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कौन तोड़ रहा Lalu family! Rohini Acharya का खुला ऐलान
लालू प्रसाद यादव (Lalu prasad yadav) का परिवार (Family) हमेशा राजनीति की चकाचौंध में रहा। लेकिन अब घर की दीवारें फूट गई हैं। तेज प्रताप यादव के बाद उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने भी परिवार और राजनीति से किनारा कर लिया। यह खुलासा सोशल मीडिया पर आया। रोहिणी ने साफ कहा कि उनका अब कोई परिवार नहीं बचा। उन्होंने पार्टी की कमजोरी के लिए तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव और रमीज को दोष दिया। यह विवाद RJD की जड़ों को हिला रहा है। क्या लालू परिवार टूट जाएगा? आइए देखें इस सियासी तूफान की पूरी कहानी।
रोहिणी आचार्य का चौंकाने वाला कदम: राजनीति और परिवार से पूर्ण विच्छेद
रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर एक बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि वे अब परिवार से अलग हो गई हैं। “मेरा अब कोई परिवार नहीं है,” यह शब्द उनके पोस्ट से लिए गए। यह कदम राजनीति छोड़ने जैसा लगता है। रोहिणी पहले RJD की सक्रिय सदस्य रहीं। अब वे पूरी तरह पीछे हट गईं।
तेज प्रताप यादव ने भी ऐसा ही किया था। उन्होंने परिवार में दरार के लिए बाहरी लोगों को जिम्मेदार ठहराया। दोनों भाई-बहन के बयान मिलते-जुलते हैं। क्या यह संयोग है? शायद नहीं। यह एक पैटर्न दिखाता है। परिवार के युवा सदस्य नाराज हैं।
इस घोषणा का पार्टी पर गहरा असर पड़ेगा। RJD के आंतरिक ढांचे में बदलाव आ सकता है। युवा चेहरों की कमी हो जाएगी। रोहिणी जैसे लोग पार्टी की छवि बनाते थे। अब वे चुप हैं। यह तेजस्वी यादव के नेतृत्व को चुनौती देता है। क्या पार्टी नई रणनीति अपनाएगी?
तेजस्वी यादव के करीबी: संजय यादव और रमीज पर आरोपों की बौछार
रोहिणी आचार्य ने पार्टी की बुरी हालत के लिए दो नाम लिए। संजय यादव और रमीज। वे तेजस्वी के करीबी हैं। रोहिणी ने कहा कि ये लोग पार्टी को कमजोर कर रहे हैं। उनके फैसले गलत हैं। यह आरोप सीधा तीर की तरह है।
संजय यादव को रोहिणी ने ‘चाणक्य’ कहा। चाणक्य एक चालाक सलाहकार थे। यह इशारा साफ है। संजय फैसलों को प्रभावित करते हैं। रोहिणी ने उनसे सवाल पूछने की बात कही। क्यों वे परिवार के बीच आ गए? यह राजनीतिक अर्थ रखता है। चाणक्य जैसा व्यक्ति पार्टी को चला सकता है। लेकिन परिवार को नुकसान पहुंचा रहा है।
तेज प्रताप ने पहले संजय को ‘जयचंद’ कहा था। जयचंद एक गद्दार का नाम है। दोनों बयानों में समानता है। भाई-बहन एक ही दिशा में इशारा कर रहे हैं। संजय पर शक गहरा रहा है। क्या वे वाकई पार्टी के दुश्मन हैं? यह सवाल RJD के अंदर घूम रहा है। रोहिणी के शब्दों ने आग में घी डाल दिया।
- मुख्य आरोप: संजय और रमीज फैसलों में दखल देते हैं।
- तुलना: तेज प्रताप का पुराना बयान रोहिणी से मेल खाता है।
- प्रभाव: ये आरोप नेतृत्व पर दबाव बढ़ाते हैं।
- कलह का केंद्र बिंदु: बाहरी व्यक्ति बनाम पारिवारिक सदस्य
भाई-बहन के बयानों से एक बात साफ है। विवाद का कारण परिवार का कोई सदस्य नहीं। बल्कि संजय यादव जैसे बाहरी लोग हैं। वे सलाहकार बनकर फैसले ले रहे हैं। परिवार के सदस्य पीछे छूट गए। यह निष्कर्ष तेज प्रताप और रोहिणी दोनों से निकलता है।
पार्टी में सलाहकारों की भूमिका बढ़ गई है। लेकिन निर्णय लेने में परिवार की आवाज कम हो रही है। लालू परिवार हमेशा RJD का केंद्र रहा। अब बाहरी लोग हावी हो रहे हैं। यह संतुलन बिगड़ रहा है। परिवार के सदस्यों को लगता है कि उनकी जगह कोई और ले रहा है।
राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि RJD की संरचना में बाहरी प्रभाव ठीक नहीं। पार्टियां परिवार आधारित होती हैं। लेकिन सलाहकार ज्यादा ताकतवर हो जाएं तो फूट पड़ती है। उदाहरण के तौर पर देखें। कई पार्टियों में ऐसा हुआ। RJD अब उसी रास्ते पर है। क्या बाहरी लोगों को सीमा तय करनी चाहिए? यह सवाल महत्वपूर्ण है।
कलह के केंद्र में संजय यादव हैं। वे तेजस्वी के पास रहते हैं। लेकिन परिवार को नुकसान पहुंचा रहे हैं। रोहिणी और तेज प्रताप का गुस्सा इसी पर है। पार्टी के अंदर बहस छिड़ गई। बाहरी बनाम आंतरिक। यह लड़ाई RJD को कमजोर कर सकती है।
लालू यादव के लिए अग्निपरीक्षा: परिवार को एकजुट करने की चुनौती
लालू यादव अब मुश्किल में हैं। परिवार एकजुट रखने के लिए क्या करेंगे? मुख्य प्रश्न यही है। वे RJD के संस्थापक हैं। लेकिन अब बेटे-बेटी नाराज हैं। रोहिणी का ऐलान उनके लिए झटका है। तेज प्रताप पहले ही अलग हो चुके।
संजय यादव को बेदखल करना एक विकल्प है। अगर लालू ऐसा फैसला लें तो परिवार खुश हो सकता है। लेकिन राजनीतिक नतीजे बुरे होंगे। संजय तेजस्वी के करीबी हैं। उन्हें हटाना नेतृत्व को हिला देगा। RJD की रणनीति बदल सकती है। क्या लालू जोखिम लेंगे?
संभावित कदम कई हैं। लालू परिवार की बैठक बुला सकते हैं। सबको एक मेज पर लाएं। पुरानी यादें ताजा करें। या फिर संजय को दूर रखने का नियम बनाएं। सलाहकारों की भूमिका सीमित करें। परिवार को निर्णयों में पहले रखें। ये कदम परिवार को जोड़ सकते हैं।
लालू की अग्निपरीक्षा है। वे बीमार हैं। लेकिन राजनीति में सक्रिय रहते हैं। अब फैसला उनका। क्या वे संजय को हटाएंगे? या परिवार को मनाएंगे? यह देखना रोचक होगा। RJD का भविष्य इसी पर टिका है।
- विकल्प 1: संजय को पार्टी से दूर करें।
- विकल्प 2: परिवार मीटिंग बुलाएं।
- जोखिम: नेतृत्व में बदलाव आ सकता है।
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