव के दूसरे और आखिरी चरण की वोटिंग खत्म हो चुकी है। मंगलवार शाम से एग्जिट पोल्स आ रहे हैं। ज्यादातर सर्वे एनडीए को पूर्ण बहुमत देते दिख रहे हैं। यह रुझान प्रशांत किशोर के दावों को चुनौती दे रहा है। बिहार की 243 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 122 सीटें जरूरी हैं। एनडीए को आसानी से इससे ज्यादा मिलने का अनुमान है। सोशल मीडिया पर लोग इसकी चर्चा कर रहे हैं। क्या यह बिहार की राजनीति बदल देगा?

विभिन्न सर्वे एजेंसियों का बहुमत का अनुमान

कई एग्जिट पोल एजेंसियां एनडीए की जीत की भविष्यवाणी कर रही हैं। एक को छोड़कर सभी एनडीए को 122 से ज्यादा सीटें दे रही हैं। उदाहरण के लिए, प्रमुख सर्वे बताते हैं कि बीजेपी-जेडीयू गठबंधन मजबूत स्थिति में है। जेडीयू को 25 से ऊपर सीटें आने की संभावना दिख रही है। यह प्रशांत किशोर के दावे के खिलाफ है। वोटरों का झुकाव विकास और स्थिरता की ओर लगता है। एनडीए की रणनीति काम कर गई। बिहार के ग्रामीण इलाकों से अच्छे संकेत मिले हैं। कुल मिलाकर, बहुमत का आंकड़ा पार होना तय लगता है।

जनो मिरर एग्जिट पोल का विरोधाभासी अनुमान

सभी सर्वे एकमत नहीं हैं। जनो मिरर एग्जिट पोल महागठबंधन की सरकार बनने का अनुमान लगा रहा है। यह एकमात्र ऐसा पोल है जो विपक्ष को मजबूत दिखा रहा है। अन्य एजेंसियों से अलग, यह जेडीयू को कम सीटें दे सकता है। क्या यह सही साबित होगा? राजनीतिक जानकार इस पर सवाल उठा रहे हैं। बिहार चुनाव में ऐसे ट्विस्ट हमेशा आते रहते हैं। फिर भी, ज्यादातर पोल एनडीए की ओर इशारा कर रहे हैं। यह विविधता चर्चा को और रोचक बनाती है।

प्रशांत किशोर की शर्त: जेडीयू के लिए 25 सीटों की भविष्यवाणी

प्रशांत किशोर ने कई इंटरव्यू में साफ कहा है। जेडीयू 25 से ज्यादा सीटें नहीं जीतेगी। अगर ऐसा होता है, तो वह राजनीति छोड़ देंगे। यह शर्त सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। लोग पूछ रहे हैं कि क्या पीके अपना वादा निभाएंगे? उनके बयान हमेशा सटीक होते हैं। अब नतीजे तय करेंगे। बिहार चुनाव 2025 में यह मुद्दा बड़ा बन गया है।

पीके के इंटरव्यू में दिए गए कड़े बयान का विश्लेषण

न्यूज 24 पर बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा, “लिख के रख लो।” अगर जेडीयू को 25 से ज्यादा सीटें आती हैं, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। उन्होंने दो-तीन बातें निश्चित बताईं। यह बयान बंगाल चुनाव के समय भी दोहराया गया था। पीके की शैली हमेशा ऐसी रहती है। वे बड़े दावे करते हैं। क्या बिहार में भी यही होगा? उनके अनुमान अक्सर सही साबित होते हैं। सोशल मीडिया पर फैंस और क्रिटिक्स बहस कर रहे हैं।

नीतीश कुमार के भविष्य पर प्रशांत किशोर का अनुमान

प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर भी बात की। नवंबर के बाद वे मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे। बिहार में नया चेहरा आएगा। उन्होंने कहा, “लिख के रख लो।” यह दावा जेडीयू की कमजोरी पर आधारित है। नीतीश कुमार लंबे समय से सत्ता में हैं। लेकिन वोटर थक चुके हैं। क्या एग्जिट पोल्स इसकी पुष्टि करते हैं? एनडीए मजबूत है, लेकिन नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है। पीके का अनुमान राजनीतिक हलचल बढ़ा रहा है।

प्रशांत किशोर के पूर्व राजनीतिक दावों का संदर्भ

प्रशांत किशोर के दावे नया नहीं हैं। वे पहले भी ऐसे बयान दे चुके हैं। बंगाल चुनाव में भी यही शैली अपनाई। उनकी भविष्यवाणियां चर्चा का विषय बनती हैं। अब बिहार 2025 में वही हो रहा है। जेडीयू के तीर सिंबल पर खास फोकस है। क्या यह उनकी रणनीति का हिस्सा है? पुराने दावों से तुलना करें तो पीके हमेशा सही साबित होते दिखते हैं।

बंगाल चुनाव के दौरान की गई भविष्यवाणियों की पुनरावृत्ति

बंगाल में प्रशांत किशोर ने कहा था कि कुछ पार्टियां हारेंगी। उन्होंने दोहराया, “25 सीटें नहीं आएंगी।” बिहार में भी यही दोहराव है। उनकी शैली निर्णायक होती है। वोटरों को प्रभावित करती है। बंगाल के नतीजे उनके पक्ष में गए थे। अब बिहार में क्या होगा? सोशल मीडिया पर पुराने वीडियो वायरल हो रहे हैं। पीके की भविष्यवाणियां राजनीति को रोमांचक बनाती हैं।

जेडीयू के ‘तीर’ सिंबल पर विशेष ध्यान

जेडीयू का तीर सिंबल हमेशा चर्चा में रहता है। प्रशांत किशोर ने इसे 25 सीटों तक सीमित बताया। राजनीतिक तर्क यह है कि गठबंधन में कमजोरी है। वोटर बीजेपी की ओर ज्यादा झुक रहे हैं। तीर सिंबल पुराना है। नई पीढ़ी को अपील कम करता है। पीके का फोकस इसी पर है। क्या नतीजे इसकी पुष्टि करेंगे? बिहार चुनाव में सिंबल का महत्व बड़ा है।

नतीजों का इंतजार और पीके के बयान का महत्व

आधिकारिक मतगणना जल्द शुरू होगी। तब तक पीके का बयान हेडलाइंस बनेगा। यह राजनीतिक ड्रामा बनाए रखता है। 25 सीटों का आंकड़ा निर्णायक है। अगर पार होता है, तो पीके राजनीति से बाहर। वोटरों की राय बदल सकती है। बिहार में ऐसे ट्विस्ट आम हैं। नतीजे सब कुछ तय करेंगे। सोशल मीडिया पर बहस तेज है।

राजनीतिक विश्लेषकों की प्रतिक्रिया

विश्लेषक प्रशांत किशोर की शर्त पर हैरान हैं। कुछ कहते हैं कि एग्जिट पोल्स उनके खिलाफ हैं। अन्य मानते हैं कि पीके सही साबित होंगे। प्रमुख टिप्पणीकारों ने कहा कि जेडीयू को 30 के आसपास सीटें मिलेंगी। नीतीश कुमार का भविष्य अनिश्चित है। यह हाई-स्टेक गेम है। विश्लेषक बिहार की राजनीति पर नजर रख रहे हैं। क्या नया चेहरा आएगा?

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