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मऊ में Voter list से 20,000 नाम गायब: समाजवादी पार्टी का चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप

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क्या आप कल्पना कर सकते हैं? एक विधानसभा क्षेत्र से अचानक 20,000 मतदाताओं के नाम गायब हो जाएं। समाजवादी पार्टी के सांसद राजीव राय ने ठीक यही आरोप लगाया है। मऊ सदर विधानसभा की वोटर लिस्ट (Voter list) से नाम काटे गए हैं। वे मोबाइल पर स्क्रीनशॉट दिखाते हुए कहते हैं – डिलीशन एप्लीकेशन स्वीकार हो गई। लेकिन यह रिक्वेस्ट कहां से आई? अज्ञात पते से? यह सवाल लोकतंत्र की जड़ हिला रहा है। राजीव राय ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखा। जिलाधिकारी को भी शिकायत की। फिर भी जवाब नहीं मिला। डीएम को जांच के आदेश हुए। क्या यह काफी है? आइए देखें पूरी कहानी।

मऊ सदर विधानसभा शिकायत के ठोस आंकड़े

मऊ सदर विधानसभा से 20,000 नाम कट गए। यह कोई छोटी संख्या नहीं। एक ही इलाके में इतने वोटर गायब। राजीव राय ने प्रेस से बातचीत में यह बात कही। उन्होंने सबूत भी दिखाए। मोबाइल पर फोटो। इसमें साफ लिखा – लिस्ट ऑफ एप्लीकेशंस फॉर डिलीशन एक्सेप्टेड। अक्टूबर में यह हुआ। क्या यह संयोग है? या सोची-समझी साजिश?

यह संख्या डराती है। 20,000 लोग वोट नहीं दे पाएंगे। क्या ये नाम चुन-चुन कर काटे गए? सपा सांसद यही पूछ रहे हैं। उन्होंने मीडिया ग्रुप में भी सबूत शेयर किए। लोग पढ़ें। देखें। सवाल उठाएं। लोकतंत्र में पारदर्शिता जरूरी है। बिना सबूत के आरोप नहीं चलते। लेकिन सबूत हैं।

सबूत: ‘एप्लीकेशन एक्सेप्टेड’ का रहस्य

स्क्रीनशॉट में लिखा है – रिक्वेस्ट फॉर डिलीशन पर एप्लीकेशन स्वीकार। लेकिन डिलीशन की रिक्वेस्ट कौन भेजी? किस पते से? अज्ञात पता बताया जा रहा। राजीव राय गुस्से में बोले। आखिर यह छुपाया क्यों जा रहा? वोटर लिस्ट बदलना आसान नहीं। इसमें सिस्टम है। लेकिन सिस्टम में गड़बड़ी संभव। तीसरे पक्ष ने तो नहीं किया?

यह सबूत मजबूत है। मोबाइल पर दिखाया। प्रेस को भेजा। चुनाव आयोग जवाब दे। कौन शुरूआत की? वोटर खुद? अधिकारी? या बाहरी ताकत? संदेह बढ़ रहा। 20,000 नाम। एक विधानसभा। गंभीर मामला। जांच जरूरी। पारदर्शिता लाएं। वरना भरोसा टूटेगा।

चुनावी अधिकारियों तक पहुंच: जवाबदेही की मांग
मुख्य चुनाव आयुक्त को प्रत्यक्ष पत्र

राजीव राय ने कल ही पत्र लिखा। सबूतों के साथ। मुख्य चुनाव आयुक्त को। पूरा दिन इंतजार किया। मिलने का समय मांगा। लेकिन नहीं मिला। क्यों? शायद सबूत भेज दिए थे। इसलिए बचा लिया। सपा कार्यालय में वेटिंग। बेकार। क्या यह डर है? या बचाव?

यह कदम सही था। औपचारिक शिकायत। सबूत जोड़े। लेकिन अनदेखी। लोकतंत्र में ऐसी उदासी नहीं। आयुक्त जवाब दें। समय दें। चर्चा करें। सांसद का अधिकार है। वोटरों का हक है। पत्र भेजना शुरुआत। अब कार्रवाई चाहिए।

स्थानीय प्रशासन की भूमिका: डीएम की जांच

जिलाधिकारी को चिट्ठी लिखी। फिर सीईओ यूपी से फोन आया। बताया गया – डीएम को जांच के आदेश। बस इतना। क्या यह काफी? 20,000 नाम कटे। जांच से क्या होगा? तुरंत बहाल करें। या साबित करें कि गलती नहीं। प्रशासन जागे।

इस जवाब से संतुष्टि नहीं। आरोप बड़ा। प्रतिक्रिया छोटी। डीएम जांच करेगा। रिपोर्ट कब? कैसे? पारदर्शिता कहां? सपा नेता नाराज। लोकतंत्र का गला घोंट रहे हो। यह शब्द चुभते हैं। प्रशासन सजग हो। वोटर लिस्ट साफ रखें।

स्रोत पर सवाल: राजनीतिक हेरफेर के आरोप

किसने एप्लीकेशन दी? यह सवाल सीधा। चुनाव आयोग बताए। क्यों छुपा रहे? प्रभावित पक्ष जानने का हक। प्राकृतिक न्याय यही कहता। बदलाव बताएं। नाम न काटें बिना सूचना। 20,000 नाम। चुन-चुन कर? बताएं तो शक दूर।

राजीव राय बोले। गलत भी हो सकता हूं। लेकिन जवाब चाहिए। ईमानदारी दिखाएं। सूची सार्वजनिक करें। कौन रिक्वेस्ट की? कब? क्यों? वोटर पूछें। सांसद लड़े। आयोग जवाब दे।

‘वॉर रूम’ सिद्धांत: राजनीतिक खेल का शक

बीजेपी वॉर रूम से हो रहा? बैठे-बैठे नाम काटे? यह आरोप तीखा। कंट्रोल रूम से डेटाबेस हैक? या प्रभाव? चुनाव आयोग पर सवाल। जवाब दें। साफ करें। राजीव राय ने कहा। शक है। जवाब दो। गलत साबित करो।

यह हाइपोथेसिस डरावनी। राजनीतिक दल लिस्ट बदलवा रहे? लोकतंत्र खतरे में। वॉर रूम मतलब रणनीति। नाम काटना हथकंडा। चुनाव नजदीक। सतर्क रहें। आयोग खुलासा करे। संदेह मिटाए।

व्यवस्थागत जोखिम: निशाना बनाकर हटाना या गलती?

20,000 नाम चुन-चुन कर काटे? संभव है। खास वोटर ब्लॉक प्रभावित। मुस्लिम बहुल इलाका? या सपा समर्थक? आंकड़े बताएं। साजिश लगे। लोकतंत्र का गला घोंटना यही। राजीव राय के शब्द सटीक। गला घोंटा जा रहा। वोटर बेआवाज। चुनाव प्रभावित। सिस्टम चेक करें। ऑडिट हो। जनता जागे।

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