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संसद में Priyanka gandhi का तेवर, वंदे मातरम पर प्रधानमंत्री और BJP को करारा जवाब
सोमवार को संसद में प्रियंका गांधी ने वंदे मातरम को लेकर चल रहे विवाद पर तथ्यात्मक और तेवर भरा भाषण दिया। उनके बोलते समय लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला कई बार असहज दिखे और कुछ मौकों पर उन्होंने बीच में दखल भी दिया, लेकिन प्रियंका मुस्कुराते हुए बार‑बार तथ्य और इतिहास पर वापस लौटती रहीं। प्रधानमंत्री ने भी इस मौके पर लगभग एक घंटे तक सदन को संबोधित किया था, जिसके बाद विपक्ष की ओर से प्रियंका गांधी ने जवाबी बहस संभाली।
प्रियंका गांधी ने अपने भाषण में कहा
प्रियंका गांधी ने अपने भाषण में कहा कि कांग्रेस अधिवेशन में 1905 से ही वंदे मातरम का सामूहिक गान होता आया है और यह पार्टी की परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने याद दिलाया कि संविधान सभा में डॉ. अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, आचार्य नरेंद्र देव जैसे नेताओं और श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौजूदगी में वंदे मातरम के अंश को राष्ट्रगीत का दर्जा दिया गया था, इसलिए इसके सम्मानजनक अतीत पर किसी विवाद की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।
प्रियंका गांधी का आरोप
प्रियंका ने भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाया कि वह वर्तमान और भविष्य की बात करने के बजाय इतिहास में पीछे जाकर अनावश्यक विवाद खड़े कर रही है। उनके अनुसार वंदे मातरम जैसे स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक गीत को विवादों में घसीटकर “पाप कर्म” किया जा रहा है, जबकि इसे 150वीं वर्षगांठ के समय सम्मान और एकजुटता का प्रतीक बनना चाहिए था। कांग्रेस ने यह भी सूची जारी की कि इस मौके पर प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में नेहरू और कांग्रेस का नाम कितनी बार लिया।कांग्रेस नेता ने वंदे मातरम की इतिहास‑यात्रा भी सामने रखी – 1875 में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा दो अंतरे लिखे जाने से लेकर 1882 में उनके उपन्यास ‘आनंद मठ’ में इसके शामिल होने और 1895 के कांग्रेस अधिवेशन में इसे गाए जाने तक की पूरी क्रोनोलॉजी उन्होंने सदन में रखी।
आनंद मठ में मुस्लिम शासकों के दमन के विरुद्ध
आनंद मठ में मुस्लिम शासकों के दमन के विरुद्ध हिंदू संन्यासियों के संघर्ष की पृष्ठभूमि पर लिखा यह गीत आगे चलकर स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख राष्ट्रीय गीत बना और पूरे देश में श्रद्धा और जोश के साथ गाया जाता रहा।प्रियंका गांधी ने यह भी याद दिलाया कि शाहीन बाग के आंदोलन के दौरान मुस्लिम दादी‑नानियों ने लगातार वंदे मातरम गाया और उनकी इस परंपरा से प्रेरित होकर देश भर में करीब दो हजार जगहों पर यह गीत सामूहिक रूप से गूंजा। उन्होंने तर्क दिया कि दुनिया भर में मुसलमान अपने देश के राष्ट्रगान और देशभक्ति गीतों का सम्मान करते हैं, इसलिए यह कहना कि मुसलमान अल्लाह के बाद किसी का जयकारा नहीं कर सकते, तथ्यात्मक और राजनीतिक दोनों स्तर पर कमजोर दलील है।
हिन्दू-मुस्लिम सबने मिलकर स्वतन्त्रा की लड़ाई लड़ी
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदू‑मुस्लिम सबने मिलकर भारत माता की जय और वंदे मातरम के साथ आज़ादी की लड़ाई लड़ी थी।विपक्ष ने लोकसभा में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर आयोजित समारोह में एक और सवाल उठाया कि इसी सरकार ने पहले राज्यसभा में वंदे मातरम के नारे पर पाबंदी जैसा कदम क्यों उठाया था। साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर यह पुराना विवाद भी उठा कि स्वतंत्रता संग्राम में उसकी सक्रिय भागीदारी पर लगातार सवाल उठते रहे हैं, हालांकि वंदे मातरम गीत को लेकर RSS की कोई आधिकारिक आपत्ति नहीं रही। प्रियंका के भाषण के बीच‑बीच में सत्ता पक्ष की नारेबाज़ी और ऐतराज़ भी सुनाई दिए, लेकिन उन्होंने अपना फोकस बार‑बार इतिहास, संविधान और स्वतंत्रता संग्राम की साझी विरासत पर वापस ला कर बहस को नैरेटिव देने की कोशिश की।
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