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ओवैसी Nitish Kumar को समर्थन देने को तैयार, रखी शर्त

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बिहार की राजनीति में बड़ा मोड़ आ गया है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सरकार को समर्थन देगी। लेकिन शर्त एक है – सीमांचल को उसका हक मिले। अमौर की जनसभा में ओवैसी ने साफ कहा। दशकों से सीमांचल उपेक्षा झेल रहा है। अब समय आ गया है बदलाव का। यह बयान बिहार की सियासत को नई दिशा दे सकता है। पटना तक सीमित विकास अब पूरे बिहार में फैलना चाहिए।

ओवैसी की शर्त: नीतीश सरकार को समर्थन की बाधा
मुख्य मांग: सीमांचल को न्याय

अमौर जनसभा में ओवैसी ने साफ शब्दों में कहा। हम नीतीश सरकार का समर्थन देंगे। लेकिन सीमांचल को न्याय मिलना जरूरी है। यह क्षेत्र सालों से पीछे छूट गया। ओवैसी का यह बयान AIMIM को राजनीतिक ताकत देता है। वे पूरे बिहार की बजाय एक इलाके पर फोकस कर रहे हैं। इससे स्थानीय लोग खुश हो सकते हैं।

पटना और राजगीर से आगे: समान विकास की पुकार

ओवैसी ने पटना और राजगीर का नाम लिया। विकास सिर्फ इन जगहों तक सीमित न रहे। सीमांचल को भी हिस्सा मिले। AIMIM तैयार है समर्थन देने को। अगर सरकार विकास के रास्ते बदल ले। यह बात क्षेत्रीय असमानता को उजागर करती है। बिहार में अमीर इलाके आगे बढ़ रहे। गरीब क्षेत्र पीछे। ओवैसी ने इसी गैप को निशाना बनाया।

सीमांचल की बनी हुई मुश्किलें: मुख्य समस्याएं
नदी कटाव और बाढ़ की मार

सीमांचल में कोसी और महानंदा नदियां हर साल तबाही मचाती हैं। कटाव से गांव डूब जाते हैं। फसलें बर्बाद हो जाती हैं। पिछले 10 सालों में हजारों एकड़ जमीन नदियों में समा गई। पुरानी परियोजनाएं नाकाम रहीं। सरकार ने पैसे खर्च किए। लेकिन नतीजा शून्य। स्थानीय लोग आज भी डरते हैं बरसात के मौसम से।

भारी पलायन: पिछड़ेपन का निशान

यहां नौकरियां नहीं मिलतीं। युवा दिल्ली, मुंबई चले जाते हैं। हर साल लाखों लोग पलायन करते हैं। परिवार बंट जाते हैं। कमाई घर पहुंचती है। लेकिन स्थानीय अर्थव्यवस्था कमजोर रहती है। राजनीतिक लापरवाही ने यह चक्र बनाया। नई फैक्टरियां लगें तो पलायन रुकेगा। ओवैसी ने इसी दर्द को आवाज दी।

भ्रष्टाचार और प्रशासन की नाकामी

ओवैसी ने भ्रष्टाचार का जिक्र किया। विकास के पैसे घुसखोर खा जाते हैं। ग्रामीण इलाकों तक फंड नहीं पहुंचते। अधिकारी जवाबदेही से बचते हैं। स्थानीय नेता कहते हैं – कागजों पर काम होता है। जमीन पर कुछ नहीं। इससे गरीबी बढ़ती जाती है। सख्त कार्रवाई जरूरी है।

राजनीतिक असर: समर्थन का दाम क्या?
AIMIM की इलाकाई मजबूती की रणनीति

यह मांग AIMIM को सीमांचल में मजबूत बनाएगी। स्थानीय शिकायतों पर फोकस। राष्ट्रीय मुद्दों से अलग। पार्टी का वोट बैंक बढ़ेगा। मुस्लिम बहुल क्षेत्र में फायदा। ओवैसी जानते हैं – छोटे इलाके से बड़ी सियासत बनती है। पहले चुनावों में AIMIM ने सीटें जीतीं। अब और मजबूत होंगे।

नीतीश कुमार का हिसाब: गठबंधन की कसरत

नीतीश को विधानसभा में समर्थन चाहिए। लेकिन बड़े साथी नाराज हो सकते हैं। भाजपा या अन्य क्या कहेंगे? एक क्षेत्र की मांग पर झुकना मुश्किल। नीतीश हमेशा संतुलन बनाते हैं। अब फैसला लें – सीमांचल या गठबंधन? यह दांव जोखिम भरा है। बिहार की सत्ता पर असर पड़ेगा।

कारगर कदम: सीमांचल को अब क्या चाहिए
बुनियादी ढांचा: सड़क, पानी, बिजली

अच्छी सड़कें बनें। राष्ट्रीय राजमार्ग सुधरें। स्वच्छ पानी की व्यवस्था हो। बिजली 24 घंटे पहुंचे। ये प्रोजेक्ट न्याय के बराबर होंगे। स्थानीय कार्यकर्ता बजट देखें। राज्य योजना में कितना पैसा सीमांचल को? हर साल 10% बढ़ोतरी हो। तभी सरकार की नीयत साफ मानी जाए।

  • सड़कें: NH-31 को चौड़ा करें।
  • पानी: नहरें मरम्मत करें।
  • बिजली: सोलर प्लांट लगाएं।
  • स्थानीय अर्थव्यवस्था को नया रंग

खेती के अलावा उद्योग लगें। छोटी फैक्टरियां खुलें। शिक्षा केंद्र बनें। इससे नौकरियां पैदा होंगी। पलायन रुकेगा। समुदाय खुद पहल करें। राज्य फंड लें अगर वादे पूरे हों।

  • उद्योग: खाद्य प्रसंस्करण प्लांट।
  • शिक्षा: आईटीआई कॉलेज।
  • कृषि: आधुनिक उपकरण दें।

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